पीएम नरेंद्र मोदी आज रात 8 बजे न्यूज नेशन (News Nation) पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया और पिनाज त्यागी से सीधी बातचीत की. इस दौरान पीएम मोदी (PM Modi) ने बताया कि एयर स्ट्राइक (Air Strike) की रात उनकी कैसी थी हालत. उन्होंने एक कविता भी सुनाई और बताया कि विपक्ष का कौन सा नेता खेलता है वीडियो गेम. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि वह लाहौर क्यों गए थे. पीएम नरेंद्र मोदी का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू (Exclusive Interview) www.newsstate.com पर देखें.
ये चुनाव मोदी Vs मोदी हो गए हैं, पूरे देश के अंदर यह माहौल है कि आप ही चर्चा में हैं और उसी आधार पर देश नया प्रधानमंत्री चुन रहा है. ऐसे में अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी किसे मानते हैं?
पीएम मोदी - हम सोच रहे हैं कि महागठबंधन की बड़ी हवाएं चल रही थीं. कर्नाटक में नई सरकार बनी तो सबने हाथ पकड़-पकड़कर देश को एक संदेश दिया था, लेकिन दिल्ली पहुंचते-पहुंचते सब बिखर गए. महागठबंधन की दुर्दशा हो गई, तो कांग्रेस पार्टी को उसका मुख्य धुरा समझे तो महागठबंधन के किसी नेता को उसके साथ खड़े होते नहीं देखा. चुनाव विकास के मुद्दों पर लड़ा जा रहा है. एक प्रकार से यह चुनाव विकास का भी है और विश्वास का भी है. 2014 के चुनाव में देश का विश्वास टूट चुका था. आशाएं चरमरा चुकी थीं. लोगों को लगता था कि हिन्दुस्तान में क्या करेंगे. 2014-19 की यात्रा में एक विश्वास पैदा हुआ है. उसके कारण स्वाभाविक है कि यह चुनाव एक प्रकार से प्रो इन्कमबेंसी वेव है. एक सरकार को दोबारा सरकार में लाने के लिए बहुत बड़ी लहर है. मैं अपेक्षा करता था कि जो हमारे आलोचक हैं हमारे पांच साल की कमियां निकालते. जांच कर बताना चाहिए था कि मोदी झूठ बोल रहा है. अगर मोदी कहता है कि पहले की तुलना में तेज गति से रोड बन रही हैं तो जांच करनी चाहिए. 1.8 कर रहा है या 1.7 कर रहा है. मैं कहता हूं कि डेढ़ करोड़ पीएम आवास बने, उनको ढूंढ़कर लाना चाहिए. लेकिन उनको मेहनत करनी नहीं है. उनको एक और दिक्कत है. जब वो जनता के बीच जाएंगे तो लोग पूछेंगे कि तुम्हारे समय इतने बन रहे थे और अब डेढ़ करोड़ कैसे बन गए. रेलवे वहीं थी, डबल कैसे बने. उनको यह जवाब देना भी भारी पड़ जाएगा. सरल उपाय है कि झूठ का हौव्वा खड़ा करो और मोदी को गाली दो. इससे लोगों ने मोदी को मंत्र बना दिया.
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विश्वास तोड़ने की कोशिश की जा रही है. आपकी इमेज तोड़ने की कोशिश की जा रही है. बार-बार यह दिखाने की कोशिश हो रही है कि मोदीजी पर किसी तरह भ्रष्टाचार का दाग चस्पा कर दो. यह जो कोशिश है, आपको लगता है कि पूरा विपक्ष इसमें कामयाब हो रहा है?
पीएम मोदी : नरेंद्र मोदी का 45 साल का राजनीतिक जीवन एक तपस्या से गुजरा हुआ है. किसी अखबार वाले ने या टीवी वाले ने मोदी के पक्ष में बड़ी-बड़ी बातें लिख कर या टीवी पर शो करके मोदी को नहीं बनाया. जो अखबार के पन्नों पर पैदा होते हैं, उनकी उमर भी अखबार जितनी ही होती है, जो टीवी स्क्रीन पर जन्म लेते हैं, उनकी मर्यादा उस टीवी शो तक ही रहती है. जो तपस्या करके निकलता है, उसकी जिंदगी जन्मोजन्म तक रहती है. अगर मुझे मीडिया ने बनाया होता तो मीडिया द्वारा बर्बाद हो जाता. आज वो मीडिया के कंधे पर बंदूकें रखकर इतनी गोलियां चला रहे हैं, मेरी जिंदगी छलनी हो जानी चाहिए थी. नहीं हो रही है. उसका मूल कारण है यह किसी की कृपा से नहीं, सवा सौ करोड़ देशवासियों के आशीर्वाद के कारण मोदी है. लुटियंस के लोगों के कारण मोदी नहीं है, मोदी तो जलता हुआ आया है. इसलिए ये क्या कर रहे हैं, उसमें मैं अपना समय बर्बाद नहीं करता. मेरे दिमाग में सवा सौ करोड़ देशवासी होते हैं. उनके सपने होते हैं, उनको पूरा करने का मेरा प्रयास होता है और वही करता हूं.
