उत्तर प्रदेश में महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. माना जा रहा है कि घटक दल रालोद के मुखिया चौधरी अजित सिंह नाराज चल रहे हैं और मैनपुरी की रैली में भी नहीं आए. रैली के मंच पर 4 नेताओं मुलायम सिंह यादव, मायावती, अखिलेश यादव और अजित सिंह के लिए कुर्सियां लगाई गई थीं, लेकिन रैली शुरू होने से ऐन पहले एक कुर्सी हटा ली गई. रैली स्थल के इर्द-गिर्द लगे रालोद के अधिकांश झंडे भी हटा लिए गए. सिर्फ सांकेतिक रूप से कही-कहीं रालोद के झंडे छोड़ दिए गए, ताकि महागठबंधन में दरार की खबरें आम न हो जाए.
बताया जा रहा है कि देवबंद की रैली के बाद से अजित सिंह खफा हैं. "जनसत्ता ऑनलाइन" की खबर के अनुसार, देवबंद की रैली के मंच पर चढ़ने से पहले उनसे जूते उतरवा लिए गए थे, जिससे वे अपमानित महसूस कर रहे हैं. इसलिए महागठबंधन की मैनपुरी में दूसरी सबसे बड़ी रैली में वे नजर नहीं आए.
देवबंद की रैली के मंच पर चढ़ने से पहले जो कुछ भी हुआ, उससे अजित सिंह हैरान रह गए थे. अजित सिंह ने जैसे ही मायावती और अखिलेश के पीछे-पीछे मंच पर चढ़ना शुरू किया, तभी एक बसपा नेता ने अजित सिंह से जूते उतारने के लिए कह दिया. इसके बाद अजित सिंह न सिर्फ झेंप गए, बल्कि अपमान का घूंट पीकर रह गए.
वैसे, चुनावी समीकरणों की बात करें तो अजित सिंह के प्रभाव क्षेत्र में मतदान खत्म हो चुका है और राज्य के अन्य हिस्सों में जहां-जहां मतदान होना अभी बाकी है, वहां अजित सिंह कोई करिश्मा नहीं कर सकते. अब उनके नाराज होने से महागठबंधन की सेहत पर बहुत कुछ असर पड़ने वाला नहीं है. इसलिए सपा और बसपा परिणाम तक उनको बहुत अधिक भाव देंगे, इसकी उम्मीद कम ही है. इसलिए अजित सिंह को मतगणना के दिन तक इंतजार करना पड़ सकता है. अगर किसी पार्टी का बहुमत नहीं मिलता है और रालोद एक भी सीट लेती है तो वह मोलभाव करने की स्थिति में रहेगी, अन्यथा की स्थिति में उनको अगले चुनाव तक का इंतजार करना पड़ सकता है.
Source : Vineet Dubey