गुना लोकसभा सीट सिंधिया परिवार का गढ़ है. इस सीट पर सिंधिया राजघराने के सदस्य का ही राज रहा है. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने इस बार बीजेपी ने डॉ. के.पी. यादव को मैदान में उतारा है. चंबल संभाग की सीटों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया खुलकर प्रचार नहीं कर सके इसलिए यादव समाज को जोड़ने के लिए बीजेपी डॉक्टर केपी को टंप कार्ड के रूप उतारा है. जहां तक गुना की बात है तो यह सीट सिंधिया परिवार का गढ़ है.
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इस सीट पर सिंधिया राजघराने के सदस्य का ही राज रहा है. पिछले 4 चुनावों से इस सीट पर कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही जीत मिली है. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के जयभान सिंह को 120792 वोटों से शिकस्त दी थी. ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ही इस सीट पर ज्यादातर जीतते आए हैं. कांग्रेस को यहां पर 9 बार जीत मिली है. वहीं बीजेपी को 4 बार और 1 बार जनसंघ को जीत मिली है. ऐसे में देखा जाए को इस सीट पर एक ही परिवार के तीन पीढ़ियों का राज रहा है. बीजेपी इस सीट पर तब ही जीत हासिल की है जब विजयाराजे सिंधिया उसके टिकट पर चुनाव लड़ीं.
गुना लोकसभा सीट का इतिहास
- 1957 में पहले चुनाव में विजयाराजे सिंधिया ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी.
- 1962 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के रामसहाय पांडे मैदान में उतरे. उन्होंने हिंदू महासभा के वीजी देशपांडे को मात दी.
- 1967 के उपचुनाव में यहां पर कांग्रेस को हार मिली और स्वतंत्रता पार्टी के जे बी कृपलानी को जीते.
- 1967 के लोकसभा चुनाव में स्वतंत्रता पार्टी की ओर विजयाराजे सिंधिया ने कांग्रेस के डीके जाधव को शिकस्त दी.
- 1971 में विजयाराजे के बेटे माधवराव सिंधिया जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़े. पहले ही चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की.
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- 1977 के चुनाव में माधवराव सिंधिया निर्दलीय लड़े और 80 हजार वोटों से बीएलडी के गुरुबख्स सिंह को हराया.
- 1980 में माधवराव सिंधिया कांग्रेस के टिकट पर यहां से लड़ते हुए जीत हासिल किए.
- 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने महेंद्र सिंह को टिकट दिया था और उन्होंने बीजेपी के उद्धव सिंह को हराया था.
- 1989 के चुनाव में यहां से विजयाराजे सिंधिया एक बार फिर यहां से लड़ीं और तब के कांग्रेस के सांसद महेंद्र सिंह को शिकस्त दी.
- इसके बाद से विजयाराजे सिंधिया ने यहां पर हुए लगातार 4 चुनावों में जीत का परचम फहराया.
- 1999 में माधवराव एक बार फिर इस सीट से चुनाव लड़े और कांग्रेस की वापसी कराई.
- 2001 में उनके निधन के बाद 2002 में हुए उपचुनाव में उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पहले ही चुनाव में जीत हासिल की. इसके बाद गुना की जनता उनको जीताते ही आ रही है. यहां तक कि 2014 में मोदी लहर में जब कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था तब भी ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां पर जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे.
सियासी समीकरण
2011 की जनगणना के मुताबिक गुना की जनसंख्या 2493675 है. यहां की 76.66 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 23.34 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. गुना में 18.11 फीसदी लोग अनुसूचित जाती और 13.94 फीसदी लोग अनुसूचित जनजाति के हैं.
Source : DRIGRAJ MADHESHIA