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आपके कार्यकाल में लोगों ने बड़े सारे मुद्दे उठाए, टुकड़े-टुकड़े गैंग हुए, लेटरबाजी हुई, पुरस्कार वापसी शुरू हो गई या तो भ्रष्टाचार चस्पा कर दो या किसी तरह यह बता दो कि राष्ट्र के लिए मोदी अच्छा नहीं है, तीसरी चीज जो हुई, जो कहा गया कि मोदी है तो लोकतंत्र खतरे में है. आपको क्या लगता है कि आपके रहते लोकतंत्र खतरे में है?
पीएम मोदी : हमारे देश में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री दोनों को अगर जोड़ दिया जाए तो एक तो मैं लंबे अरसे तक रहकर आया हूं. रोज कई फैसले लेने पड़ते थे. इन लोगों को खोजकर निकालना चाहिए था कि ये मोदी का व्यवहार है, वह हमारे आरोपों को सिद्ध करता है. पांच साल से प्रधानमंत्री हूं. कोई एक फैसला तो बताते कि यह लोकतंत्र के खिलाफ है. ऐसा कुछ तो हुआ नहीं, सिर्फ हवाबाजी करनी है. मैं गुजरात में था, सरकार चला रहा था. महीने के आखिर में ढेर सारी फाइलें आ जाती थीं. किसी न किसी को मेमो देना, एक्सप्लेनेशन मांगना आम बात थी. मैंने अफसरों से पूछा कि ये सब क्या है. अफसरों ने बताया कि इन्क्वायरी चल रही थी और वह कर्मचारी कल रिटायर हो रहा है, इसलिए उसे नोटिस देना जरूरी है. मैंने कहा, अब इसके बाद इस तरह की कोई फाइल नहीं आनी चाहिए. ये बताइए कि यह लोकतंत्र की मजबूती है कि नहीं. उसके बाद मैं इतने साल गुजरात में रहा पर कोई हिम्मत नहीं करता था कि रिटायर हो रहे कर्मचारी की जिंदगी बर्बाद करे. गुजरात दिवस के मौके पर मैं सभी पूर्व मंत्री, सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को बुलाता था तो मेरा सभी काम लोकतंत्र की मजबूती के लिए होता है.
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इतनी कड़ी आलोचना क्यों? जिस तरह से आपको टारगेट पर रखा जाता है, बहुत एक्सट्रीम निजी हमले किए जाते हैं, इतनी नेगेटिविटी आपके विरोधियों में कैसे आ गई? क्या मोदी उनको एक खतरा लगता है?
पीएम मोदी : मुझे लगता था कि आलोचना नहीं हो रही है. मैं तो चाहूंगा कि मोदी के एक-एक काम की आलोचना होनी चाहिए. देश का दुर्भाग्य है और मेरा भी दुर्भाग्य है कि आलोचना नहीं हो रही है, सिर्फ आरोप लगाए जा रहे हैं. दोनों में बहुत अंतर है. आलोचना लोकतंत्र के लिए जरूरी हैं. इससे कमियां उभरती हैं और दूर हो जाती हैं. जब मुझे मालूम है कि झूठे आरोप है तो मैं मौज में रहता हूं, जनता की सेवा करता रहता हूं.
आप चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं, गला भी आपका खराब हो गया है. एक रैली में आपने सैम पित्रोदा के बयान का बार-बार जिक्र किया "हुआ सो हुआ". इससे पहले सैम पित्रोदा ने बालाकोट एयर स्ट्राइक पर सबूत मांगे थे. क्या यह बात गले से नीचे उतरती है कि आलाकमान की सहमति के बगैर एक सलाहकार इस तरह का बयान दे सकता है? क्या इसमें कोई रणनीति है उनकी?
पीएम मोदी : आप सिर्फ सैम पित्रोदा तक सीमित हो जाते हैं. यह ठीक नहीं है. राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे और पीएम बनने के बाद उनका पहला बयान था कि बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है. उसके बाद जितनी भी घटनाएं हुईं, उसी की कंटीन्यूटी में हैं. 84 में इतने दंगे हो गए, कितने लोग मारे गए, दिल्ली में कर्फ्यू नहीं लगा था, दिल्ली में एक भी गोली नहीं चली थी. बाद में कमीशन बने. कुछ लोगों को मंत्री बनाया गया, एक सज्जन को पंजाब का इंचार्ज बनाया गया. पंजाब में तूफान उठा तो उन्हें हटाना पड़ा. उसी व्यक्ति को सीएम बना दिया गया. जो पीड़ित परिवार है, वो समझता है कि ये तो लगातार हो रहा है, इनको तो हमारी परवाह ही नहीं है. इसलिए जवाब आता है हुआ सो हुआ.
