साल 1975 और तारीख 15 अगस्त, यानी स्वतंत्रता दिवस की सालगिरह. उसी दिन एक फिल्म रिलीज हुई, जिसने उस वक्त के सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए. आज भी कभी यह फिल्म टीवी पर आती है तो उसे देखे बिना नहीं रहा जाता, फिल्म का नाम 'शोले'. इस गुरुवार को फिल्म को रिलीज हुए 44 साल हो जाएंगे, लेकिन अभी भी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस फिल्म की चर्चा हो ही जाती है. आज की पीढ़ी के बच्चे और युवा हों, या 90 के दशक के बच्चे जो अब युवा से कुछ आगे निकल गए हैं या फिर बड़े बुजुर्ग. शायद ही कोई ऐसा हो, जिसने इस फिल्म को न देखा हो. लेकिन फिल्म के पीछे के बहुत सारे तथ्य ऐसे हैं, जो शायद आप न जानते हों. तो आइए हम आपको कुछ ऐसी रोचक बातें बताते हैं जो अपने आप में एक कहानी हैं.
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इस फिल्म निर्माण और निर्देशन रमेश सिप्पी ने किया था. वे इससे पहले भी कई फिल्में बना चुके थे. लेकिन इस फिल्म जैसी सफलता कभी किसी फिल्म को नहीं मिली. वे अभी भी इसी फिल्म के लिए जाने पहचाने जाते हैं. इस फिल्म के स्टार कास्ट के बारे में रोचक तथ्य यह है कि जब धर्मेंद्र और संजीव कुमार को इसकी स्क्रिप्ट सुनाई गई तो वे धर्मेंद्र ठाकुर और संजीव कुमार गब्बर का रोल करने के इच्छुक थे. बताया जाता है कि उस वक्त शादीशुदा होने के बाद भी धर्मेंद्र का हेमा मालिनी से प्रेस प्रसंग था. उनकी शादी नहीं हुई थी, जब धर्मेंद्र ने ठाकुर का रोल करने की इच्छा जाहिर की तो रमेश सिप्पी ने उनसे कह दिया कि अगर वे वीरु नहीं बनेंगे तो यह रोल संजीव कुमार को दे दिया जाएगा. कहा जाता है कि संजीव कुमार भी हेमा को पसंद करते थे, यह बात धर्मेंद्र को नागवार गुजरी और वे इस रोल को करने के लिए तैयार हो गए. गब्बर का रोल करने के लिए संजीव कुमार भी उत्सुक थे लेकिन विलेन का रोल होने के कारण उन्हें यह रोल नहीं दिया गया.
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गब्बर का रोल करने के लिए पहले डैनी से बात की गई थी, लेकिन डैनी फिरोज खान की 'धर्मात्मा' फिल्म साइन कर चुके थे, उस फिल्म की शूटिंग विदेश में होनी थी, इसलिए उन्होंने इन्कार कर दिया. उसके बाद रमेश सिप्पी को किसी ने अमजद खान के बारे में बताया. अमजद खान को बुलाया गया तो रमेश सिप्पी को वे पसंद नहीं आए. दरअसल अमजद खान तब काफी दुबले थे और आवाज भी भारी नहीं थी. इसलिए रमेश सिप्पी ने अमजद खान से कहा कि अगर दो महीने में वजन बढ़ा सकें तो आ जाएं, नहीं तो यह रोल किसी और को दे दिया जाएगा. अमजद इस रोल को हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे, वे उसी दिन से वजन बढ़ाने में लग गए और मोटे हो गए. दूसरी बार अमजद मोटे होकर आए तो उनसे रमेश सिप्पी ने ऑडीशन लिया और वे पास हो गए. जिस रोल पर कई दिग्गजों की नजर थी, वह अजमद खान को मिल गया. हालांकि, पूरे जीवन अमजद खान 'गब्बर' के रोल से बाहर नहीं निकल सके. शोले की तर्ज पर साल 1991 में फिल्म बनी 'रामगढ़ की शोले', इस फिल्म में भी अमजद खान ने गब्बर का ही रोल निभाया था. कई लोग तो अमजद को असली नाम के बजाय गब्बर के नाम से ही जानते थे.
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यहां एक रोचक तथ्य यह भी है कि गब्बर सिंह कोई काल्पनिक चरित्र नहीं था, गब्बर असली डकैत हुआ करता था. फिल्म की स्क्रिप्ट लिखने वाले सलीम-जावेद की जोड़ी के सलीम खान के पिता पुलिस में थे, वे अक्सर सलीम खान को डकैतों की कहानी सुनाया करते थे, गब्बर सिंह की कहानी सलीम खान को याद थी, जिसका इस्तेमाल उन्होंने शोले फिल्म में किया.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो