हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की फर्स्ट लेडी और ड्रैगन लेडी कहे जाने वाली एक्ट्रेस देविका रानी को कौन नहीं जानता है. देविका रानी ने उस दौर के फिल्मों में काम कर अपना नाम कमाया. जिस समय एक्टिंग करने वाली महिलाओं को अच्छा नहीं माना जाता था. यही नहीं एक्ट्रेस की बोल्डनेस का भी कोई जवाब नहीं था, वह सबके सामने शराब और सिगरेट पिया करती थीं. फिल्मों में ही नहीं बल्कि असल जिंदगी में भी देविका रानी को कई बार प्यार हुआ है. शादी-शुदा होते हुए उन्हें अपने को-एक्टर नज्म-उल-हसन के साथ प्यार हो गया था. दिग्गज अदाकारा को गुजरे आज कुल 29 साल हो गए हैं. लेकिन आज भी उनकी बोल्डनेस और हिंदी फिल्म जगत में उनके योगदान के लिए उन्हें याद किया जाता है.
1933 में दिया था रिकॉर्ड तोड़ किसिंग सीन
दोविका रानी ने 1933 में रिलीज हुई फिल्म 'कर्मा' में चार मिनट लंबा किसिंग सीन दिया था. जिसका रिकॉर्ड आज तक कोई फिल्मों में तोड़ नहीं पाया है. हालांकि, यह सीन उनके खुद के पति के साथ था. उस समय फिल्मों में यह सब करना बहुत बुरा माना जाता था. ऐसे में अपने इस किसिंग सीन के बाद देविका रानी बहुत पॉपुलर हो गई थीं. हालांकि, इन सब के बाद देविका को लेकर काफी विवाद खड़े हुए, लेकिन वह कभी रुकी नहीं और उन्होंने अपने काम से इतिहास रच दिया.
16 साल बड़े हिमांशु राय के साथ की थी पहली शादी
देविका रानी हिमांशु राय के साथ उनके प्रोडक्शन हाउस में काम किया करती थीं. साथ काम करते-करते दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया और एक्ट्रेस ने अपने से 16 साल बड़े हिमांशु से साल 1929 में शादी रचा ली.
फिल्म की शूटिंग के दौरान को-स्टार को दे बैठीं अपना दिल
देविका और उनके पति ने साल 1934 में बॉम्बे टॉकीज की स्थापना की थी. उस दौर का यह सबसे बड़ा स्टूडियो माना जाता था. देविका ने 1935 में एक्टर नज्म-उल-हसन के साथ फिल्म 'जीवन नैया' शुरु की. इस फिल्म की शूटिंग के दौरान देविका और नज्म-उल-हसन के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी और यह खबर उनके पति हिमांशु तक पहुंच गई और उन्होंने फिल्म रोक दी. फिल्म रुकने के कारण हिमांशु के पैसे डूब गए. उनको घाटा होने लगा, लेकिन हिरोइन के बिना शूटिंग पूरी नहीं की जा सकती थी. इसलिए हिमांशु के दोस्त शशधर मुखर्जी ने देविका को समझाया और उन्हें फिल्म पूरी करने के लिए मना लिया. लेकिन , इन सबके बाद भी देविका की कई शर्ते थीं, जो हिमांशु को माननी पड़ी. उस समय तलाक को कानूनी दर्जा नहीं दिया गया था और पति से अलग रहने वाली महिलाओं को ठीक नहीं माना जाता था.
इंडस्ट्री में दिलीप कुमार की करवाई एंट्री
साल 1949 में देविका के पति हिमांशु का निधन हो गया, जिसके बाद वह अपने दोस्त शशधर मुखर्जी के साथ बॉम्बे टॉकीज को संभालने लगीं. उस समय इन्होंने कई बड़ी हिट फिल्में दीं, जैसे कि अनजान और किस्मत. दिलीप कुमार को भी देविका ने साल 1944 में फिल्म ज्वार भाटा से जगह दिलवाई थी. साथ ही, उन्होंने युसुफ खान को दिलिप कुमार नाम भी दिया था.
इस कारण छोड़नी पड़ी थी इंडस्ट्री
कुछ सालों बाद अशोक कुमार और शशधर मुखर्जी ने अपने खुद का प्रोडक्शन हाउस खोल लिया और देविका से अलग हो गए. इन सब के बाद देविका ने भी किसी का सपोर्ट ना मिलने पर इंडस्ट्री छोड़ दी.
रशियन पेंटर संग रचाई दूसरी शादी
इंडस्ट्री से दूर जाने के बाद देविका को रशिनयन पेंटर स्वेतोस्लाव रोरिच से प्यार हो गया और दोनों ने एक-दूसरे से शादी कर ली. यह कपल एक-दूसरे के साथ खुशी-खुशी मनाली में रहने लगे.
पद्मश्री और दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से किया गया सम्मानित
साल 1958 में देविका को उनके काम के लिए पद्मश्री मिला और 1969 में देविका दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. इसके बाद, साल 1993 में पति रोरिच का निधन हो गया और अगले ही साल 9 मार्च 1994 को देविका की भी मौत हो गई.
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आपको बता दें कि, मनाली में ड्रैगन लेडी की याद में एक म्यूजियम भी बनाया गया है. म्यूजियम में उनके पति की बनाई हुई कुछ यादगार पेंटिंग्स भी रखी गई हैं. आज भी दिवंगत एक्ट्रेस को उनके फिल्म जगत के दिए योगदान के लिए जाना जाता है.