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आप अपनी जेब में पर्स (बटुआ) रखते हैं क्या?
पीएम मोदी : पहले तो पैसे थे ही नहीं कि बटुआ रखना पड़े. पहली बार विधायक बना तो सरकार की ओर से पैसे आने लगे तो बैंक में खाता खुला. खाते में पैसे आने लगे. हर महीना जो भी मेरा खर्च होता है उतना मैं उठाता हूं, जो भी मेरा स्टाफ होता है, उस दे देता हूं कि दाल-सब्जी का खर्च मैनेज करें.
कभी अपने जेब के पैसे से विलासिता की कोई चीज खरीदी है कि नहीं?
पीएम मोदी : विलासिता के लिए हर किसी का अपना अलग मानदंड होता है. अगर कोई यह कहे कि हिमालय चले जाओ तो यह मोदी के लिए विलासिता हो सकती है और किसी के लिए यह विलासिता नहीं हो सकती. मैं अपने जीवन में बहुत अनुशासित रहा हूं और जो काम सर्वजन हित के लिए होंगे तो उसी को करना मैं पसंद करता हूं. बचपन में जाकर मुफ्त में फिल्म देखता था. मेरा एक दोस्त था दशरथ, उसके पिताजी थिएटर के बाहर चॉकलेट, चना वगैरह बेचते थे. थिएटर में सीट खाली होने पर वे हमको अंदर घुसा देते थे.
राहुल गांधी जब कहते हैं कि 30 हजार करोड़ आपने इधर से उधर कर दिए, तो आप क्या सोचते हैं?
पीएम मोदी: मैं आरोप लगाने वालों को जानता हूं, उनके इरादों को जानता हूं और देश भी जानता है. जो सवाल मुझसे पूछा जाता है, वही सवाल उनसे जाकर पूछना चाहिए. ऐसा कोई पत्रकार होता है तो मैं उसके घर जाकर सम्मानित करूंगा. अभी तक देश भर में मुझे कोई न्यूट्रल पत्रकार नहीं दिखा. उनसे जानकारी लाइए तो सही.
क्या देश के पीएम के साथ ऐसा होता है कि वे हमेशा लोगों के लिए काम करें और शाम को कोई कह दे कि चौकीदार चोर है, चायवाला बोल दे या जाति को लेकर या सोच को लेकर सवाल उठा दे तो कैसा लगता है?
पीएम मोदी : एक तो मैं भी इंसान हूं, मेरे अंदर भी संवेदनाएं हैं लेकिन मुझ पर जिम्मेदारियां भी है. मैं व्यक्तिगत भावनाओं के बदले देश की भावनाओं को समझता हूं. मैं इन हमलों को झेलने की ताकत बढ़ाता रहता हूं और जनता के आशीर्वाद से ताकत बढ़ रही है.
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अगर इस चुनाव अभियान की बात करें तो हर व्यक्ति राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा की बात करता है. क्या इन दो मुद्दों को इसलिए लाना पड़ा कि विकास के नाम पर वोट नहीं पड़ता?
पीएम मोदी : मैं तो चैलेंज करता हूं कि आओ विकास पर बहस करो. वो ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि इसके लिए अध्ययन करना पड़ेगा और साथ ही 70 साल का हिसाब देना पड़ेगा. जब पुलवामा हुआ सबसे पहले बयान आया कहां है 56 इंच, क्या कर रहा है मोदी. जब हमने एयर स्ट्राइक किया तो सवाल उठाए गए कि क्यों किया, फिर कहते हैं कि बोलते क्यों हो. अब इसका क्या जवाब हो सकता है. अभी हमने मिसाइल से सैटेलाइट गिराने में सफलता हासिल की. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. हम दुनिया की चौथी महाशक्ति बने गए. अब उनकी शिकायत है कि चुनाव के समय ऐसा क्यों हुआ, टीवी पर आकर क्यों बोले. यह ग्लोबल कम्युनिटी के लिए जरूरी होता है, उनको यह समझना चाहिए. अगर पुणे में रोड पर गड्ढा है तो मोदी जिम्मेदार है, लेकिन इतनी बड़ी उपलब्धि वैज्ञानिकों ने हासिल की.
क्या आपको लगता है कि इनको मोदी फोबिया है?
पीएम मोदी : विपक्ष का यह काम है और करना चाहिए, लेकिन पूरी जानकारी के आधार पर और पूरी जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए.
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जब पुलवामा हो गया और आपने एयर स्ट्राइक का निर्णय लिया तो आपके मन में क्या चल रहा था, क्योंकि वह परमाणु संपन्न राष्ट्र है? कुछ डर था मन में, अगर न्यूक्लियर ब्रेक पर पहुंच गया तो...
