यदि आप जम्मू एवं कश्मीर से तमिलनाडु तक जाएं तो रास्ते में पड़ने वाले आधा दर्जन राज्यों में कांग्रेस का एक भी सांसद नहीं मिलेगा. पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव में 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक भी सीट नहीं जीत पाई है. चुनाव हारने वालों में कांग्रेस के आठ मुख्यमंत्री और लोकसभा में पार्टी के नेता शामिल हैं. जिन बड़े राज्यों में कांग्रेस का खाता नहीं खुला है, उनमें राजस्थान, आंध्र प्रदेश, गुजरात और ओडिशा शामिल हैं.
छोटे राज्यों में जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड शामिल हैं. इसके अलावा अंडमान एवं निकोबार, दादरा एवं नगर हवेली, दमन एंड दीव, लक्षद्वीप, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा में भी कांग्रेस कोई सीट नहीं जीत पाई है. लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक में कलबुर्गी सीट से हार गए हैं. पार्टी ने लोकसभा चुनाव में कई पूर्व मुख्यमंत्रियों को मैदान में उतारा था और वे सभी चुनाव हार गए. इसमें दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित उत्तर पूर्व दिल्ली से, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भोपाल से, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और सुशील शिंदे क्रमश: नांदेड़ व सोलापुर से, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत नैनीताल से, मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा तुरा से, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा सोनीपत से और वीरप्पा मोइली कर्नाटक में चिकबल्लूर से चुनाव हार गए हैं.
सिर्फ केरल को छोड़ कर कांग्रेस किसी भी राज्य में दहाई के अंक में सीटें नहीं जीत पाई है. केरल में कांग्रेस ने 15 सीटें जीती है. इसके अलावा पंजाब और तमिलनाडु में आठ-आठ सीटें कांग्रेस ने हासिल की है. बड़े राज्यों में बिहार, झारखंड, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में कांग्रेस दो या इससे अधिक सीटें नहीं जीत पाई है. कांग्रेस की सीटों की कुल संख्या 50 से नीचे 49 पर रह सकती है. यह लगातार दूसरा लोकसभा चुनाव है, जब पार्टी ने 50 से कम सीटें हासिल की हैं. 2014 में कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
HIGHLIGHTS
- हरीश रावत आउट हो गए
- भूपिंदर सिंह हुड्डा को मिली हार
- दिग्विजय सिंह को साध्वी प्रज्ञा ने दी पटखनी
Source : News Nation Bureau