देश की सबसे बड़ी आईटी (IT) कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (TCS) ने राजनीतिक पार्टियों को 220 करोड़ रुपये का चंदा दिया है. कंपनी की चौथी तिमाही के नतीजों में इसकी जानकारी दी गई है. TCS ने शुक्रवार को जनवरी-मार्च तिमाही के नतीजे जारी किए हैं. कंपनी ने चुनावी फंड के खर्च को अन्य खर्चों में शामिल किया है. बता दें कि कंपनी की यह अब तक सबसे बड़ा चुनावा डोनेशन है. हालांकि अभी तक किन पार्टियों को यह चंदा दिया गया है. इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है.
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राजनीतिक पार्टियों को टाटा कंसल्टेंसी ने दिया 220 करोड़ का चंदा
- टीसीएस ने इससे पहले टाटा ट्रस्ट की ओर से 2013 में स्थापित प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट (पीईटी) को चंदा दिया था.
- TCS ने के मुताबिक राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए 220 करोड़ रुपये दिए गए
- प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट ने एक अप्रैल, 2013 से लेकर 31 मार्च, 2016 के बीच कई राजनीतिक पार्टियों को चंदा दिया
- भारत में कई इलेक्टोरल ट्रस्ट मौजूद हैं, जोकि कॉरपोरेट और राजनीतिक दलों के बीच मध्यस्थ हैं.
- सभी इलेक्टोरल ट्रस्ट में सबसे बड़ा इलेक्टोरल ट्रस्ट प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट है, जिसके सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में भारती ग्रुप और DLF हैं.
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क्या है चुनावी बॉन्ड (इलेक्टोरल बॉन्ड)
इलेक्टोरल बॉन्ड (चुनावी बॉन्ड) योजना को राजनीतिक चंदे के लिए नकदी का एक विकल्प है. राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारर्दिशता लाने के लिए यह व्यवस्था शुरू की गई है. चुनावी बॉन्ड खरीदकर किसी पार्टी को देने से 'बॉन्ड खरीदने वाले' को कोई फायदा नहीं होगा. न ही इस पैसे का कोई रिटर्न है. ये पैसा पॉलिटिकल पार्टियों को दिए जाने वाले दान की तरह है.
Source : News Nation Bureau