लोकसभा चुनाव 2019 के छठे चरण का मतदान जारी है. इस चरण में 59 सीटों पर 979 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इस चरण में उत्तर प्रदेश की 14, हरियाणा की 10, मध्यप्रदेश और बिहार की 8-8 सीटें, दिल्ली की सभी 7 सीट और झारखंड की चार सीटों पर मतदान किया जाएगा. इस चरण में कुल 10.17 करोड़ मतदाता हैं जो कि 979 कैंडिडेट्स की किस्मत का फैसला करेंगे. इस चरण में केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी, राधामोहन सिंह, हर्षवर्धन, समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे दिग्गज मैदान में हैं आज इनकी किस्मत का फैसला ईवीएम में बंद हो जाएगा. आइए देखें कहां किसका किससे है मुकाबला..
यूपी में पूर्वांचल की 14 सीटें, प्रियंका की प्रतिष्ठा भी दांव पर
यूपी के पूर्वांचल की 14 सीटों पर भी इस चरण में वोटिंग हैं. यूपी में यह चरण बीजेपी, कांग्रेस और एसपी-बीएसपी गठबंधन तीनों के लिए काफी अहम हैं. बीजेपी ने पिछली बार यूपी की इन 14 में से 12 सीटों पर कब्जा किया था. हालांकि, वोटों का गणित एसपी-बीएसपी गठबंधन के पक्ष में है, जिनका पिछली बार का संयुक्त वोट शेयर सिर्फ एक सीट को छोड़कर सभी सीटों पर बीजेपी से ज्यादा है.कांग्रेस के लिए भी पूर्वांचल काफी अहम है क्योंकि 2009 में जब वह यूपी में जिन 21 सीटों पर जीती थी उनमें से 18 सीटें अकेले पूर्वांचल की थीं. यहां कांग्रेस की बागडोर प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के हाथों में है. फूलपुर लोकसभा सीट जहां बीजेपी ने पिछली बार जीत हासिल की थी लेकिन 2018 उपचुनाव में हार गई थी, वहां भी इसी चरण में वोटिंग है.
एसपी-बीएसपी के बीच आपसी राजनीतिक समझ के प्रयोग की शुरुआत फूलपुर और गोरखपुर (जहां आखिरी चरण में 19 मई को वोटिंग है) से ही हुई थी, जो आगे चलकर ढाई दशकों बाद दोनों समाजवादी दलों के साथ आने की बुनियाद साबित हुई.
एसपी प्रमुख अखिलेश यादव इस बार आजमगढ़ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उनके भाग्य का फैसला होगा. उनके खिलाफ भोजपुरी स्टार और बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव उर्फ ‘निरहुआ’ अपने फिल्मी करिश्मे को वोटों में तब्दील करने आजमगढ़ से उतरे हैं. उनकी रैलियों में भीड़ दिखी. दावा है कि उन्हें युवाओं-मध्यम वर्ग का समर्थन मिल रहा है. लेकिन निरहुआ तब ही बड़ा उलट-फेर कर पाएंगे जब यादव वोटों में अच्छी-खासी सेंधमारी करेंगे. वहीं पूर्वांचल में प्रियंका गांधी ने खूब जोर लगाकर प्रचार किया है.
दिल्ली में कांग्रेस और AAP ने बीजेपी का मुकाबला करने के लिए गठबंधन को लेकर बातचीत की थी, जो नाकाम रही. लिहाजा यहां बीजेपी, कांग्रेस और AAP के बीच त्रिकोणीय लड़ाई है. 2014 में बीजेपी ने दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत हासिल की थी.
भोपाल सीट पर देश की नजर है. इसका कारण यह है बीजेपी ने मालेगांव विस्फोट की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारा है. प्रज्ञा हिंदुत्व का अजेंडा लेकर आई हैं. आते ही विवादित बयान दिए, जिसे बीजेपी के लिए नुकसान की तरह देखा गया. कांग्रेस ने भोपाल सीट पर दिग्विजय सिंह को काफी पहले प्रत्याशी घोषित कर शुरुआती बढ़त ले ली थी. मुस्लिमों का उन्हें पूरा समर्थन हासिल है. प्रज्ञा की तुलना में दिग्विजय का सियासी अनुभव बहुत मजबूत है.
हरियाणा में बीजेपी ने पिछली बार 7 सीटों पर कब्जा किया था. बिहार में भी बीजेपी की लड़ाई बहुत बड़ी है. इस चरण में पार्टी ने 2014 में अपनी जीती हुईं 3 सीटों को सहयोगी जेडीयू को दिया है जो पिछली बार उसकी प्रतिद्वंद्वी के तौर पर मैदान में थी.
हिसार सीट से कांग्रेस के भव्य विश्नोई मैदान में हैं, जो अपने पिता कुलदीप और दादा भजनलाल की विरासत को पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. उधर, सोनीपत सीट पर कांग्रेस ने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को उतारा है, जिनका मुकाबला बीजेपी के रमेश कौशिक से है. ओम प्रकाश चौटाला के पोते दिग्विजय चौटाला JJP से और इनेलो से सुरेंद्र छिक्कारा मैदान में हैं. 2014 में इस सीट से कौशिक ने कांग्रेस को हराया था.
दिल्ली में कांग्रेस और AAP ने बीजेपी का मुकाबला करने के लिए गठबंधन को लेकर बातचीत की थी, जो नाकाम रही. लिहाजा यहां बीजेपी, कांग्रेस और AAP के बीच त्रिकोणीय लड़ाई है. 2014 में बीजेपी ने दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत हासिल की थी. हरियाणा में बीजेपी ने पिछली बार 7 सीटों पर कब्जा किया था. बिहार में भी बीजेपी की लड़ाई बहुत बड़ी है. इस चरण में पार्टी ने 2014 में अपनी जीती हुईं 3 सीटों को सहयोगी जेडीयू को दिया है जो पिछली बार उसकी प्रतिद्वंद्वी के तौर पर मैदान में थी.
बिहार की 8 सीटों पर मतदान हो रहा है. इसमें वाल्मीकिनगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सिवान और महाराजगंज शामिल हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी ने 7 और एलजेपी ने एक सीट पर चुनाव जीत इस सभी सीटों पर एनडीए का परचम लहराया था. इन सीटों पर टिकट कटने से पार्टियों के अंदर भी गणित बदला है. एनडीए के 8 में से 4 वर्तमान सांसदों के टिकट कटे हैं. एनडीए ने मोदी फैक्टर पर जोर लगाया है. दोनों प्रमुख गठबंधनों ने इस बार कई दिग्गजों को टिकट दिया है. वैशाली से आरजेडी ने रघुवंश प्रसाद सिंह और बीजेपी ने पूर्वी चंपारण से केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह को टिकट दिया है.
Source : DRIGRAJ MADHESHIA