लोकसभा चुनाव खत्म हो चुके है और अब 23 मई को नतीजे भी आ जाएंगे. लेकिन उससे पहले कई न्यूज चैनल ने एग्जिट पोल दिखाए, जिसमें मोदी सरकार बनती दिख रही है. जिसके बाद विपक्षी पार्टियों ने ईवीएम को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए है. वहीं उत्तर भारत के राज्यों (बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा) में ईवीएम के साथ छेड़छाड़ संबधी घटनाओं वाली खबरे भी सामने आ रही हैं. जिसके बाद चुनाव आयोग भी सवालों के घेरे में आ गया है. तो आइए यहां जानते है कि क्या वाकई ईवीएम मशीन के साथ छेड़छाड़ या उसे बदला जा सकता है.
चुनाव आयोग का मानना है कि ईवीएम पूरी तरह से चिप से बनी होती है इसिलए इसे किसी भी तरह से टेंपर नहीं किया जा सकता है. वहीं ईवीएम तीन यूनिट से मिलकर बनी होती है, पहली कंट्रोल यूनिट, दूसरी बैलट यूनिट और तीसरी VVPAT. कंट्रोल और बैलट यूनिट 5 मीटर लंबी केबल से जुड़ी होती हैं. कंट्रोल यूनिट बूथ में पोलिंग ऑफिसर के पास रखी होती है जबकि बैलेटिंग यूनिट वोटिंग मशीन के अंदर होती है जिसका इस्तेमाल वोटर करता है.
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जानकारी के मुताबिक एक बूथ में चुनाव होने के बाद पोलिंग ऑफिसर ईवीएम की क्लोज बटव दबा देता है. जिसके बाद ईवीएम पूरी तरह से बंद हो जाती है और फिर कोई बटन काम नहीं करता है. यह बटन दबाते ही ईवीएम की स्क्रीन पर पोलिंग क्लोज टाइमिंग और पड़ने वाले टोटल वोट काउंट हो जाते हैं. इसके बाद पीठासीन अधिकारी तीनों यूनिट को अलग कर देते हैं.
वोटिंग के एक दिन पहले पीठासीन अधिकारियों को EVM अलॉट होती हैं. इसके लिए बाकायदा पूरी एक प्रक्रिया है. किस बूथ के लिए कौन-सी कंट्रोल यूनिट, बैलट यूनिट (EVM) और कौन-सी VVPAT जारी होगी. उसकी पूरी डिटेल सूची तैयार की जाती है. यह सूची चुनाव अधिकारी, प्रत्याशी को पहले ही दे दी जाती है. साथ ही चुनाव आयोग से हर बूथ के लिए एक्सट्रा ईवीएम भी दिया जाता हैं ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी में इन्हें बदला जा सके. इन मशीनों की डिटेल भी बाकायदा उस लिस्ट में होती है.
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मध्यप्रदेश के कटनी जिले के कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. पंकज जैन के मुताबिक, 'वोटिंग के बाद चुनाव आयोग के दिशानिर्देश का पालन कर ईवीएम को सघन सुरक्षा घेरे में स्ट्रांग रूम तय लाया जाता है. बूथ से लेकर स्ट्रांग रूम तक पहुंचने में ईवीएम की सुरक्षा में पैरामिलिट्री फोर्स, पीएसी के जवान और लोकल पुलिस होती है. इनके साथ कार्यपालिक मजिस्ट्रेट और चुनाव अधिकारी भी होते हैं. स्ट्रांग रूम से पहले ईवीएम एकत्रित करने के लिए विधान सभा के अनुसार सेंटर बनाए जाते हैं. जहां पर चुनाव अधिकारी अपने-अपने बूथ की ईवीएम जमा करते हैं.'
Source : News Nation Bureau