पीएम मोदी : मोदी को क्रेडिट नहीं देना चाहिए. मोदी को लेना भी नहीं चाहिए, लेकिन यह हिन्दुस्तान का पराक्रम है या नहीं. सेना हमारे देश की है कि नहीं है, हमें गर्व होना चाहिए कि नहीं, पाकिस्तान जो बोले वो बोलना गलत है या नहीं. मैं यह थोड़े बोल रहा हूं कि मैं बम फेंकने गया था. हमारा देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहा है. उनको डर है कि उनसे लोग पूछेंगे कि 26/11 के बाद आपने क्यों नहीं किया.
आपके समर्थक कहते हैं कि क्रेडिट क्यों नहीं देना चाहिए. वो कहते हैं कि अगर उस दिन किसी एयरक्राफ्ट के साथ कुछ हो जाता तो कौन जिम्मेदार होता?
पीएम नरेंद्र मोदी : मैं कहता हूं कि मुझे क्रेडिट नहीं लेनी है. यहां कोई पक्ष में बोलेगा कोई विपक्ष में बोलेगा. मैं मानता हूं कि यह पराक्रम हिन्दुस्तान का है, यह जवानों का है और हमें उस पर गर्व करना चाहिए.
आप उस रात सोए थे, जब एयर स्ट्राइक को हमारे जवान गए थे?
पीएम मोदी : मैं दिन भर बहुत व्यस्त था. वार मेमोरियल का उद्घाटन था. चुरू में रैली करने गया था. मेरा कार्यक्रम चलता रहा था. मैं टीम प्लेयर हूं. जिसको काम एसाइन करता हूं वो करता है. यह काम टीम ने किया था. रात को 9 बजे मैंने रिव्यू किया, फिर रात को 12 बजे रिव्यू किया. हमारे सामने समस्या थी कि उस समय मौसम खराब हो गया था. यह बात मैं पहली बार बोल रहा हूं. अचानक एक सुझाव मिला कि डेट बदल दें क्या? मैंने कहा कि इस मौसम में हम रडार से बच सकते हैं. डेढ़ बजे हमने मूवमेंट शुरू किया. हम तीन-चार दिन से पाकिस्तान के किसी और स्थान के बारे में चर्चा चला रहे थे. हमारे एक सेट जहाज वहां गए भी थे, जिससे पाकिस्तान उस जगह को लेकर फोकस हो गया. दूसरी ओर, नौसेना ने मूवमेंट बढ़ा दी थी, जिससे पाकिस्तान को लगा कि कराची पर हमला होने वाला है. इससे पाकिस्तान कन्फ्यूज हो गया और हमारा ऑपरेशन सफल हो गया.
जब सेना ने ऑपरेशन किया तो क्या पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई के बारे में अंदाजा लगाया था?
पीएम मोदी : ऑपरेशन सेना ने किया था, कुछ बुरा हो तो जिम्मेदारी मेरी है, उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए, कुछ अच्छा है तो क्रेडिट उनको दिया जाना चाहिए. वो जिंदगी के साथ खेलते हैं. ऐसा नहीं है कि एक नेताजी हैं, दिन भर वीडियो गेम खेलते रहते हैं. मैं उनसे पूछता हूं कि क्या चल रहा है तो बताते हैं कि नया वीडियो गेम आया है.
जब आपको खबर मिली कि हमारे पायलट पाकिस्तान में पकड़ लिए गए हैं, उस वक्त से लेकर रिहाई तक क्या चल रहा था?
पीएम मोदी : तब मैं विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम में था तो मुझे इस तरह का मैसेज आया. मैंने कार्यक्रम पूरा किया. पाकिस्तान में हड़बड़ी में झूठ बोला. भयवश उन्होंने बोल दिया कि दो जहाज गिरा दिए हैं, दो पायलट मार दिए हैं, एक पायलट हमारे कब्जे में है. बाद में पता चला कि उनके एक जहाज और दो पालयट उनके मारे गए हैं. हमारा एक पायलट और एक जहाज गया, वो तो हमें पता था. दोपहर में हमारे विदेश सचिव ने प्रेस कांफ्रेंस की. हमने सार्वजनिक रूप से कहा कि हमारे पायलट को एक भी खरोंच आई तो फिर बात बिगड़ जाएगी. यह हमारा पब्लिक स्टेटमेंट है.
जब आपका शपथग्रहण हुआ तो सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों को बुलाया गया, नवाज शरीफ के घर गए, पठानकोट जांच के लिए ISI तक को जांच में शामिल किया.
