उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) के गठबंधन को लेकर बीजेपी द्वारा निशाना साधने की प्रकिया जारी है. सोमवार को यूपी सरकार में मंत्री एमएन पांडे ने गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा, 'मैने सोशल मीडिया पर देखा कि एक नौजवान ने पोस्ट कर दिया की श्री अखिलेश जी, माया को शॉल पहना रहे हैं, तो नौजवान लिखता है नीचे- अखिलेश की मुंह से की यह वही शॉल है जो गेस्ट हाउस में पिता जी ने उतारा था.'
गौरतलब है कि 12 जनवरी को दोनों पार्टियों के प्रमुख अखिलेश यादव और मायावती ने राजधानी लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन का सार्वजनिक ऐलान किया था. घोषणा के मुताबिक दोनों ही पार्टियां 37-37 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. इस घोषणा के बाद से ही विरोधी सवाल खड़े कर रहे हैं कि जो एसपी-बीएसपी बीते ढाई दशक से दूसरे की दुश्मन बनी हुई थी वो एक साथ कैसे आ गई है.
#WATCH: UP Min MN Pandey says,' Meine social media pe dekha ek naujavan ne post kar diya ki Shri Akhilesh ji, Maya ji ko shawl pehna rahe hain, Toh naujavan likhta hai niche –Akhilesh ke mooh se ki... ye wahi shawl hai jo guest house mein pita ji ne utara tha. (28-01-2019) pic.twitter.com/E19CF06HJ2
— ANI (@ANI) January 29, 2019
बता दें कि 1992 में भी मुलायम सिंह के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी का गठबंधन बीएसपी से हुआ था लेकिन साल 1995 में लखनऊ के गेस्ट हाउस कांड ने दोनों पार्टियों के बीच दुश्मनी की ऐसी दीवार बनाई जिसे टूटने में करीब 25 साल लग गए.
क्या है गेस्ट हाउस कांड
साल 1992 के बाद जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी का प्रभाव बढ़ रहा था ठीक उसी वक्त मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की. यूपी में चुनाव लड़ने और कांग्रेस-बीजेपी को पटखनी देने के लिए मुलायम सिंह यादव ने साल 1993 के विधानसभा चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी को रणनीतिक साझेदार बनाते हुए उससे गठबंधन किया जिसके नेता उस वक्त कांशीराम थे.
उस विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी 256 सीटों पर और बीएसपी 164 सीटों पर चुनाव लड़ी. नतीजे आने के बाद समाजवादी पार्टी को 164 सीटों पर जीत मिली जबकि बीएसपी ने 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी. मुलायम सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बने लेकिन दोनों पार्टियां के रिश्तों में धीरे-धीरे गांठें पड़नी शुरू हो गई.
साल 1995 की गर्मियों में समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह को पता चला कि मायावती की बात बीजेपी से चल रही है और बीजेपी ने उन्हें ऑफर दिया है कि वो उन्हें सीएम बनाने के लिए समर्थन भी देंगे. इसके लिए बीजेपी ने उस वक्त राज्यपाल रहे मोतीलाल वोरा को समर्थन पत्र भी दे दिया था.
ज़ाहिर है मायावती के समर्थन वापस लेते ही मुलायम सिंह की सरकार गिर जाती. मुलायम सिंह चाहते थे कि उन्हें सदन में बहुमत साबित करने का मौका मिले लेकिन इसके लिए राज्यपाल तैयार नहीं हुए. सरकार गिरने की संभावनाओं के बीच कई विधायकों के अपहरण होने लगे.
इसी दौरान मायावती लखनऊ के सरकारी गेस्ट हाउस में बीजेपी से गठबंधन के लिए अपनी पार्टी नेताओं के बीच रायशुमारी के लिए पहुंची. इस बात की ख़बर समाजवादी पार्टी के कुछ नेता और कार्यकर्ताओं को भी लग गई और वो बड़ी संख्या में गेस्ट हाउस के बाहर पहुंच गए.
समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बीएसपी नेताओं के साथ मीटिंग रूम में मारपीट शुरू कर दी जिससे कई बीएसपी कार्यकर्ता बुरी तरह घायल हो गए. वहीं मायावती ने एसपी कार्यकर्ताओं से बचने के लिए खुद को एक रूम में बंद कर लिया.
एसपी के भड़के हुए कार्यकर्ताओं ने उस रूम को खोलने की बेहद कोशिश की लेकिन वह ऐसा करने में नाकाम रहे. इस दौरान बीएसपी ने मायावती को बचाने के लिए कई बार पुलिस को भी फोन किया लेकिन आरोप है कि किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने फोन नहीं उठाया. बाद में जब कुछ शांत हुआ और मायावती कमरे से बाहर निकलीं तो उन्होंने मुलायम सिंह यादव और समाजवादी पार्टी पर हत्या करवाने की साजिश का आरोप लगाया.
मायावती ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता उन्हें गेस्ट हाउस में मारने के मकसद से आए थे. तभी से भारतीय राजनीति में इस काले दिन को गेस्ट हाउस कांड के नाम याद किया जाता है.
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इस घटना के बाद मुलायम सिंह यादव और मायावती की पार्टी न सिर्फ एक दूसरे की दुश्मन बन गई बल्कि दोनों की राहें भी अलग हो गई. बीजेपी के समर्थन से साल 1995 में 3 जून को कांशी राम ने मायावती को पहली बार सीएम बनाया.
Source : News Nation Bureau