Ajmer 92 Controversy: इन दिनों बॉलीवुड में फिल्मों पर बैन लगाने की मांगें ज्यादा उठी हैं. बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में आई हैं जिनपर खूब विवाद हुआ है. इनमें 'द कश्मीर फाइल्स' से लेकर 'द केरला स्टोरी' शामिल है. दोनों ही फिल्मों पर बैन की मांग उठी थीं. इसी लिस्ट में एक और फिल्म जुड़ गई है जिसपर काफी बवाल मच रहा है. इस फिल्म का नाम 'अजमेर 92' (Azmer 92) है. फिल्म राजस्थान के अजमेर में स्थित एक दरगाह में हुए रेप कांड पर आधारित है. फिल्म की कहानी सच्ची घटना पर आधारित बताई जा रही है. ऐसे में अजमेर दरगाह से जुड़े मौलवी इस पर बैन की डिमांड कर रहे हैं. दरगाह की छवि को नुकसान पहुंचाने की बात कहकर फिल्म का विरोध हो रहा है.
'अजमेर-92' का फर्स्ट पोस्टर भी सामने आ चुका है. फिल्म के लेखक और डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह हैं. वहीं कुणाल शर्मा इसे प्रोड्यूस कर रहे हैं. फिल्म के कलाकारों में करन वर्मा, सुमित सिंह, राजेश शर्मा, मनोज जोशी, आकाश दहिया और ईशान मिश्रा जैसे स्टार्स शामिल हैं. जल्द ही 'अजमेर 92' का ट्रेलर रिलीज किया जाएगा. हालांकि, फिल्म की रिलीज से पहले ही इस पर विवाद उठ गया है.
क्या है मामला ?
AJMER-92 फिल्म को लेकर राजस्थान में काफी विरोध हो रहा है. खासतौर पर मुस्लिम संगठन और अजेमर दरगाह कमेटी ने फिल्म पर ऐतराज जताया है. कमेटी के पदाधिकारियों ने कहा कि इस फिल्म के जरिए एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है. कमेटी का कहना है कि फिल्म के जरिए अजमेर शरीफ दरगाह और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. साथ ही कमेटी ने फिल्म मेकर्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की भी धमकी दी हैं.
ये है 'अजमेर 92' की कहानी
'अजमेर 92' सच्ची घटना पर आधारित फिल्म बताई जा रही है. साल 1992 में अजमेर में सैकड़ों लड़कियों के साथ रेप की घटनाएं हुई थीं. कथित तौर पर 100 लड़कियों के आंकड़े सामने आए थे. इस कांड का खुलासा होने पर देशभर में सनसनी मच गई थी. घटना ने हर किसी के रोंगटे खड़े कर दिए थे. 21 अप्रैल1992 को एक स्थानीय अखबार ने खुलासा किया था कि अजमेर की दरगाह में रसूखदारों ने लड़कियों को यौन शोषण का शिकार बनाया था. इसमें रेप और गैंगरेप भी शामिल थे. लड़कियों की अश्लील तस्वीरें खींचकर उन्हें ब्लैकमेल किया जाता था. एक पीड़ित से दूसरी लड़की या उसकी सहेली को लाने की डिमांड की जाती थी. ऐसा न करने पर उनकी तस्वीरें अखबार में छापने की धमकी दी जाती थीं. धीरे-धीरे शहर में पीड़ित लड़कियों की संख्या बढ़ती गई. कुछ पीड़ितों ने सुसाइड भी कर लिया था.
अखबार के खुलासे के बाद पुलिस हरकत में आई और मामला कोर्ट पहुंच गया था. सुनवाई के बाद 18 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. वहीं 8 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. इस मामले में राजनीतिक दल के बड़े-बड़े नेता भी शामिल बताए गए थे. ऐसे में 32 साल बाद इस मामले पर फिल्म बनने से दरगाह कमेटी की टेंशन बढ़ गई. उन्होंने फिल्म मेकर्स को इसे बैन करने की चेतावनी भी दी है.
Source : News Nation Bureau