महानायक अमिताभ बच्चन आज 79 साल के हो गए हैं।अपनी अदाकारी से विश्व भर में कीर्तिमान स्थापित करने वाले अमिताभ बच्चन के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए है।आईये हम आपको अवगत कराते है उनके जीवन से जुड़े किस्सो से. 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद(प्रयागराज)में प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन के घर अमिताभ का जन्म हुआ. अमिताभ बच्चन की माँ तेजी बच्चन अविभाजित भारत के करांची से थी इसलिए प्रारंभ में अमित जी का नाम इंकलाब रखा गया था. लेकिन बाद में प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत न इनका नाम 'अमिताभ' रख दिया जिसका अर्थ होता है "शाश्वत प्रकाश।
कैसे मिली पहली फ़िल्म..
श्रीमती इंदिरा गांधी जी का एक पत्र अमित जी के पास था बताया जाता है कि उसी की बदौलत उन्हें के ए अब्बास की फ़िल्म सात हिंदुस्तानी में काम मिला।फ़िल्म वित्तीय सफलता प्राप्त नही कर सकी लेकिन बच्चन को राष्ट्रीय फ़िल्म पुरुस्कार में सर्वश्रेष्ठ नवांगतुक(बेस्ट डेब्यू न्यूकमर) का अवार्ड मिला।उसके बाद लगातार अपनी मेहनत और अद्वितीय अदाकरी से अमिताभ बच्चन सदी के महानायक बन गए।
कैसे थे अमिताभ के शुरुआती दिन..
प्रसिद्ध हास्य कलाकार और निर्माता निर्देशक महमूद ने अमिताभ को शुरुआती दिनों में आसरा दिया और बाद में उनकी फिल्म बॉम्बे तो गोआ में अपनी अदाकारी से सबका मन मोह लिया।
जया कैसे बनी अमिताभ की अर्द्धांगिनी..
अमिताभ और जया ने पहली बार 'बंसी और बिरजू' में साथ काम किया था। उसके बाद 'जंज़ीर' जो उस ज़माने की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म थी जिसकी सक्सेस सेलिब्रेट करने के सभी कलाकार और क्रू मेंबर्स विदेश जा रहे थे। अमिताभ और जया की एकसाथ यह पहली विदेश यात्रा थी तो अमिताभ ने बाबूजी हरिवंशराय जी से अनुमति मांगी बाबूजी ने पूछा कि क्या आपके साथ जया भी जाएंगी। अमित जी ने जवाब में हाँ कहा फिर क्या था बाबूजी ने शर्त रख दी कि अमिताभ और जया को देश छोड़ने के पहले विवाह करना होगा फिर क्या था दोनों एक दूसरे के जीवनसाथी बन गए।
आखिर क्यों जया ने रेखा को डिनर पर बुलाया..
अमिताभ और रेखा के इश्क़ के चर्चे उस समय जोरो पर थे। अखबारों और मैगज़ीनो में इनके इश्क़ की चर्चा सुर्खियों में थी।कहते है कि रेखा दिल ही दिल मे अमिताभ से प्रेम करती थी लेकिन अमित जी इस बात पर सदैव मौन धारण करे रहते थे।इस से परेशान जया ने एक बार रेखा को डिनर पर बुलाया बड़े अदब और प्रेम से भोजन कराया अपना घर भी दिखाया और जब रेखा को बाहर छोड़ने गई तो उन्होंने रेखा से कहा,चाहे जो हो जाए मैं अमिताभ जी को नहीं छोडूंगी फिर क्या था रेखा दंग रह गई।
राजनीति का दामन कब थामा..
भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी की 1984 में हत्या कर दी गई थी जिसके बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने और उन्ही के कहने पर अमिताभ ने राजनीति में प्रवेश किया।1985 में अभिनय से कुछ समय के लिए ब्रेक लिया और इलाहाबाद लोक सभा सीट से उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा को अमिताभ ने आम चुनाव के इतिहास में 68.2% के मार्जिन से विजय प्राप्त कर हराया था।राजनीतिक जीवन केवल कुछ समय के लिए ही था अमिताभ ने तीन साल बाद ही अपना त्यागपत्र दे दिया था क्योंकि चर्चित बोफोर्स विवाद में अखबार में अमितजी के भाई का नाम भी आ गया था हालांकि अमितजी इसमें दोषी नही पाए गए। सिनेमा जगत में अमिताभ जी का एक अलग ही औरा है और अभी भी अमिताभ बच्चन अपनी अदाकारी से फ़िल्म जगत में अपना लोहा मनवा रहे है।
अभिषेक मालवीय
Source : Abhishek Malviya