पीएम मोदी : आपकी बात सही नहीं है. हमने सरकार को पठानकोट की जांच के लिए कहा था. आईएसआई को नहीं. इसको एक अलग तरीके से देखिए. देश को भी यह समझाना जरूरी है. लोग यह मानकर चल रहे थे कि अरब देशों के साथ अब भारत के संबंध बिगड़ जाएंगे. आज हमारी सबसे अधिक दोस्ती अरब देशों के साथ है. अगर मैं शपथग्रहण में इनको न बुलाता तो यह मैसेज जाता कि इनके मन में तो पूर्वाग्रह है. आज दुनिया यह समझ गई है कि मोदी दोस्ती चाहता है. पाकिस्तान ने जब पठानकोट किया तो दुनिया को समझाना नहीं पड़ा. एयर स्ट्राइक का सबसे बड़ा लाभ क्या हुआ या मसूद अजहर को लेकर जो फैसला हुआ उसका लाभ क्या हुआ. पाकिस्तान के एक बहुत बड़े वर्ग सामने आए, पाकिस्तानी पासपोर्ट की आज कोई कीमत नहीं है. पाकिस्तान में दबाव बन रहा है कि इन लोगों से छुट्टी पाओ. पठानकोट की जांच और मेरे लाहौर जाने से बड़ा ग्राउंड तैयार हुआ. और बुरा करोगे तो मैं मोदी हूं, ये मैसेज गया.
आलोचक कहते हैं कि आप बिना बुलाए पाकिस्तान चले गए, यह तो कोई फॉरेन पॉलिसी नहीं है.
पीएम मोदी : मैं जब मुख्यमंत्री था और पीएम कैंडीडेट बनाया गया था तो लोग कहते थे कि मुझे कोई समझ नहीं है, संसद में कभी बैठा नहीं है. वह आलोचना सही थी. मैं अनुभवी नहीं था. मैंने 2014 में एक इंटरव्यू में कहा था, मैं दुनिया में किसी से आंख झुकाकर बात नहीं करूंगा, आंख उठाकर भी बात नहीं करूंगा. मैं बराबर आंख मिलाकर बात करूंगा. जिसको कुर्सी की चिंता होती है वही यह सोचता है. फिर मोदी को यहां बैठाने की जरूरत ही नहीं है.
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मोदी जी सेट गाइडलाइंस के बजाय बेसिक इंस्टिंक्ट को फॉलो करते हैं.
पीएम मोदी : मैं भारत के संविधान में जो लिखा है, उसी बुक के आधार पर चलता हूं. मैं वही शपथ लेकर पीएम बना हूं.
सेना के शौर्य के नाम पर वोट मांगते हैं आप, विरोधी आप पर आरोप लगाते हैं, आप इसे कैसे देखते हैं?
पीएम मोदी : अच्छा होगा कि पत्रकारिता में बैठे लोग निकालकर लाएं और बताएं कि मोदी ने सेना के नाम पर वोट मांगे, लेकिन मैं यह नहीं कहूं कि हमारे देश के बड़े दल के नेता सेनाध्यक्ष को गली का गुंडा कहे, वायुसेनाध्यक्ष को झूठा कहे, तो ये विवाद का विषय होगा कि नहीं. यह नगरपालिका का चुनाव है क्या. यह देश का चुनाव है, इसमें सेना भी होती है, सीमा भी होती है, घोषणापत्र में होते हैं ये सब. अगर उसमें लिखा है तो जनता के बीच बोलने में क्या जाता है.
वो कहते हैं कि वे अपने सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र नहीं करते, मनमोहन सिंह की सरकार में 6 बार सर्जिकल स्ट्राइक के दावे किए गए.
पीएम मोदी : पहले उन्होंने उपहास किया. फिर भी सर्जिकल स्ट्राइक लोगों के दिमाग पर असर करने लगी तो फिर इन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया. तब उन्होंने तीसरा खेल खेला कि हमने भी सर्जिकल स्ट्राइक किया था. एक ने तीन कहा, तो किसी ने 30 सर्जिकल स्ट्राइक तक गिना दिए गए. अब सेना के अधिकारी कहने लगे कि हमारे कार्यकाल में नहीं हुआ. ऐसी कैसी सर्जिकल स्ट्राइक थी कि उसमें सेना ही नहीं थी. तो क्या उनकी सर्जिकल स्ट्राइक वीडियो गेम वाली थी. उनके नेता हैं जो वीडियो गेम में अपना समय खपाते हैं.
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राहुल गांधी आपको बहुत प्यार करते हैं, वो कहते हैं कि मैं प्यार बांटने गया था, वो गले मिले थे या गले पड़े थे?
पीएम मोदी : आप उनसे बात कीजिए, उनसे सुनिए. आज ही मुझे किसी ने भेजा है कि 48 घंटे में 6 नई गालियां आई हैं. उनकी प्रेम डिक्शनरी और प्रेम वर्षा को मैं भुगत रहा हूं.
प्रियंका गांधी कह रही हैं कि बार-बार आप उनके परिवार को टारगेट करते हैं.
पीएम मोदी : जी नहीं, मैं वंशवाद की राजनीति के खिलाफ हूं. बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा था, लोकतंत्र का सबसे बड़ा दुश्मन वंशवाद है. उनसे हमारी क्या दुश्मनी है.
अंतिम दो चरण के चुनाव में आप गांधी परिवार को क्यों लेकर आए?
