लोकसभा चुनाव के घमासान के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देशभर के 20 फीसद परिवारों को सालभर में 72 हजार रुपये देने का वादा किया तो लोग इसे संदेह की नजरों से देखने लगे. राहुल गांधी ने कहा- पहले 14 करोड़ लोगों को ग़रीबी से निकाला है, दूसरे फ़ेज़ में अबकी बार 25 करोड़ लोगों को गरीबी से निकालेंगे. जो किसी देश में नहीं हुआ, हम लागू कर दिखायेंगे. देश के सबसे ग़रीब 20% लोगों को देंगे ₹72,000.
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यही राहुल गांधी 6 साल बोले थे कि किसी को कुछ देकर गरीबी नहीं दूर की जा सकती. उन्होंने कहा था कि गरीबी सिर्फ एक मानसिक स्थिति यानी दिमागी हालत है और इसका खाना खाने, रुपये और भौतिक चीजों से कोई वास्ता नहीं है. राहुल गांधी के मुताबिक़, जब तक कोई शख्स खुद में आत्मविश्वास नहीं लाएगा, तब तक वह गरीबी के मकड़जाल से बाहर नहीं निकल पाएगा.
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छह साल पहले राहुल गांधी ने यह बातें इलाहाबाद के झूंसी इलाके के गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के दलित रिसोर्स सेंटर द्वारा "संस्कृति- जनतंत्र का प्रसार और अति उपेक्षित समूह" विषयक पर आयोजित कराई गई गोष्ठी में कही थी. राहुल गांधी इस गोष्ठी में चीफ गेस्ट थे. गोष्ठी में दलित समुदाय की बेहद पिछड़ी हुई जातियों नट - मुसहर, कंजर धरिकार, सपेरा, चमरमंगता और बांसफोर वगैरह के यूपी के अलग- अलग हिस्सों से आए सैकड़ों प्रतिनिधि भी शामिल थे.
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इन जातियों के प्रतिनिधियों ने अपनी गरीबी और सामाजिक हालात को बयान करते हुए राहुल गांधी से अपने लिए कुछ किए जाने की मांग की तो बदले में राहुल ने उन्हें मेंटल कॉन्फिडेंस के जरिये गरीबी दूर करने की नसीहत दे डाली, हालांकि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राहुल गांधी ने इन जातियों को सियासत में सक्रिय होने और अपने नुमाइंदे तैयार करने की हिदायत दी.
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इस कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि उनकी सरकार गरीबों के लिए तमाम योजनाएं चला रही है. गरीबी को खत्म करने के भी इंतजाम किए जा रहे हैं, लेकिन गरीबी को तब तक खत्म नहीं किया जा सकता, जब तक कि गरीब अपने आत्मविश्वास और आत्मबल के जरिये इससे बाहर नहीं निकलना चाहेगा. सिर्फ खाना और पैसा मुहैया हो जाने से लोग गरीबी से नहीं उबर सकते हैं. राहुल गांधी के मुताबिक, किसी को कुछ देकर गरीबी नहीं दूर की जा सकती और न ही उसका सोशल स्टेटस बदला जा सकता है.
राज बब्बर ने उड़ाया था मजाक
राज बब्बर ने देश भर को 12 रुपये में भर पेट खाना खिलाने का दावा किया था. कह रहे थे कि मुंबई में 12 रुपये में ही भर पेट खाना मिल जाता है. जब बयान पर सवाल उठे तो कांग्रेस सांसद अब अपने पुराने बोल से पलट गए हैं. वो कहते हैं कि उन्होंने तो अपना बयान गरीब लोगों को मिलनेवाली सब्सिडी के संदर्भ में कहा था. अगर किसी को इस बयान से ठेस पहुंची है, तो उन्हें इसका खेद है. बता दें उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी और कांग्रेस के मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. सरकार महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्ष के निशाने पर थी.
Source : DRIGRAJ MADHESHIA