प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक आरोप लगता रहा है कि वह सूट-बूट वालों के लिए सरकार चलाते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के आगमन पर उनके द्वारा पहने गए सूट की कीमत पर भी सवाल खड़े किए गए. साथ ही कई मौकों पर तो यहां तक कहा गया कि मोदीजी जो मशरूम खाते हैं वह इतने हजार रुपए किलो आता है और फलां देश से आता है. इन्हें जेहन में रखते हुए न्यूज नेशन ने जब पीएम मोदी से विलासिता से जुड़ा सवाल पूछा गया, तो बहुत रोचक जवाब सुनने को मिला.
उन्होंने बताया कि वह पर्स भी नहीं रखते हैं. जब कमाई ही नहीं थी, तो उसकी जरूरत क्या थी. उन्होंने बेबाकी से स्वीकार किया कि गुजरात का सीएम बनने के बाद जब वेतन-भत्ते मिलने लगे, तो उन्होंने बैंक खाता खोला था. प्रधानमंत्री बतौर भी वह अपने स्टाफ को जरूरत भर का पैसा दे देते हैं, जिससे रोजमर्रा की जरूरतें पूरी होती रहीं. बाकी पैसे बैंक खातों में पड़े रहते हैं, जिसका हिसाब-किताब उनका ही स्टाफ रखता है.
ऐसे में विलासिता से जुड़े आरोपों पर उन्होंने कहा कि हरेक शख्स के लिए विलासिता के मानदंड अलग-अलग होते हैं. मोदी के लिए हिमालय जाना ही विलासिता है. संघ से जुड़े नियम-कायदों में रची-बसी जिदंगी का अहसास करते हुए उन्होंने कहा कि पूरा जीवन अनुशासित रहा है. सर्वजनहित के काम ही किए हैं. इसमें भी विलासिता अगर किसी को समझ में आती है तो कुछ नहीं किया जा सकता.
अपने बचपन को याद करते हुए पीएम मोदी ने बताया कि उन्होंने फिल्में भी देखी हैं. हालांकि ज्यादातर फिल्में मुफ्त ही देखी हैं. फिल्म देखने को भी विलासिता करार दिया जा सकता है. बचपन के दोस्त दशरथ को याद करते हुए उन्होंने बताया कि दशरथ मेरा सहपाठी और दोस्त था. उसके पिताजी एक सिनेमाघर के बाहर मूंगफली और टॉफी-चॉकलेट का खोमचा लगाते थे. हम उन्हें लक्ष्मण भाई थिएटरवाला कहते थे. वह जब सिनेमाघर में एक-दो सीट खाली रहती थीं, तो घुसेड़ देते थे. इस तरह कई फिल्में देखीं. अब इसे कोई विलासिता कहे तो कहता रहे.
Source : News Nation Bureau