महाराष्ट्र के नांदेड़ की रैली में दिए गए संबोधन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फैसला लेने में चुनाव आयोग ही दोफाड़ हो गया. सूत्र बता रहे हैं कि दो में से एक चुनाव आयुक्त ने इस फैसले पर अपनी असहमति जताई थी. इस पूरे मामले से जुड़े उच्च सूत्रों ने यह जानकारी दी है. एक चुनाव आयुक्त ने एक अप्रैल को वर्धा के भाषण को लेकर प्रधानमंत्री को क्लीन चिट के आयोग के फैसले पर असहमति जताई थी. इस भाषण में मोदी ने कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी पर अल्पसंख्यक बहुल वायानाड सीट से चुनाव लड़ने को लेकर निशाना साधा था. चुनाव आयोग ने बीते तीन दिनों में प्रधानमंत्री के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोपों को लेकर कांग्रेस की शिकायतों पर अपना फैसला दिया है.
दूसरी तरफ, पीएम ने नौ अप्रैल को लातूर में पहली बार वोट करने जा रहे युवाओं से बालाकोट हवाई हमले तथा पुलवामा शहीदों के नाम पर वोट की अपील की थी. पीएम पर फैसला देने वाली चुनाव आयोग की टीम मे मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, साथी चुनाव आयुक्त अशोक लवासा तथा सुशील चंद्र शामिल थे.
एक अधिकारी ने बताया कि चूंकि यह एक अर्द्ध न्यायिक निर्णय नहीं था इसलिए असहमति को दर्ज नहीं किया गया. इसमें विचार को मौखिक रूप से बैठक में रखा गया. आपको बता दें कि सभी चुनाव आयुक्त की आयोग के फैसलों में बराबर की हिस्सेदारी होती है. किसी मामले में जहां मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की राय अलग-अलग होती है वैसे मामलों में फैसला बहुमत से होता है.
(With PTI Inputs)
Source : News Nation Bureau