लोकसभा चुनावो के शोर में राजस्थान के सियासी गलियारों में फिर महिलाओं को अधिक टिकिट देने की मांग उठ रही है. मगर पिछले 40 साल में प्रदेश की सियासत में महिलाओं की सिर्फ सक्रियता बढ़ी है भागीदारी नहीं,राजनीतिक दल महिलाओं को लेकर सियासत खूब करते हैं मगर सियासत में उनका हक नहीं दे पाए. महिलाओं को चुनाव में उतारने के मामले में कांग्रेस आगे रही है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रदेश की 25 में से 6 सीटों पर महिलाओं को टिकट दिया, जबकि बीजेपी ने सिर्फ एक को टिकट दिया.
बात करें तो राजस्थान की तो यहां दो लोकसभा चुनावों में एक भी महिला सांसद नहीं चुनी गई. यहां संसद में राजस्थान से महिलाओं का सफर शुरू हुआ 1962 से जब पूर्व राजमाता गायत्री देवी सांसद चुनी गई. गायत्री देवी से शुरू हुआ सफर 2014 तक कैसा रहा. 16 लोकसभा चुनाव हुए हैं अभी तक राजस्थान से सिर्फ 29 महिलाएं ही पहुंची हैं संसद.
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संसद में महिलाओं की भागीदारी पर ये खास रिपोर्ट-
प्रदेश-देश में राजनीतिक दल महिलाओं को लेकर सियासत तो खूब करते रहे लेकिन सियासत में उन्हें उनका हक नहीं दे पाए हैं. नारों-वादों के शोर के बीच पिछले 40 साल में प्रदेश की सियासत में महिलाओं की सिर्फ सक्रियता बढ़ पाई है, भागीदारी नहीं. बीजेपी हो या कांग्रेस, दोनों के विधायकों ने विधानसभा में संकल्प लिया कि लोकसभा-विधानसभा चुनाव में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देंगे लेकिन टिकट देने की बारी आई तो दोनों ही दल यह आंकड़ा कभी छू नहीं पाए.
हालांकि बीजेपी और कांग्रेस दोनो पार्टियों की महिलाएं यह मानती है अगर महिलाओं को राजनीति में अधिक मौका मिलेगा तो बेहतर परिणाम आएंगे. मगर जब बात राजनीतिक पार्टियों की महिलाओं को टिकिट देने की बात होती है महिला कार्यकर्ता महिलाओं की कम पार्टी की वकालत अधिक करती हुई नजर आती हैं.
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पिछले 40 साल में राजनीति में महिलाओं की सक्रियता बढ़ी है और टिकट मिलने का प्रतिशत भी बढ़ा है. महिलाओं को चुनाव में उतारने के मामले में कांग्रेस आगे रही है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रदेश की 25 में से 6 सीटों पर महिलाओं को टिकट दिए. लेकिन मोदी लहर के चलते इन सभी को हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी ने केवल झुंझुनूं से संतोष अहलावत को चुनाव में उतारा और वह सांसद बनीं.
राजस्थान की सियासत में महिलाओं का सफर
बता दें कि राजस्थान में पहले 2 लोकसभा चुनावों में एक भी भी महिला सांसद नहीं चुनी गई. साल 1962 में पहली बार जयपुर से पूर्व राजमाता गायत्री देवी सांसद चुनी गईं. उनका मुकाबला महिला प्रत्याशी से ही हुआ. आजादी के बाद कांग्रेस ने पहली बार तीसरे लोकसभा चुनाव में जयपुर से शारदा देवी को टिकट दिया लेकिन शारदा को हराकर स्वतन्त्र पार्टी की गायत्री देवी विजयी रहीं.
गायत्री देवी ने 1.5 लाख से अधिक वोटों से शारदा देवी को हराया था. इसके साथ ही तीन बार लगातार वो सांसद चुनी गईं. राजस्थान से 1971 में पहली बार 2 महिला सांसद चुनी गईं. इनमें गायत्री देवी और जोधपुर से निर्दलीय लड़ीं पूर्व राजमाता कृष्णाकुमारी शामिल थीं. दसवें-ग्यारहवें और तेरहवें लोकसभा चुनावों में 4-4 महिलाओं ने प्रदेश से चुनाव जीता था.
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कांग्रेस की पहली महिला सांसद 1980, बीजेपी की 1989 में
राजस्थान में कांग्रेस से 1980 में चित्तौडगढ़़ से जीतकर निर्मला कुमारी शक्तावत पहली महिला सांसद बनीं. बीजेपी से पहली महिला सांसद बनने का मौका वसुंधरा राजे को मिला. उन्होंने 1989 में झालावाड़ से चुनाव जीता था. 35 साल में 45 महिलाओं को टिकट दिया गया है जिसमें से केवल 24 सांसद बनी है.
वहीं साल 1980 के चुनाव से कांग्रेस-बीजेपी ने महिलाओं को नियमित तौर पर टिकट देना शुरू किया और उनकी जीत का ट्रेक रिकॉर्ड भी अच्छा रहा. ज्यादातर मुकाबला पुरुष उम्मीदवारों से हुआ.
साल 1980 से 2014 के बीच 12 लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस-बीजेपी ने 45 महिलाओं को टिकट दिए, इनमें से 24 ने चुनाव जीता.
कांग्रेस-बीजेपी में कब कितनी महिलाओं को मिले टिकट-
चुनाव | कांग्रेस | बीजेपी |
1980 | 2 | 0 |
1984 | 2 | 1 |
1989 | 3 | 1 |
1991 | 1 | 3 |
1996 | 2 | 2 |
1998 | 3 | 2 |
1999 | 4 | 2 |
2004 | 1 | 3 |
2009 | 5 | 1 |
2014 | 6 | 1 |
ये केन्द्र में मंत्री भी बनीं
वसुंधरा राजे, गिरिजा व्यास, चन्द्रेशकुमारी केन्द्र में मंत्री रहीं. राजे 2 बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। प्रभा ठाकुर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रहीं. लोकसभा चुनावो में भी इस बार महिलाओं को अधिक टिकट देने की बातें सामने आ रही हैं. अब देखना होगा कौनसी पार्टी महिलाओं को कितनी और अधिक टिकट देती हैं.
Source : Lal Singh Faujdar