लोकसभा चुनाव 2019 के अंतिम चरण से पहले ही यूपीए ने क्षेत्रीय दलों से संपर्क करने की तैयारी कर ली है. शनिवार को जहां चंद्रबाबू नायडू ने राहुल गांधी से मुलाकात कर ली है वहीं वो शनिवार की शाम को लखनऊ में अखिलेश यादव और मायावती से मुलाकात करेंगे. लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों से पहले ही यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने क्षेत्रीय दलों से बातचीत करने के लिए कांग्रेस की एक कोर टीम बनाई है. इस कोर टीम में गांधी परिवार के करीबी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल, पी चिदंबरम, कमलनाथ, अशोक गहलोत, ए के एंटोनी को शामिल किया गया है.
जोड़-तोड़ करने में माहिर हैं यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी
आपको बता दें कि सोनिया गांधी क्षेत्रीय दलों से जोड़-तोड़ करने में माहिर हैं. महज साल 1998 में जब सोनिया गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला तब लोकसभा में पार्टी की महज 141 सीटें ही थीं जो कि कुल सीटों का 26 प्रतिशत था. अगले आम चुनाव साल 2004 में सोनिया के नेतृत्व में कांग्रेस ने 145 सीटें जीतीं और भारतीय जनता पार्टी ने 138 सीटें फिर भी सत्ता कांग्रेस के हाथों में पहुंची. कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों को मिलाकर 2004 में यूपीए-1 की सरकार बना ली और 5 साल तक शासन किया. इसके बाद अगले चुनाव (2009) में कांग्रेस की सीटों की संख्या बढ़कर 206 तक जा पहुंची जबकि यूपीए गठबंधन को 262 सीटें मिली. वहीं इस बार भारतीय जनता पार्टी को महज 116 सीटें ही मिली यूपीए को सरकार बनाने के लिए महज 10 सीटों की आवश्यकता थी जो कि सपा, बसपा और आरजेडी के समर्थन से पूरी हो गई.
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सोनिया गांधी का सियासी सफर
सोनिया राजनीति में नहीं आना चाहती थीं पति राजीव गांधी की आत्मघाती हमले में हत्या के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की घोषणा कर दी. उस वक्त सोनिया अपने पति की हत्या के सदमे में थीं और उन्होंने इससे इनकार कर दिया. उन्होंने कहा था कि अपने बच्चों को भीख मांगते हुए देख लूंगी लेकिन राजनीति में नहीं आऊंगी. एक बार सोनिया ने बताया था कि वह राजनीति में इसलिए आईं क्योंकि कांग्रेस मुश्किल में थी, अगर वो राजनीति में नहीं आतीं तो लोग उन्हें कायर कहते. उसके बाद साल 1999 में सोनिया गांधी ने पहली बार अमेठी से चुनाव लड़ा और जीता वो इस बार विपक्ष की नेता भी चुनी गईं इसके बाद साल 2004 में वो रायबरेली से चुनाव लड़ीं जीतीं और कांग्रेस सत्ता में आई इसके बाद साल 2009 में भी उन्होंने रायबरेली से ही चुनाव लड़ा इस बार भी सत्ता की चाबी यूपीए के हाथों में आई. साल 2014 में सोनिया गांधी तो रायबरेली से जीत गईं लेकिन सत्ता बीजेपी के हाथों में चली गई साल 2019 में एक बार फिर से वो रायबरेली से मैदान में हैं.
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HIGHLIGHTS
- क्षेत्रीय दलों से बातचीत के लिए सोनिया गांधी ने बनाई कोर कमेटी
- कोर कमेटी में कांग्रेस के सीनियर नेता
- सोनिया गांधी है जोड़-तोड़ की राजनीति में माहिर
Source : मोहित राज दुबे