क्राइम रिपोर्टर से क्राइम फिक्शन लेखक बने एस हुसैन जैदी (s hussain zaidi) की एक किताब है 'डोगरी टू दुबई', जिसमें मुंबई अंडरवर्ल्ड के छह दशकों का लेखा-जोखा है. इसमें मुंबई अंडरवर्ल्ड (Mumbai Underworld) और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के रिश्तों का ताना-बाना भी देखने को मिलता है. इस किताब में करीम लाला, हाजी मस्तान से लेकर दाउद इब्राहिम, अरुण गवली और अबु सलेम पर भी रोचक जानकारियां दी गई हैं. इस किताब में कैसेट किंग के नाम से विख्यात गुलशन कुमार (Gulshan Kumar) और अबु सलेम पर भी कुछ जानकारी है. गुलशन कुमार की आज जयंती है, जिनका जन्म 5 मई 1956 को नई दिल्ली के एक पंजाबी परिवार में हुआ था
किताब में कैसेट किंग गुलशन कुमार की हत्या का भी जिक्र है. गौरतलब है कि 12 अगस्त 1997 को मुंबई के अंधेरी इलाके में स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर 17 गोली मारकर गुलशन (Gulshan Kumar Muredr) की हत्या कर दी गई थी. इस सनसनीखेज हत्या के बाद अबु सलेम (Abu Salem) का नाम हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आतंक का पर्याय बन गया था. बताते हैं कि उस वक्त किताब के लेखक ने जब अबु सलेम से फोन कर गुलशन कुमार की हत्या के बारे में जानकारी चाही थी, तो जवाब मिला था, 'यह मर्डर लाल कृष्ण आडवाणी ने कराया है. उसे फोन कर क्यों नहीं पूछते हो?'
किताब के मुताबिक अबु सलेम के निशाने पर सबसे पहले सुभाष घई (Subhash Ghai) आए. उसने उन्हें धमकी दी, लेकिन मुंबई के तत्कालीन जोन सात के पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह ने ऐन मौके आजमगढ़ के 'लड़कों' को दबोचने में सफलता पाई थी. बाद में सुभाष घई ने खुद स्वीकार किया था कि अबु सलेम ने उन्हें फोन कर 'परदेस' फिल्म के अवरसीज राइट्स खरीदने की मंशा जताई थी. इसके बाद अबु सलेम के निशाने पर राजीव राय (Rajeev rai) आए. यह अलग बात है कि अबु सलेम ने खुद स्वीकारा था कि उसकी मंशा सुभाष घई और गुलशन राय को मारने की कभी थी ही नहीं, वह तो सिर्फ उन्हें डरा कर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को अपनी ताकत का अहसास देना चाहता था.
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हालांकि इसके बाद ही कैसेट किंग गुलशन कुमार की हत्या हो गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भाड़े के हत्यारों ने गुलशन कुमार के शरीर को गोलियों से भींद डाला था. यही नहीं, मोबाइल का स्पीकर ऑन कर कथित तौर पर अबु सलेम को गुलशन कुमार की चीखें सुनाई थीं. इसके पहले अबु सलेम पर गुलशन कुमार से 10 करोड़ रुपए फिरौती मांगने का आरोप लगा था. बाद में गुलशन कुमार हत्याकांड से संगीतकार नदीम सैफी और टिप्स कंपनी के रमेश तौरानी (Ramesh Taurani) के नाम भी जुड़े. संगीतकार नदीम सैफी तो उसके बाद से ही लंदन जाकर बस गए.बाद में दाऊद के गुर्गे कहे जाने वाले अब्दुल रऊफ (Abdul Rauf) को कैसेट किंग की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया और सजा सुनाई गई.
एस हुसैन जैदी ने अपनी किताब 'डोगरी टू दुबई' में लिखा है कि अबु सलेम को हिंदी फिल्मी दुनिया की चकाचौंध से प्यार सा हो गया था. यह अलग बात है कि गुलशन कुमार की हत्या के बाद से फिल्मी दुनिया का चमकते सितारों के न सिर्फ दुबई दौरे कम हो गए थे, बल्कि पुलिस ने भी फोन टैप (Phone Tapping) कर रिश्तों की बखिया उधेड़नी शुरू कर दीं. फिर भी मुंबई अंडरवर्ल्ड और फिल्मी दुनिया की 'आपसी रंजिश' ने हिंदी संगीत जगत से गुलशन कुमार को छीन लिया, जिन्होंने भारतीय फिल्म संगीत को कैसेट के जरिए न सिर्फ आम आदमी की जद तक पहुंचाया था, बल्कि नए गायकों को मौका देकर उनकी किस्मत बदलने का काम भी किया था
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एक साधारण जूस बेचने वाले शख्स से लेकर म्यूजिक किंग की पदवी तक का सफर गुलशन कुमार को अजर-अमर बनाता है. आज भी उनकी कंपनी बेटे भूषण कुमार (Bhushan Kumar) के हवाले है और संगीत के नए कीर्तिमान रच रही है. गुलशन कुमार के उत्थान की कहानी बिल्कुल फिल्मी है. कहां जूस बेचने वाले परिवार का बेटा और कहां संगीत को घर-घर सस्ते में पहुंचा कर पैसे और कला का आलीशान महल खड़ा करने वाला गुलशन कुमार. माना जाता है कि गुलशन कुमार नब्बे के दशक में सबसे ज्यादा आयकर भरने वाली फिल्मी हस्तियों में से एक थे.
Source : Nihar Ranjan Saxena