फिल्म मेकर अनुराग कश्यप ने इंडस्ट्री में एक से बढ़कर एक बढ़ी फिल्में दी हैं. उन्होंने फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर और सेक्रेड गेम्स 1 और 2 जैसी कई हिट फिल्मों से ऑडियंस को एंटरटेन किया है. जिससे उन्हें कुछ ही समय में पहचान मिली. फिल्म मेकिंग के अलावा उन्होंने कई फिल्मों में भी काम किया है. एक रिपोर्ट मुताबिक, फिल्म मेकर हाल ही में कांस फिल्म फेस्टिवल को लेकर एक बयान दिया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि "मुझे बहुत बुरा लगता है जब 'भारत कान्स' कहा जाता है.
कांस को नहीं सपोर्ट करते अनुराग कश्यप
आगे एक्टर ने कहा कि "कान्स में भारत का कोई इंपोटेंसी नहीं रही, उनमें से एक भी फिल्म इंडियन नहीं है. हमें इसे उसी तरह सपोर्ट करना चाहिए. भारत ने ऐसे सिनेमा का सपोर्ट करना बंद कर दिया है, जिस तरह का सिनेमा कान्स में था. उन्होंने आगे कहा कि कपाड़िया की "ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट", जो 30 वर्षों में कान में मेन कॉम्पिटिशन में शामिल होने वाली भारत की पहली फिल्म भी थी और नई आवाज़ों को मंच देने के लिए जानी जाती है, को एक फ्रांसीसी कंपनी से फंडेड है.
कान्स में पाल्मे डी'ओर को सेकेंड अवार्ड मिला
मलयालम-हिंदी फीचर, जिसने कान्स में पाल्मे डी'ओर के बाद दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार जीता, फ्रांस के पेटिट कैओस और भारत के चाक एंड चीज़ फिल्म्स के बीच एक इंडो-फ़्रेंच को-मेकिंग है. कान में कई फ़िल्में थीं, जिनकी स्टोरी या तो भारत में सेट थीं या फिर इंडियन टैलेंट थीं, लेकिन उनमें से ज़्यादातर दूसरे देशों के बैनर के साथ को-मेकिंग थीं. भारतीय-ब्रिटिश फ़िल्म मेकर संध्या सूरी की "संतोष" और करण कंधारी की "सिस्टर मिडनाइट" को यूके द्वारा फंडेड किया गया था, जबकि कॉन्स्टेंटिन बोजानोव की "द शेमलेस" लगभग स्व-फंडेड थी.
राम गोपाल वर्मा की क्राइम ड्रामा में काम मिला
कश्यप ने कहा, भारत को बहुत सी चीजों का श्रेय लेना पसंद है, वे इन फिल्मों का सपोर्ट नहीं करते हैं और वे इन फिल्मों को सिनेमा में रिलीज होने का भी सपोर्ट नहीं करते हैं. अनुराग कश्यप को राम गोपाल वर्मा की क्राइम ड्रामा सत्या में को-राइटर के रूप में अपना बड़ा ब्रेक मिला और उन्होंने पांच के साथ डायरेक्शन की शुरुआत की, जिसे सेंसरशिप के मुद्दों के कारण कभी भी सिनेमाघरों में रिलीज नहीं किया गया. उनके कामों में गुलाल, रमन राघव 2.0, मनमर्जियां और सेक्रेड गेम्स शामिल हैं.
Source : News Nation Bureau