उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति समीकरण का महत्व समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), राष्ट्रीय लोक दल (RLD) सरीखे दलों के उदय के साथ ही बढ़ गया था. यह बात नब्बे के दशक की है. सपा ने यादव-मुस्लिम वोटों को आधार बनाकर 'माय' फार्मूला खोजा तो, बसपा ने दलित और पिछड़ों को अपने पाले में खींच जीत का समीकरण तैयार किया. समय के साथ-साथ इन फार्मूलों में अन्य जातियों का तड़का लगता रहा. यह अलग बात है कि 2019 के लोकसभा चुनाव (2019 Loksabha Election Results) में बीजेपी का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का अंडर करेंट यूपी के इन जाति समीकरणों पर भारी पड़ गया.
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ब्रह्मास्त्र भी निशाने से चूका
2014 में देश के राष्ट्रीय राजनीतिक फलक पर मोदी (PM Modi) के उदय के साथ ही बीजेपी का विजय रथ लगातार आगे बढ़ रहा था. इसे रोकने का विपक्षा का हर दांव नाकाम रहा. ऐसे में बीते साल सपा-बसपा-रालोद ने मतभेद भुला कर कैराना, फूलपुर और गोरखपुर उपचुनाव (Bypolls) संयुक्त रूप से लड़ा. यहां जीत का स्वाद चखने के बाद इन्हें लगा कि इन्हें मोदी रथ रोकने का ब्रह्मास्त्र मिल गया है. यह अलग बात है कि 2019 लोकसभा चुनाव परिणाम (2019 Loksabha Election Results) आने के बाद पता चला कि मोदी सूनामी इस महागठबंधन के सारे जातिगत समीकरण को ही बहा ले गई है. न सिर्फ बीजेपी नीत एनडीए अपनी लगभग 90 फीसदी सीटें बचाने में सफल रहा, बल्कि महागठबंधन के जाति केंद्रित वोट बैंक में सेंध लगा उनके मतों को भी अपने पाले में खींच लाया.
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मोदी सूनामी में बह गई जातियों की राजनीति
जाति केंद्रित यूपी की राजनीति के 2019 लोकसभा चुनाव नतीजों पर नजर दौड़ाएं तो समझ आता है कि मोदी लहर (Modi Tsunami) में सब बह गए. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी को 49.6 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 4 करोड़ 28 लाख 57 हजार 221 वोट हासिल हुए. बीएसपी को 19.26 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 1 करोड़ 66 लाख 58 हजार 917 वोट, एसपी को 17.96 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 1 करोड़ 55 लाख 33 हजार 620 वोट और आरएलडी को 1.67 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 14 लाख 47 हजार 363 वोट मिले हैं. कांग्रेस को 6.31 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 54 लाख 57 हजार 269 वोट हासिल हुए हैं.
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बीजेपी के यूपी में बढ़े 7 फीसदी वोट
गौरतलब है कि 2014 के चुनाव में बीजेपी (BJP) को उत्तर प्रदेश में 42.3 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. इस लिहाज से पार्टी ने इस बार अपने वोट शेयर में 7 फीसदी से ज्यादा का इजाफा किया है. वहीं एसपी-बीएसपी के साथ कांग्रेस का वोट शेयर पहले से घट गया है. एसपी को पिछली बार 22.20, बीएसपी को 19.60 और कांग्रेस को 7.50 प्रतिशत वोट मिले थे. यानी एसपी को इस बार 4 फीसदी और कांग्रेस को 1 फीसदी से ज्यादा का नुकसान हुआ है. बीएसपी कुछ हद तक वोट बैंक बचाने में कामयाब रही लेकिन उसे भी दशमलव 34 प्रतिशत का नुकसान झेलना पड़ा है.
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सांस्कृतिक राष्ट्रवाद रहा हावी
यह तब है जब तीन पार्टियों के महागठबंधन (एसपी-बीएसपी-आरएलडी) ने नई सोशल इंजीनियरिंग (Social Engineering) के साथ चुनाव लड़ा था. दलित-ओबीसी के साथ ही मुस्लिम और जाट वोटर पर प्रभाव की वजह से इसे काफी मजबूत माना जा रहा था, लेकिन मोदी मैजिक और राष्ट्रवाद से ओत-प्रोत बीजेपी के विजय मार्च को रोकने में यह नाकाम रहा. महागठबंधन केवल इस बात से संतोष कर सकता है कि 2014 के मुकाबले उसकी सीटें तीन गुना बढ़ गई हैं. हालांकि इसमें भी सबसे ज्यादा खुशी बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) की हो रही होगी.
HIGHLIGHTS
- महागठबंधन की जातीय राजनीति भी नहीं रोक सकी मोदी सूनामी.
- बीजेपी के उत्तर प्रदेश में बढ़े 7 फीसदी वोट.
- सपा-बसपा को उठाना पड़ा बड़ी संख्या में वोटरों का नुकसान.
Source : Nihar Ranjan Saxena