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Lok Sabha Election 2019 : आइए जानते हैं कलराज मिश्र के संसदीय क्षेत्र देवरिया के बारे में

देवरिया लोकसभा सीट पर शुरू से ही कांग्रेस का कब्जा रहा है. लेकिन 39 साल बाद यानी कि 1991 के बाद कांग्रेस की स्थिति कमजोर होने लगी.

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Sushil Kumar
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Lok Sabha Election 2019 : आइए जानते हैं कलराज मिश्र के संसदीय क्षेत्र देवरिया के बारे में

बीजेपी के कलराज मिश्र ने बीएसपी को पटखनी देते हुए सांसद निर्वाचित हुए थे

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देवरिया लोकसभा सीट पर शुरू से ही कांग्रेस का कब्जा रहा है. लेकिन 39 साल बाद यानी कि 1991 के बाद कांग्रेस की स्थिति कमजोर होने लगी. इसके बाद लड़ाई बीजेपी, सपा और बसपा के बीच होने लगी. देवरिया से कांग्रेस के विश्वनाथ राय लगातार 4 बार सांसद बने. 1999, 2009 और 2014 में बीजेपी ने जीत का परचम लहराया. 2014 में बीजेपी के कलराज मिश्र ने बीएसपी को पटखनी देते हुए सांसद निर्वाचित हुए थे.

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देवरिया की उत्पत्ति देवपुरिया से हुई है. देवरिया का अर्थ होता है कि जहां बहुत सारा मंदिर होता है. देवरिया पूर्वी उत्तर प्रदेश में आता है. इस जिला का निर्माण 16 मार्च 1946 को किया गया था. लेकिन कुछ दिनों के बाद 1994 में देवरिया से अलग एक और नया जिला पडरौना बनाया गया, लेकिन 1997 में इसका नाम बदलकर कुशीनगर कर दिया गया.

देवरिया संसदीय क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास

देवरिया लोकसभा सीट पर शुरू से ही कांग्रेस का कब्जा रहा है. लेकिन 39 साल बाद यानी कि 1991 के बाद कांग्रेस की स्थिति कमजोर होने लगी. इसके बाद लड़ाई बीजेपी, सपा और बसपा के बीच होने लगी. देवरिया से कांग्रेस के विश्वनाथ राय लगातार 4 बार सांसद बने. उनका कार्यकाल 1952 से लेकर 1957 तक, 1957 से लेकर 1962 तक, 1962 से लेकर 67 तक और 1967 से लेकर 1970 तक रहा. पार्टी में उनका स्थान अहम रहता था.

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इस लोकसभा सीट से राजमंगल पांडे 1984 और 1989 में सांसद निर्वाचित हुए. लेकिन 1991 के बाद कांग्रेस की स्थिति कमजोर होने लगी. 1991 में जनता दल के टिकट पर मोहन सिंह सांसद बने. लंबे अंतराल के बाद बीजेपी ने 1996 में जीत की शुरुआत की. बीजेपी के प्रत्याशी प्रकाश मणि त्रिपाठी सांसद बने थे. इसके बाद बीजेपी का कमल खिलता रहा. 1999, 2009 और 2014 में बीजेपी ने जीत का परचम लहराया. 2014 में बीजेपी के कलराज मिश्र ने बीएसपी को पटखनी देते हुए सांसद निर्वाचित हुए थे.

देवरिया संसदीय क्षेत्र की जनसंख्या

देवरिया की जनसंख्या 31 लाख से अधिक है. सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्र में इसका स्थान 32वां है. यहां कुल जनसंख्या 31 लाख 9 सौ 46 (31,00,946) हैं. जिसमें पुरुषों की संख्या 15 लाख 37 हजार 4 सौ 36 (15,37,436) हैं. इसमें महिलाएं 15 लाख 63 हजार 5 सौ 10 (15,63,510) हैं. दोनों की संख्या 50 प्रतिशत है. यहां सामान्य वर्ग की संख्या 81 प्रतिशत है. शेष 19 प्रतिशत में 15 प्रतिशत अनुसूचित जाति और केवल 4 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की है.

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यहां 81.1 फीसदी हिंदू वास करते हैं. तो वहीं मुस्लिम केवल 11.6 फीसदी. देविरया लोकसभा संसदीय क्षेत्र में लिंगानुपात पुरुषों से भी ज्यादा 1000 पुरुष पर 1,017 महिलाएं हैं. यहां का लिंगानुपात मानक से भी ज्यादा है. साक्षरता दर भी ठीकठाक है. यहां 100 में 71 लोग साक्षर हैं. जिसमें पुरुषों की संख्या 83 प्रतिशत है. जबकि महिलाए की संख्या 59 प्रतिशत है.

देवरिया संसदीय क्षेत्र से 2017 में चुने गए विधायक

देवरिया संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधानसभा सीट हैं. जिसमें देवरिया, तमकुही राज, फाजिलनगर, पथरदेवा और रामपुर कारखाना हैं. देवरिया विधानसभा सीट से भाजपा के जनमेयजी विधायक बने हैं. उसने 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के जेपी जयसवाल को पटखनी दी थी. तमकुही से कांग्रेस के अजय कुमार लालू ने बीजेपी के जगदीश मिश्रा को पराजित कर अपना कुनबा बचाने में कामयाब रहा.

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फाजिलनगर से बीजेपी के गंगा सिंह कुशवाहा ने 2017 के चुनाव में सपा के विश्वनाथ को परास्त किया था. उधर पथरदेवा से बीजेपी के सूर्य प्रताप शाही ने सपा के शाकिर अली को हराया था. रामपुर कारखाना से बीजेपी के कमलेश शुक्ला ने सपा के फासिहा मंजर गजाला लारी को पटखनी दी थी. बीजेपी 5 में से 4 विधानसभा सीट पर काबिज हैं. वहीं कांग्रेस भी एक सीट बचाने में सफल रही.

देवरिया संसदीय क्षेत्र में कुल मतदाता

2014 के आम चुनाव में देवरिया में 18 लाख 6 हजार 9 सौ 26 मतदाता (18,06,926) थे. जिसमें पुरुषों की संख्या 9 लाख 97 हजार 3 सौ 14 (9,97,314) थी, वहीं महिलाओं की संख्य़ा 8 लाख 9 हजार 6 सौ 12 (8,09,612) थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कलराज मिश्रा ने कमल खिलाया था. उन्होंने बसपा के नियाज अहमद को परास्त किया था.

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देवरिया लोकसभा सीट बीजेपी के लिए बहुत खास है. यह सीट प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र के पड़ोस में आता है. पिछले चुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा के बीच चुनावी गठबंधन के बाद मुकाबला रोचक हो गया है. दोनों पार्टियां साथ चुनाव लड़ेंगी.

Source : Sushil Kumar

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