पीएम मोदी : कांग्रेस के अध्यक्ष महोदय ने एक इंटरव्यू में कहा कि हमारी पूरी रणनीति मोदी की छवि तोड़ने की है. वो खत्म किए बिना हमारी राजनीति नहीं हो सकती. और इसलिए ये सब हम कर रहे हैं. उसके जवाब में मैंने झारखंड में मेरी सभा थी. मुझे आश्चर्य हुआ कि एक पार्टी की रणनीति इस पर केंद्रित है कि एक मोदी की छवि को कैसे भी धूमिल किया जाए. मेरी 45 साल की जो छवि बनी है, लुटियन पत्रकारों ने बड़े-बड़े फोटो छापकर मेरी छवि नहीं बनाई, लेकिन इस देश के पूर्व प्रधानमंत्री को इसी लुटियन पत्रकारों ने मिस्टर क्लीन बनाया था, लेकिन जाते-जाते वे क्या लेवल लेकर गए. दूसरी बात उन्होंने यह बात कही कि क्या सेना मोदी की पर्सनल संपत्ति है? फिर मैंने उनके इस आरोप के जवाब में मैंने देश को बताया कि कैसे पर्सनल संपत्ति के रूप में आईएनएस विराट का उपयोग किया गया. उसके बाद उनका साथी आगे आ गया... हुआ तो हुआ. फिर वे फंस गए. छवि उनकी खराब होती है, जो अखबारों में छपकर आगे बढ़ते हैं. धूल फांककर आगे बढ़ने वालों की छवि खराब नहीं होती है. मैंने कहा, भोपाल में जो गैसकांड हुआ और 2800 लोग मारे गए थे और मिस्टर एंडरसन को स्टेट प्लेन दिल्ली लाए और रातोंरात अमेरिका भिजवा दिया. इसलिए मैंने भोपाल, दिल्ली और पंजाब में राजीव गांधी के सम्मान पर चुनाव लड़िए. मैं अपमानित करता हूं तो आप सम्मान में सामने आइए न.
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प्रियंका गांधी ने कहा था, यह चुनाव नोटबंदी, जीएसटी पर लड़ा जाना चाहिए और महिला सुरक्षा पर लड़ा जाए.
पीएम मोदी : उत्तर प्रदेश का पूरा चुनाव नोटबंदी पर लड़ा गया था. और दिल्ली की मीडिया भी बैंकों के सामने लंबी कतारें दिखाती थी. इतना उत्साह था कि 6 तारीख की फोटो 20 तारीख को भी दिखाते थे कि आग लगे, लेकिन आग लगी नहीं. गुजरात के चुनाव में जीएसटी का मुद्दा उछाला गया. गुजरात के व्यापारियों को उकसाया था. सूरत को ब्वॉयलिंग प्वाइंट बनाया था. इन मुद्दों पर चुनाव हो चुके हैं.
प्रियंका गांधी का कहना है कि आपके भाषणों में इन मुद्दों के बारे में बात नहीं होती.
पीएम मोदी : आज ही मैं हिमाचल की रैली में जीएसटी पर बोलकर आ रहा हूं.
72 हजार की न्याय स्कीम पर कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार के 6 हजार आए या न आएं, 72 हजार रुपये खाते में जरूर आएंगे.
पीएम मोदी : आप टेप रिकॉर्डर पर भरोसा करेंगे या ट्रैक रिकॉर्डर पर. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में किसानों को भरोसा दिया गया था कि सारे कर्ज माफ हो जाएंगे. बेरोजगार युवकों को भत्ता देने की बात कही गई थी. कहा था 10 दिन में किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री बदल दिया जाएगा. आज 6 माह हो गए, किसानों को नोटिस भेजे जा रहे हैं. बैंक नए पैसे नहीं दे रहे हैं. 2004 में उन्होंने कहा था कि हर घर में बिजली देंगे, 2009 में कहा था कि 90 प्रतिशत घरों में बिजली देंगे और यह काम मैं अब भी कर रहा हूं. कभी आप मेरा ट्रैक रिकॉर्ड देखिए.
कालाधन और 15 लाख रुपये की बात जोड़कर छत्तीसगढ़ में भाषण दिया था. 15 लाख रुपये देने की बात आपने कभी नहीं की, लेकिन यह बाद में बड़ा मुद्दा बन गया. जब ऐसे मुद्दे बन जाते हैं तो आप इसे कैसे देखते हैं.
पीएम मोदी : मैं आभारी हूं कि आपने इस पर रिसर्च किया. जब बोफोर्स हुआ तो उस समय वीपी सिंह ने कहा था, कितने रुपये खा गए, मालूम है आपको. अगर इन पैसों का हिसाब लगाऊं तो इतने खेतों में कुआं होता, इतने खेतों में ट्यूबवेल लग जाता. वो वीपी सिंह के समझाने का तरीका था. झूठ की चीजों में मैं समय बर्बाद नहीं करता.
