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25 साल बाद एक मंच पर सपा-बसपा, उस वक्त भी बीजेपी के खिलाफ छेड़ी थी लड़ाई

यह जनसभा सहारनपुर के देवबंद में आयोजित की गई है, जहां पहले चरण में चुनाव होना है

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Dalchand Kumar
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25 साल बाद एक मंच पर सपा-बसपा, उस वक्त भी बीजेपी के खिलाफ छेड़ी थी लड़ाई

मायावती-अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

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लोकसभा चुनाव 2019 (Loksabha Election 2019) के लिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) के बीच हुए गठबंधन के तहत 25 साल बाद पहली बार दोनों दलों की संयुक्त जनसभा आज होने जा रही है. बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) और सपा चीफ अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) एक मंच से जनता को संबोधित करेंगे. यह जनसभा सहारनपुर (Saharanpur) के देवबंद में आयोजित की गई है, जहां पहले चरण में चुनाव होना है. इस महागठबंधन में राष्ट्रीय लोक दल (Rashtriya Lok Dal) भी शामिल है.

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90 के दशक के बाद यह पहली बार है जब बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) एक साथ चुनावी अभियान की शुरुआत कर रहे हैं. साल 1993 में भी इन दोनों पार्टियां ने भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) को सत्ता से दूर करने के लिए हाथ मिलाया था. उस वक्त जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सत्ता थी और मंदिर-मस्जिद विवाद के कारण ध्रुवीकरण अपने चरम पर था. ऐसे में बीजेपी के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने अपनी धुरविरोधी बसपा से गठबंधन किया था.

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उस वक्त प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में इस गठबंधन को 177 सीटें मिली थीं. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने 110 सीटों और बसपा ने 67 सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन चुनाव में कोई भी पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई. इसके बाद मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने बसपा और कुछ अन्य दलों के सहयोग से सिंहासन हासिल किया. हालांकि इसके 2 साल बाद ही यानी 1995 में यह गठबंधन टूट गया.

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अब 25 साल बाद अब एक बार फिर से पुरानी सियासी कड़वाहट को भुलाते हुए इन दोनों पार्टियों ने हाथ मिलाया है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में लोकसभा की 80 सीटों पर हो रहे आमचुनाव में बीएसपी-समाजवादी पार्टी और आरएलडी महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ रही हैं. अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं अखिलेश यादव और मायावती का यह शक्ति प्रदर्शन उत्तर प्रदेश की सियासत का रुख किस ओर मोड़ेगा.

Source : News Nation Bureau

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