अनुराग कश्यप, अपर्णा सेन, अदूर गोपालकृष्णन, मणिरत्नम और कोंकणा सेन शर्मा सहित कई हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर भारत में बढ़ रहे लिंचिंग के मामलों पर चिंता व्यक्त की है. विभिन्न पृष्ठभूमि की 49 हस्तियों ने इस मुद्दे को हल करने के लिए एक साथ 23 जुलाई को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के जरिए यह मुद्दा उठाया.
पत्र पर श्याम बेनेगल, रिद्धि सेन, रामचंद्र गुहा, बिनायक सेन, सौमित्र चटर्जी, रेवती, शुभा मुद्गल, अनुपम रॉय शामिल आदि के साक्षात्कार किए गए हैं.
पत्र में शुरुआत में लिखा गया है, "प्रिय प्रधानमंत्री, हम शांतिप्रिय और गर्वित भारतीयों के तौर पर अपने प्रिय देश में हाल के दिनों में घटित होने वाली कई दुखद घटनाओं के बारे में काफी चिंतित हैं."
पत्र में लिखा गया, "हमारे संविधान ने भारत को एक धर्मनिरपेक्ष समाजवादी लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में वर्णित किया है, जहां सभी धर्म, जाति, लिंग के नागरिक समान हैं."
इसके अलावा पत्र में लिखा गया, "मुसलमानों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों पर भीड़ द्वारा हमले को तुरंत रोका जाना चाहिए. हम नेशनल क्राइम रिकॉर्डस ब्यूरो (एनसीआरबी) की इस रिपोर्ट को जानकर हैरान रह गए कि 2016 में दलितों पर अत्याचार के 840 मामले सामने आए हैं. इस तरह के केस में सजा मिलने का फीसद भी घटा है."
पत्र में यह बात भी स्पष्ट की गई कि देश में एक मुद्दे के खिलाफ अपनी आवाज उठाने पर उन्हें देश विरोधी करार नहीं देना चाहिए.
इसमें कहा गया, "असंतोष के बिना कोई लोकतंत्र नहीं है. सरकार के खिलाफ असंतोष के कारण लोगों को 'राष्ट्र-विरोधी' या 'शहरी नक्सल' नहीं कहा जाना चाहिए और न ही उनका विरोध होना चाहिए.
Source : IANS