बसपा प्रमुख मायावती जी का कहना है कि आप ओबीसी नहीं हैं. क्योंकि आप ओबीसी होते तो आरएसएस आपको पीएम नहीं बनाती. उनके इस बयान को आप किस नजरिए से देखते हैं?
पीएम मोदी : मैंने तो कभी कहा नहीं कि मैं क्या हूं. मैं चायवाला हूं, यह भी यही लोग खोजकर लाए. 1995 में गुजरात में बीजेपी के भीतर तनाव पैदा हुआ. शंकर सिंह वाघेला अलग हो गए. उस समय गुजरात में बिहार के एक दो पत्रकार थे. उन्होंने चलाया कि बैकवर्ड-फॉरवर्ड की समस्या है. शंकर सिंह जी बैकवर्ड हैं और मोदी जी फॉरवर्ड हैं. मैंने पूछा कि भाई ये कहां से लाए हो. मैंने उन्हें बताया कि शंकर जी फॉरवर्ड हैं और मोदी बैकवर्ड है. तो उन्होंने कहा कि आपको देखकर यह लगता ही नहीं. अब ऐसी चीजों में कहां समय खराब करेंगे.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आपको लेकर बहुत नकारात्मक हैं. बंगाल का चुनाव बहुत हिंसक और कड़वा हो गया है.
पीएम मोदी : सवाल बीजेपी की नहीं है, सवाल मोदी का नहीं है, सवाल लोकतंत्र का है. इतनी भयंकर हिंसा हो रही है, लेकिन दिल्ली में बैठे पत्रकार इस पर चुप हैं. जम्मू कश्मीर में कोई भी घटना हो जाए तो आपलोग उछाल देंगे. वहां पंचायत चुनाव में एक भी बूथ पर हिंसा नहीं हुई. पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में सैकड़ों लोगों की हत्या की गई. जो चुनकर आए उनके घर जला दिए गए. उन्हें झारखंड के विस्थापित कैंपों में रहना पड़ रहा है. वहां लोगों को मारकर पेड़ों पर लटकाया जाता है. आपलोग चुप हैं.
न्यूज नेशन ने पश्चिम बंगाल की हिंसा दिखाई, वोटिंग में धांधली दिखाई, चुनाव आयोग ने उस पर एक्शन भी लिया. हम अपनी जिम्मेदारी का पूरा निर्वहन भी करते हैं.
पीएम मोदी : ऐसी सैकड़ों वीडियो सोशल मीडिया में हैं.
अब 23 मई की बात करते हैं. 21 मई को सभी विपक्षी दल मिलने वाले हैं. उनको ये लगता है कि आप गठबंधन नहीं चला सकते. आपको वन मैन आर्मी मानते हैं लोग.
पीएम मोदी : मैं जब संगठन में था तब चिमन भाई पटेल सीएम थे और केशुभाई पटेल डिप्टी सीएम थे. मुझे वहीं से गठबंधन के संस्कार मिले. जम्मू कश्मीर में हम फारुख अब्दुल्ला के साथ काम किए, हरियाणा में वंशीलाल और चौटाला जी के साथ काम किया, पंजाब में अकाली दल के साथ रहे. पूर्ण गठबंधन आने के बाद भी 2014 में हमने गठबंधन की सरकार चलाई. पूर्ण बहुमत आने के बाद भी हमने गठबंधन सरकार चलाई. सामना में रोज खिलाफ में आर्टिकल छपता था, लेकिन हम उनके सांसद मेरी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. इसलिए गठबंधन सरकार चलाने में हमारा इनका कोई मुकाबला नहीं. और यह अटल जी की लिगेसी है.
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आप इतना गैजेट फ्रेंडली कैसे बने?
पीएम मोदी : तकनीक के प्रति मेरी रुचि थी. 1987 में मैंने डिजिटल कैमरा का उपयोग किया था. मैंने आडवाणी जी की रैली की फोटो दिल्ली भेजी थी और दूसरे दिन कलर फोटो छपी थी. आडवाणी जी को हैरानी थी कि कलर फोटो कैसे छपी. गुजरात में मैंने एक संस्था को जन्म दिया था आई क्रिएट. इजरायल के साथ इस संस्था की पार्टनरशिप है.
आपको आम खाना पसंद है, लेकिन दिन भर में क्या खाना पसंद करते हैं?
पीएम मोदी : मैं सफर में ज्यादातर खाना लेकर जाता हूं. मैं लिक्विड मूंग लेकर जाता हूं या गुजराती खाकड़ा खाता हूं. उसके अलावा मैं चाय पी लेता हूं. सुबह 5 बजे और शाम को 6 बजे चाय पीने की आदत है. तली-भुनी चीजें पसंद नहीं करता. अरुण जेटली के कारण मुझे खाने की वैरायटी के बारे में जानकारी हुई. संगठन में होने के दौरान अरुण जेटलीजी के साथ खाना खाने जाते थे. वे खाने के बहुत शौकीन हैं.
