अयूब खान और जया भट्टचार्य जैसे मंझे कलाकरो से सजी फ़िल्म 'धप्पा' 14 दिसंबर को रिलीज हो रही है. फिल्म के लेखक निर्देशक हैं, एक्टर सिद्धार्थ नागर. सिद्धार्थ नागर की बैकग्राउंड को देखे तो पता लगेगा कि सिद्धार्थ बेहद लोकप्रिय लेखक अमृत लाल नागर के नाती और मशहूर लेखिका अचला नागर के बेटे हैं.
फ़िल्म यूपी के उस यूथ की बात करती है जो शिक्षा को नजर अंदाज कर क्राइम की राह पकड़ लेते हैं यानि उनके हाथ में कलम की जगह बंदूक आ जाती है. इसके बाद उनका प्रशासन और पुलिस के साथ जो आईस पाईस या लुका छिपी का खेल शुरू होता है उसका अंत उस धप्पे के साथ होता है जो उनकी पीठ पर पुलिस द्धारा पड़ता है यानि आखिर में धप्पे के रूप में उनके हिस्से में गोली ही आती है. फिल्म का जॉनर यूथ माफिया हैं यानि ये एक एक्शन थ्रिलर है. जब सिद्धार्थ से फिल्म के द्धारा मैसेज की बात की जाती है तो वे यही कहते हैं कि मैसेज तो यही हैं कि प्रशासन ऐसा कुछ करे जो भटके हुये युवाओं के हाथ में देशी कट्टो की जगह कलम आ जाये. हालांकि यूपी में पिछले कुछ अरसे के दौरान बेहद बदलाव देखने को मिल रहा है.
डायरेक्शन की बात आती हैं तो सिद्धार्थ धारावाहिकों में अभी तक कई बार हाथ आज़मा चुके है. लिहाजा फिल्म को निर्देशित करने मे उन्हें ज़्यादा परेशानी नही हुई. उनका कहना है कि मैं तो बचपन से लाइट कैमरे की आवाज सुनता आ रहा हूं. इसलिये फिल्म डायरेक्ट करने का अनुभव मेरे लिये कोई नया नहीं रहा. सिद्धार्थ कहते हैं कि हर मेकर मल्टी स्टारर फिल्म बनाना चाहता है लेकिन कहानी की भी एक डिमांड होती है. कहानी के मुताबिक मुझे स्टारों की जरूरत नहीं थी रीयलस्टिक किरदारों के लिये मैने लखनऊ थियेटर से कलाकार लिये, इसके अलावा टीवी के कलाकार भी फिल्म में दिखाई देगें जिन्हांने काफी काम किया हुआ है जैसे अयूब खान, श्रेष्ठ कुमार, दीपराज राणा, यश सिन्हा, अमित बहल, जया भट्टाचार्य, ब्रिजेन्द्र काला, अविनाश सहजवानी तथा एक और टीवी कलाकार वर्षा माणिकचंद ने फिल्म में डेब्यू किया है, लेकिन जैसा कि मैने पहले ही कहा हैं कि फिल्म के मेजर किरदार लखनऊ और मथुरा थियेटर से हैं जैसे भानुमति सिंह, संदीपन नागर, पुनीता अवस्थी, आर डी सिंह काफी फिल्में कर चुके हैं. इनके अलावा यूपी में नोटंकी के फोग आर्टिस्ट भी फिल्म में दिखाई देने वाले हैं.
यूपी में शूटिंग करना बहुत अच्छा रहा, दूसरे यूपी से अपना एक भावनात्मक संबन्ध भी रहा है. मैं लखनऊ और मथुरा थियेटर से बरसों जुड़ा रहा. मेरे नाना जी एक 8 एमएम का कैमरा लेकर आये थे लिहाजा हम उस कैमरे से फिल्म फिल्म खेला करते थे. 1990 में मैने गुजराती सीरियल बनाने शुरू किये, इसके बाद कुछ मराठी सीरियल भी बनाये. ये सब करते हुये मैं सोचा करता था कि यार यूपी में ये सब क्यों नही है. वैसे यहां पेंसठ साल पूर्व लखनऊ आइडियल फिल्म स्टूडियो की स्थापना हुई थी और वहां सबसे पहली फिल्म चोर की शुरूआत हुई थी जिसमें राज कपूर थे और पं. विश्वनाथ मिश्रा फिल्म के डायरेक्टर थे. मैनें वहां सीरियल बनाने शुरू किये जिनमें एक सीरियल था ‘अष्टभुजी’ वो जबरदस्त पॉपुलर हुआ. उसे इससे पहले मैने गुजराती में बनाया था. वो जया भट्टाचार्य, मुकुन नाग, ब्रिजेन्द्र काला, अमित पचौरी, के के मेनन की पत्नि निवेदिता भट्टचार्य आदि इन सभी का पहला सीरियल था. उसी सीरियल से सभी यूपी के स्टार बन गये. उसी दौरान एक फिल्म ‘सुबह होने तक’ में सिद्धार्थ हीरो, पल्लवी जोशी हीरोइन परिद्वित साहनी, कंवलजीत आदि कलाकार थे. इस बीच बतौर सीरियल डायरेक्टर सिद्धार्थ लखनऊ में बेहद व्यस्त हो गये.
Source : News Nation Bureau