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Elections 2019: खजुराहो के चुनावी रण में 'बहूरानी' बनाम 'जमाई' की जंग

खजुराहो संसदीय क्षेत्र में इस बार मुकाबला बहूरानी बनाम जमाई के मुद्दे पर आकर ठहर गया है. यहां की समस्याओं से दूर राजनीतिक दल मतदाताओं को भावनात्मक रूप से लुभाने की हर संभव कोशिश में लगे हैं.

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Dalchand Kumar
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Elections 2019: खजुराहो के चुनावी रण में 'बहूरानी' बनाम 'जमाई' की जंग

खजुराहो

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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के खजुराहो संसदीय क्षेत्र में इस बार मुकाबला बहूरानी बनाम जमाई के मुद्दे पर आकर ठहर गया है. यहां की समस्याओं से दूर राजनीतिक दल मतदाताओं को भावनात्मक रूप से लुभाने की हर संभव कोशिश में लगे हैं. बुंदेलखंड का खजुराहो (Khajuraho) संसदीय क्षेत्र संभावनाओं से भरा है, मगर यहां की पहचान गरीबी, भुखमरी, सूखा, पलायन के कारण है. खजुराहो के विश्व प्रसिद्ध मंदिर, हीरा नगरी पन्ना और चूना का क्षेत्र कटनी. इतना कुछ होने के बाद भी इस क्षेत्र को वह हासिल नहीं हो सका है, जिसका यह हकदार है.

हर चुनाव में यहां के लोगों को नई आस जागती है. उन्हें लगता है कि चुनाव में ऐसा राजनेता उनके क्षेत्र से चुना जाएगा, जो उनकी जरूरतें पूरी करेगा. ऐसा ही कुछ इस बार भी है. मुख्य मुकाबला राजघराने से ताल्लुक रखने वाली कांग्रेस (Congress) उम्मीदवार कविता सिंह और बीजेपी के विष्णु दत्त शर्मा के बीच है. इस सीधी टक्कर को समाजवादी पार्टी (SP) के उम्मीदवार वीर सिंह त्रिकोणीय बनाने की जुगत में लगे हैं.

बुंदेलखंड (Bundelkhand) के राजनीतिक विश्लेषक संतोष गौतम का कहना है, 'बुंदेलखंड के लगभग हर हिस्से में एक जैसी समस्या है. जहां के राजनेता थोड़े जागरूक हैं, उन्होंने अपने क्षेत्र की समस्याओं का तोड़ ढूंढ़ लिया, मगर जहां का नेतृत्व कमजोर हुआ वह इलाका अब भी समस्याग्रस्त है. बात खजुराहो की करें तो यहां से विद्यावती चतुर्वेदी, सत्यव्रत चतुर्वेदी और उमा भारती ने प्रतिनिधित्व किया तो इस क्षेत्र को बहुत कुछ मिला. फिर भी वह नहीं मिला, जो यहां की तस्वीर बदल देता. उसके बाद जो प्रतिनिधि निर्वाचित हुए, वे ज्यादा कुछ नहीं कर पाए.'

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इस संसदीय क्षेत्र में साल 1977 के बाद 11 आम चुनाव (General Election) हुए हैं. इनमें बीजेपी को सात बार, भारतीय लोकदल को एक बार और कांग्रेस को तीन बार जीत मिली है. इस सीट का कांग्रेस की विद्यावती चतुर्वेदी, उनके पुत्र सत्यव्रत चतुर्वेदी, बीजेपी से उमा भारती, नागेंद्र सिंह व रामकृष्ण कुसमारिया और भारतीय लोकदल से लक्ष्मीनारायण नायक सांसद चुने जा चुके हैं. यहां नए परिसीमन के बाद वर्ष 2009 और 2014 के चुनाव में बीजेपी (BJP) को जीत मिली थी.

मौजूदा चुनाव में कांग्रेस की कविता सिंह जहां छतरपुर राजघराने की बहू हैं, वहीं पन्ना उनका मायका है. उनके पति विक्रम सिंह उर्फ नाती राजा राजनगर से कांग्रेस विधायक हैं. कांग्रेस पूरी तरह कविता सिंह को स्थानीय बताकर वोट मांग रही है, तो बीजेपी उम्मीदवार को बाहरी बता रही है. कविता सिंह भी यही कहती हैं कि यह मौका है जब स्थानीय प्रत्याशी को जिताओ और क्षेत्र के विकास को महत्व दो. बीजेपी के वी. डी. शर्मा मूलरूप से मुरैना के निवासी हैं. लेकिन उनकी पत्नी का ननिहाल छतरपुर में है. बीजेपी इसी संबंध को जोड़कर शर्मा को छतरपुर का दामाद बता रही है.

केंद्रीय मंत्री उमा भारती (Uma Bharti) ने तो खुले मंच से कहा, 'शर्मा बाहरी नहीं, बल्कि हमारे क्षेत्र के दामाद हैं. यह चुनाव शर्मा नहीं, मैं लड़ रही हूं. जिस तरह मैंने झांसी में काम कर वहां की तस्वीर बदली है, ठीक इसी तरह का काम शर्मा करेंगे. यहां के दामाद जो हैं.'

खजुराहो संसदीय क्षेत्र तीन जिलों के विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बना है. इसमें छतरपुर के दो, पन्ना के तीन और कटनी के तीन विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इन आठ विधानसभा क्षेत्रों में से छह पर बीजेपी और दो पर कांग्रेस का कब्जा है. वर्ष 1976 में हुए परिसीमन में टीकमगढ़ और छतरपुर जिले की चार-चार विधानसभा सीटें आती थीं.

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कांग्रेस की ओर से पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी, मुख्यमंत्री कमलनाथ, तो बीजेपी की ओर से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah), पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, उमा भारती व नरेंद्र सिंह प्रचार कर गए हैं. कांग्रेस ने जहां केंद्र सरकार को गरीब विरोधी करार दिया और राज्य सरकार के काम पर वोट मांगे तो दूसरी ओर बीजेपी ने देश हित में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और कमलनाथ (Kamalnath) सरकार के काल में बढ़े भ्रष्टाचार व वादा खिलाफी को मुद्दा बनाया.

खजुराहो संसदीय क्षेत्र में 17 उम्मीदवार मैदान में हैं. यहां पांचवें चरण में छह मई को मतदान होने वाला है. इस बार यहां 18 लाख 42 हजार मतदाता मतदान के पात्र हैं. बीजेपी जहां अपने गढ़ को बचाने में लगी है, तो कांग्रेस इसे हर हाल में जीतना चाहती है.

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Source : IANS

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