लोकसभा की 543 सीटों के लिए 7 चरणों में वोट डाले जाएंगे. यह 2019 का आम चुनाव (General Elections 2019) दुनिया के लोकतांत्रिक इतिहास का भी सबसे महंगा चुनाव होने जा रहा है. अमेरिका के कार्नेगी एंडॉमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस थिंक-टैंक के मुताबिक अमेरिका में 2016 में हुए राष्ट्रपति और कांग्रेस के चुनाव में लगभग 650 करोड़ अमेरिकी डालर खर्च हुए, यानी 46 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा. वहीं 2014 के आम चुनाव में भारत में 500 करोड़ अमेरिकी डालर यानी 35 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए. थिंक टैंक का अनुमान है कि अबकी बार भारत में यह आंकड़ा 2014 के चुनाव के मुकाबले दोगुना यानी 70 हजार करोड़ रुपए को भी पार कर जाएगा.
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कार्नेगी एंडॉमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस थिंक-टैंक में साउथ एशिया प्रोग्राम के वरिष्ठ फेलो और डायरेक्टर मिलन वैष्णव ने बताया, '2016 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव और कांग्रेस चुनाव में कुल 6.5 (4.62 खरब रुपये) अरब डॉलर खर्च हुए थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में एक अनुमान के मुताबिक 5 अरब डॉलर (3.55 खरब रुपये) खर्च हुए थे. इस तरह 2019 के चुनाव में अमेरिकी चुनाव से अधिक ही खर्च होगा और इस तरह भारत के चुनाव दुनिया का सबसे महंगा इलेक्शन होगा.'
किसान सम्मान निधि से ज्यादा होगा खर्च
पूरे देश में ऊपर से नीचे तक होने वाले चुनावों में प्रतिवर्ष अरबों रुपए खर्च होते हैं. यदि व्यय होने वाली कुल राशि एवं उम्मीदवारों द्वारा स्वयं खर्च की जाने वाली धनराशि को जोड़कर देखा जाए तो यह लगभग एक पंचवर्षीय योजना की आधी राशि के बराबर हो जाती है मौजूदा बजट में मनरेगा पर 60 हजार करोड़ और किसान सम्मान निधि पर 35 हजार करोड़ के खर्च का प्रावधान है. इन दोनों से ज्यादा रकम भारतीय आने वाले चुनाव में खर्च करने वाले हैं.
सबसे महंगा विधानसभा चुनाव
कर्नाटक विधानसभा चुनावों के बाद किए गए सर्वेक्षण में राजनीतिक दलों द्वारा खर्च किए गए धन के मामले में देश में आयोजित अब तक का यह सबसे महंगा विधानसभा चुनाव करार दिया गया. कर्नाटक के चुनावों में 9,500 से 10,500 करोड़ रुपए के बीच धन खर्च किया गया. यह खर्च राज्य के पिछले विधानसभा चुनावों के खर्च से दोगुना है. लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने प्रति उम्मीदवार अधिकतम 70 लाख रुपए खर्च तय किया है.
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Source : DRIGRAJ MADHESHIA