Lok sabha election 2024 : देश लोकसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है. ऐसे में राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारी में पूरी ताकत झोंक दी है. उम्मीदवारों की सूचियां जारी की रही हैं. नेता अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करने के लिए एक दल से दूसरे दल में छलांग लगा रहे हैं. बहस और बयानों का सिलसिला भी चल निकला है. इस क्रम में भारतीय जनता पार्टी ने मोर्चा मारते हुए लोकसभा चुनाव की घोषणा से काफी पहले लोकसभा उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में 195 उम्मीदवारों को नामों की घोषणा की गई है. लेकिन जो सीट सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बनी हुई है, वो है हैदराबाद लोकसभा सीट.
असदुद्दीन ओवैसी के सामने माधवी लता को उतारा
दरअसल, बीजेपी ने हैदराबाद सीट पर असदुद्दीन ओवैसी के सामने माधवी लता को उतारा है. क्योंकि भारतीय राजनीति में ओवैसी काफी चर्चित चेहरा हैं. ऐसे में उनके प्रतिद्वंदी बीजेपी प्रत्याशी को लेकर चर्चा होने लाजमी है. आपको बता दें कि हैदराबाद लोकसभा सीट काफी लंबे समय से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन का गढ़ रहा है. 1984 में ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहउद्दीन ओवैसी यहां से सांसद चुने गए थे. जबकि 2004 से असुद्दीन ओवैसी इस सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं. इस सीट पर एआईएईआईएम की पकड़ का इस बात से पता चलता है कि 2019 के आम चुनाव में ओवैसी ने अपने प्रतिद्वंदी बीजेपी उम्मीदवार भगवंत राव को लगभग तीन लाख वोटों से हराया था. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ओवैसी के किले में सेंधमारी करना चाहती है. बीजेपी ने इस सीट से डॉ. माधवरी लता को उम्मीदवार बनाया है.
कौन है माधवी लता
माधवी लता बीजेपी के तीन तलाक अभियान का मुख्य चेहरा रहीं थी. माधवी एक सामाजिक कार्यकर्ता और हैदराबाद के विरिंची हॉस्पिटल की चेयरमैन हैं. वह एक प्रोफेशनल भारतनाट्यम डासंर भी हैं. माधवी तीन बच्चों की मां ( दो बेटियां और एक बेटा ) हैं. वह बच्चों की होमस्कूलिंग को लेकर काफी चर्चा में रही थी. घर पर बढ़ाई होने के बावजूद उनकी बड़ी बेटी का चयन आईआईटी के लिए हुआ था. उनके पति विश्वनाथ विरिंची हॉस्पिटल के संस्थापक हैं. इसके अलावा माधवी एक आध्यात्मिक प्रवक्ता के लिए जानी जाती है. खासकर हिंदू धर्म से उनका गहरा जुड़ाव है. 49 वर्षीय माधवी हैदराबाद सीट से बीजेपी की पहली महिला उम्मीदवार भी हैं. माधवी का कहना है कि वह पिछले एक साल से क्षेत्र में काम कर रही हैं. उनका कहना है कि हैदराबाद में न साफ-सफाई है, ना शिक्षा है. मदरसों में बच्चों को खाना तक नहीं मिल रहा है. मुस्लिम बच्चे चाइल्ड लेबर बनने को मजबूर हैं.
हैदराबाद की दयनीय स्थिति
यहां बच्चों का कोई भविष्य नहीं है. हिंदुओं को मंदिरों और घरों पर अवैध कब्जे किए जा रहे हैं. माधवी कहती है कि हैदराबाद एक पुराना शहर है. लेकिन पुराना होने के बावजूद यहां की स्थिति काफी दयनीय है. यह न तो पहाड़ी इलाका है और न ही आदिवासी क्षेत्र है. ये वो ही शहर है, जिसके लिए तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में विवाद हुआ था. लेकिन इसके लिए काम किसी ने नहीं किया.
Source : News State Bihar Jharkhand