दिल्ली की गद्दी का रास्ता यूपी की गलियों से होकर ही गुजरता है और यूपी को जीतने के लिए पूर्वांचल को जीतना सबसे ज्यादा जरूरी है भारतीय जनता पार्टी ने इसी फॉर्मूले के साथ 2014 के बाद 2019 में भी दिल्ली की गद्दी पर कब्जा जमा लिया है. एनडीए के खिलाफ यूपी में अखिलेश यादव और मायावती ने हाथ मिला लिया लेकिन उनका गठबंधन भी पीएम नरेंद्र मोदी का कुछ नहीं बिगाड़ सका. पीएम मोदी और सीएम योगी के गढ़ पूर्वांचल में सपा-बसपा के गठबंधन की सबसे ज्यादा मजबूती दिखाई दी. लेकिन इसके बाद भी वो पीएम मोदी को रोकने में नाकाम रहे.
यूपी के पूर्वांचल में लोकसभा की कुल 26 विधानसभा की कुल 130 सीटें हैं. पूर्वांचल की वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए हैं. इसके अलावा राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शहर गोरखपुर और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय की संसदीय सीट चंदौली भी पूर्वांचल में आती है. बीजेपी के ये तीनों दिग्गज अपनी-अपनी सीटें बचाने में कामयाब रहे, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव की तरह इस बार पूर्वांचल के गढ़ को नहीं बचा सके हैं. जबकि इसके अलावा यूपी में बाकी लोकसभा सीटों पर एक बार फिर से बीजेपी का जलवा बरकरार रहा. उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में वाराणसी, चंदौली, बलिया, गोरखपुर, जौनपुर, गाजीपुर, भदोही, मिर्जापुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, फैजाबाद, बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, डुमरियागंज, महाराजगंज, अंबेडकरनगर, प्रतापगढ़, घोषी, सलेमपुर, फूलपुर, बस्ती, संत कबीर नगर, आजमगढ़, और इलाहाबाद की सीटें आती हैं.
अबकी बार पूर्वांचल में बीजेपी को 6 सीटों का नुकसान
पूर्वांचल की 26 लोकसभा सीटों साल 2014 में एनडीए ने 25 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि आजमगढ़ से मुलायम सिंह यादव को जीत हासिल हुई थी. वहीं इस बार बीजेपी को 17 और उसके सहयोगी दल अपना दल (एस) दो सीटें मिलाकर एनडीए कुल 19 सीटें जीतने में कामयाब रही. इस बार सपा बसपा गठबंधन को पूर्वांचल से 6 सीटें मिली जिनमें बसपा को 6 और सपा को एक सीट मिली है. पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों की तुलना करें तो बीजेपी को सीधे तौर पर 6 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है.
अखिलेश भी रहे प्रभाव विहीन
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की 26 लोकसभा सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन ने 13-13 सीटों पर चुनाव लड़ा. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पूर्वांचल को साधने के लिए आजमगढ़ संसदीय सीट से मैदान में उतरे थे, लेकिन अपनी सीट के अलावा किसी अन्य सीट पर वो सपा को नहीं जिता सके. पिछले चुनाव में पूर्वांचल में मोदी लहर की रफ्तार को कम करने के लिए सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ सीट से मैदान में उतरे थे. लेकिन वह अपनी सीट के अलावा किसी दूसरी सीट पर कोई प्रभाव नहीं छोड़ सके थे.
यूपी के पूर्वांचल में बसपा ने घोसी, श्रावस्ती, गाजीपुर, जौनपुर, लालगंज, और अंबेडकर नगर लोकसभा सीटों जीत हासिल की है. इसके अलावा मछली शहर लोकसभा सीट बसपा महज 181 वोट से हार गई. यही नहीं इसके अलावा कई और ऐसी सीटें हैं, जहां गठबंधन को बहुत कम अंतर से हार मिली है. बाहुबली मुख्तार अंसारी का असर पूर्वांचल में देखने को मिला. इसी का नतीजा था कि गाजीपुर में उनके भाई अफजाल अंसारी और घोषी सीट से उनके करीबी अतुल राय बसपा से जीतने में कामयाब रहे.
लोकसभा चुनाव 2019 यूपी का परिणाम
उत्तर प्रदेश को लोकसभा चुनाव 2019 में कुल 80 लोकसभा सीटों में से एनडीए 64 सीटें जीतने में कामयाब रही है. इनमें बीजेपी को 62 और अपना दल (एस) को 2 सीटें मिली हैं. इसके अलावा सपा-बसपा गठबंधन को 15 सीटें मिली हैं, इनमें से 10 बसपा और 5 सीटें सपा को मिली हैं. जबकि कांग्रेस महज एक सीट रायबरेली ही जीत सकी है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी सीट अमेठी भी नहीं बचा सके हैं.
HIGHLIGHTS
- पूर्वांचल में सबसे मजबूत रहा SP-BSP गठबंधन
- मजबूती के बाद भी NDA को नहीं रोक पाया गठबंधन
- 2014 के मुकाबले गठबंधन को मिली ज्यादा सीटें
Source : News Nation Bureau