सुपरस्टार अमिताभ बच्चन शुरुआती दौर में काफी असफल रहे थे. फिल्म के अलावा अमिताभ बच्चन ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में 'आकाशवाणी' में भी आवेदन किया था लेकिन मौक़ा नहीं मिला. अमिताभ बच्चन को साल 1969 में पहली बार ख़्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म सात हिंदुस्तानी में काम करने का मौक़ा मिला. गोवा को पुर्तुगाली शासन से मुक्त कराने की सात हिन्दुस्तानियों की इस कहानी में उत्पल दत्त, मधु, ए के हंगल और अमिताभ बच्चन ने मुख्य भूमिका निभायी थी. हालांकि फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर असफल रही. अमिताभ बच्चन की ज़िदगीं में पहली बार कामयाबी लेकर आयी प्रकाश मेहरा निर्देशित फ़िल्म 'ज़ंजीर' जिसनें उन्हें सुपर स्टार के तौर पर स्थापित किया.
हालांकि अमिताभ को फिल्म जंजीर में काम मिलने का क़िस्सा भी काफी रोचक है. निमार्ता-निदेर्शक प्रकाश मेहरा साल 1973 में अपनी फिल्म ज़ंजीर के लिये अभिनेता की तलाश कर रहे थे. उन्होंने इस फिल्म के लिये देवानंद से गुजारिश की और बाद में अभिनेता राजकुमार से काम करने की पेशकश की लेकिन किसी कारणवश दोनों अभिनेताओं ने ज़ंजीर में काम करने से इंकार कर दिया. जिसके बाद देव आनंद के बड़े भाई विजय आनंद के सुझाव पर अमिताभ को इस फ़िल्म में काम करने का मौक़ा मिला.
साल 1975 में यश चोपड़ा निर्देशित अमिताभ बच्चन की फ़िल्म दीवार ने एक बार फिर से बॉक्स ऑफ़िस पर इतिहास रचा. इस फ़िल्म के डायलॉग्स काफी चर्चित हुए थे गली-गली में युवा और बच्चे उनके स्टाइल की कॉपी करते नज़र आने लगे. आज ख़ुश तो बहुत होगे तुम, मेरे पास मां है और पीटर यह चाभी अपने पास रखो जैसे कुछ डायलॉग जो आज भी लोगों की ज़ुबान पर है.
साल 1975 में रमेश सिप्पी निर्देशित फ़िल्म 'शोले' न केवल अमिताभ बल्कि इंड्रस्टी की सबसे सुपरहिट फ़िल्म साबित हुई थी. मुंबई के मिनरवा टॉकिज में लगातार 5 साल यह फिल्म चलती रही थी. इस फ़िल्म से जय औऱ वीरू का किरदार भी अमर हो गया था.
वहीं मनमोहन देसाई की ठेठ मसाला फिल्म 'अमर अकबर एंथनी' में अमिताभ ने एंथनी का किरदार निभाया था. इस फ़िल्म के गाने 'एक जगह जब जमा हो तीनों' और 'माइ नेम इज़ एंथनी गोंजाल्विस' उस ज़माने की सुपर-डुपर हिट गानों में से एक था.
1982 में आई फ़िल्म शक्ति को भले ही खास सफलता नहीं मिली हो, लेकिन दर्शकों को दो महान अभिनेताओं को साथ देखने का यह विरला अवसर था. अमिताभ के सामने खुद उनके आदर्श महानायक दिलीप कुमार थे. अमिताभ ने खुद स्वीकारा था कि दिलीप साहब के सामने खड़े होकर अभिनय करना आसान नहीं था. उन्हें कई बार रीटेक देने पड़ते थे. किस ने श्रेष्ठ अभिनय किया? बहस जारी है.
अग्निपथ (1980) बॉक्स ऑफिस पर असफल रही थी, लेकिन बाद में टीवी पर खूब देखी गई. इस फिल्म को अमिताभ के यादगार अभिनय के कारण आज भी याद किया जाता है. अमिताभ ने इस फिल्म के लिए अपनी अभिनय शैली में परिवर्तन किया था. उन्होंने आवाज को बदल कर बोला. हालांकि उनका यह प्रयोग प्रशंसकों को पसंद नहीं आया और यह फिल्म की असफलता का मुख्य कारण माना गया.
2009 में आई फ़िल्म पा में बिग बी ने 12 वर्ष के एक ऐसे लड़के का रोल निभाया जो प्रोगेरिया से पीड़ित है. इतनी कम उम्र में उसकी हालत 70 वर्षीय बूढ़े जैसी है. अमिताभ का मेकअप इस तरह किया गया कि उन्हें पहचानना मुश्किल था. बिग बी ने कमाल का काम किया. उनकी सोच एक 12 वर्ष के बच्चे जैसी थी, लेकिन शरीर 70 वर्ष का.
सिलसिला और कभी-कभी जैसी फ़िल्मों के ज़रिए अमिताभ बच्चन ने रोमांटिक हीरो का किरदार निभाया जो आज के युवा अभिननेताओं के लिए भी सबक है. अमिताभ के सभी फिल्मों को समेट पाना आसान नहीं है लेकिन आख़िर में एक नज़र डालते हैं उन फ़िल्मों पर जो काफी दिनों तक लोगों के ज़ेहन में याद रहेगा.
डॉन, कालिया, चुपके-चुपके, अभिमान, ब्लैक, सरकार, शराबी, शहंशाह, बाग़बान, सत्ते पे सत्ता, मुकद्दर का सिकंदर, नमक-हलाल, शान, नसीब, लावारिस, हम, याराना, मोहब्बतें, पिंक, वजीर और पीकू.
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अमिताभ के फॉलोअर्स को फ़िलहाल उनकी आगामी फ़िल्म 'ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान' का बेसब्री से इंतज़ार है. इस फ़िल्म में वो पहली बार फ़िल्म अभिनेता आमिर ख़ान के साथ नज़र आएंगे.
Source : News Nation Bureau