राजीव गांधी और उनके परिवार व ससुराल पक्ष के लोगों द्वारा INS विराट के बतौर प्राइवेट टैक्सी छुट्टी इस्तेमाल किये जाने के दावे का लक्षद्वीप के तत्कालीन प्रशासक वजाहत हबीबुल्लाह ने खण्डन किया है . उन्होंने न्यूज़ स्टेट खास बातचीत में कहा कि विराट जैसे किसी युद्धपोत का यूं निजी इस्तेमाल होना या छुट्टी मानना संभव नहीं है . रक्षा मंत्रालय निजी इस्तेमाल इजाजत ही नहीं देगा. बेहतर होता कि पीएम वास्तविकता की तस्दीक करें और इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाने से बचे.
तत्कालीन पीएम राजीव गांधी की आधिकारिक यात्रा और उसके बाद उनकी छुट्टियों के प्रोगाम को एक साथ जोड़कर देखने की वजह से ये भ्रम की स्थिति बनी है . हुआ ये था कि अगस्त 1987 में आइलैंड डेवेलपमेंट ऑथोरिटी की बैठक लक्ष्यद्वीप के ही एक छोटे द्वीप कावारत्ती में हुई थी. इस बैठक में शामिल होने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और कैबिनेट के बाकी सदस्य आये थे. इस मीटिंग में आइलैंड डेवेलपमेंट कॉउन्सिल का उद्दघाटन हुआ था.
INS विराट भी वहां आया. मुझे ये याद नहीं कि कैबिनेट के मंत्री NS विराट से आये या नहीं. लेकिन इतना तय था कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी अपने सरकारी जहाज कोच्चि से आए . वहां से एक आधिकारिक एयरफोर्स से वो कावारत्ती आये. उनके साथ उस वक़्त सिर्फ सोनिया गांधी थी. मेरे पास वो तस्वीरे है, जो तस्दीक करती है कि कैसे प्रधानमंत्री का हमने और कैबिनेट के सदस्यों ने गर्मजोशी से स्वागत किया.
नेवी प्रशासन का उस वक्त कहना था कि प्रधानमंत्री के वहां रुकने के चलते INS विराट का वहाँ रुकना ज़रूरी थी. सुरक्षा कारणों से ये किया गया था . बैठक के बाद उनका बंगाराम में छुट्टियों जाने का प्लान था. ये सच है कि छुट्टियों के दरमियान INS विराट वहां रुका. लेकिन ये कहना ग़लत है कि इसका इस्तेमाल राजीव या उनके परिवार/नज़दीकी लोगों ने छुट्टियां मनाने के लिए इस्तेमाल किया. ऐसा मुझे नजर नहीं आया. उनके परिवार के नजदीकी लोग खुद कावारत्ती आये भी नहीं, वोपवनहंस हेलिकॉप्टर से बंगाराम गए, जहाँ छुटियाँ मनानी थी.
Source : Arvind Singh