मौजूदा लोकसभा चुनाव अपने शाब्दिक अर्थो में भले ही महाभारत न हो लेकिन उत्तर प्रदेश की मतदाता सूची में इसके चरित्रों की भरमार है. चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक, सूची में करीब साढ़े 6 लाख मतदाताओं के नाम कृष्ण और तीस लाख के नाम गीता हैं. मतदाता सूची में 26.70 लाख मतदाताओं के नाम संजय हैं जबकि 9.2 लाख मतदाता अर्जुन और 2.09 लाख मतदाता भीम हैं. द्रौपदी नाम भले ही हिंदी पट्टी में ज्यादा सुनने को नहीं मिलता हो लेकिन मतदाता सूची में 95 हजार 9 सौ 66 द्रौपदी हैं. 16225 युधिष्ठिर और 1422 द्रोणाचार्य भी सूची में हैं. भीष्म का नाम सूची में 23,253 बार दर्ज है. यहां तक कि 62311 दुर्योधन भी हैं. नकुल, सहदेव और अभिमन्यु के नाम भी सूची में अच्छी संख्या में हैं.
यह भी पढ़ें - गठबंधन में एक तरफ 'नकली भतीजा' तो दूसरी तरफ 'नकली बुआ' : केशव
मथुरा में नौ हजार से अधिक मतदाताओं के नाम राधा हैं जबकि इतने ही मतदाताओं के नाम मोहन और कृष्ण भी हैं. समाज विज्ञानी रति खोसला ने इसकी वजह का खुलासा करते हुए कहा, "ग्रामीण क्षेत्रों में नवजात का नाम देवी-देवताओं के नाम पर रखा जाना शुभ माना जाता है. आज से दो दशक पहले बच्चों के शिव, गौरी, मीरा जैसे नाम काफी रखे जाते थे. आज यही मतदाता सूची में हैं. फिर वह दौर आया जब बॉलीवुड फिल्म के चरित्रों राहुल, पूजा, नेहा जैसे नाम रखे जाने लगे. आज ऐसे नाम रखने का चलन बढ़ा है जो सुनने में थोड़ हटकर लगें, जैसे मायरा, नायसा, विवान, जीवा, अथर्व..."
Source : IANS