आपको खिचड़ी बहुत पसंद है.
पीएम मोदी : गरीब परिवारों में खिचड़ी बनाना आम बात है. एक टाइम खाना तो खिचड़ी ही बनती है. हम भी खाना बनाना जानते हैं.
क्या-क्या बनाते हैं आप?
पीएम मोदी : सब कुछ बना लेते हैं, रोटी भी बना लेता हूं. घर में मैं हमेशा मां को मदद करता था. जब घर छोड़ दिया तो खुद ही बनाना होता था. पांच साल में कभी किचन में गए? नहीं. मौका नहीं मिला और न ही मेरा यह शौक है.
हमें लगता है कि फोटोग्राफी आपका शौक है. सेल्फी को आपने पॉपुलर कर दिया.
पीएम मोदी : मैं कभी फोटोग्राफी करता था. अहमदाबाद में फोटो जर्नलिस्टों के क्लब में मैं प्रेजेंटेशन देता था. प्रकृति के फोटो करता था. आज मैंने हिमाचल में कैमरा लेकर खुद ही फोटोग्राफी की.
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फैशन के बारे में रुचि रखते हैं? आपने जवाहर जैकेट को मोदी जैकेट बना दिया.
पीएम मोदी : मुझे कोई जानकारी नहीं है. मैं तो फैब्रिक के बारे में जानता तक नहीं. मैं हाफ स्लीव वाला कुर्ता पहनता हूं. मैं अपने कुर्ते की आस्तीन काटकर आधी कर दी. मैं सोचता था कि इतना फालतू मैं क्यों धोऊं.
आपको यादव होगा मनाली में एक बार अटल जी की मौजूदगी में आपने काव्यपाठ किया था. कवि नरेंद्र मोदी से जानना चाहता हूं कि क्या आपने पिछले 5 सालों में कुछ लिखा है कि नहीं?
पीएम मोदी : आज ही लिखा है. पता नहीं दर्शकों को यह अच्छा लगेगा कि नहीं.....
आसमान में सिर उठाकर
घने बादलों को चीरकर
रोशनी का संकल्प लें
अभी तो सूरज उगा है
दृढ़ निश्चय के साथ चल कर
हर मुश्किल को पारकर
घोर अंधेरे को मिटाने
अभी तो सूरज उगा है
विश्वास की लौ जलाकर
विकास का दीपक लेकर
सपनों को साकार करने
अभी तो सूरज उगा है
न अपना न पराया
न मेरा न तेरा
सबका तेज बनकर
अभी तो सूरज उगा है
आग को समेटते
प्रकाश को बिखेरता
चलता और चलाता
अभी तो सूरज उगा है
विकृति ने प्रकृति को दबोचा
अपनों से ध्वस्त होती आज है
कल बचाने और बनाने
अभी तो सूरज उगा है
क्या यह 2019 की नई सरकार सूरज है?
पीएम मोदी : अब आप कवि सम्मेलन करवाइए, इस पर चर्चा होगी.
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आपने 100 दिन की सरकार का एजेंडा भी सेट करना शुरू कर दिया है?
पीएम मोदी : 2014 में जब सरकार बनी तो काफी दिन इसमें बीत गए. मुझे समय की बर्बादी अच्छी नहीं लगती. अब मैं फिर नहीं चाहता कि नई सरकार के समय भी ऐसा हो.
आप एक सांसद के घर पर एक गैराज में रहा करते थे, वहां से 7 RCR का सफर कैसा रहा? इसके अलावा आपने पीएम और लोगों के बीच की दूरी को पाटने की कोशिश की. क्या सोच रही?
पीएम मोदी : मैं गैराज में रहता था तो मेरे लिए नया नहीं था. मैं एक मंदिर में रहता था तो वहां पैर भी सीधे नहीं होते थे. मेरी मन की अवस्था अलग है. मैं जनता के बीच गए बिना रह ही नहीं सकता. मैं मन से पीएम अभी बना ही नहीं हूं. जब फाइल पर साइन करता हूं तभी पीएम होता हूं. हमारे एसपीजी वाले परेशान रहते हैं.
हमारे एडिटर इन चीफ संजय कुलश्रेष्ठ का अनुरोध था कि लाल किले की प्राचीर पर ही आपका इंटरव्यू करें.
पीएम मोदी : इंटरव्यू की चर्चा कम होगी और लाल किले के दुरुपयोग की चर्चा अधिक होगी.
HIGHLIGHTS
- पीएम नरेंद्र मोदी का New Nation पर Exclusive Interview
- पीएम नरेंद्र मोदी ने पुलवामा से लेकर एयर सर्जिकल पर दिया जवाब
- पीएम नरेंद्र मोदी ने खाने से लेकर पोशाक के बारे में बताया
Source : News Nation Bureau