पेड़ उड़ रहें हैं, फिल्म का अभिनेता आकास में छलांग लगा रहा है हर दृश्य के साथ सिनेमा हॉल में सीटी और तालियों की गूंज बढ़ती जा रही है ऐसा अक्सर देखने को मिलता है जब हम कोई हॉलिवुड फिल्म देखने जाते है मगर इस बार जब सिनेमा हॉल इस उत्साह का गवाह बन रहा था तो पर्दे पर कोई हॉलिवुड फिल्म नहीं बल्की भारतीय फिल्म 'बाहुबली 2' चल रही थी।
किसी भी फिल्म की कामयाबी तब मानी जाती है जब उस फिल्म की कहानी जिस देशकाल या वातावरण पर आधारित हो दर्शक फिल्म देखते हुए उसी समय में पहुंच जाएं और खुद को फिल्म की कहानी और फिल्म के किरदारों से जुड़ा हुआ महसूस करें।
दूसरी बात फिल्म की सफलता इस पर भी बहुत निर्भर करती है कि फिल्म में दर्शकों की कौतुहलता बनी रहे। दर्शक हर दृश्य के बाद सोचे कि अब आगे क्या होगा। अगर इन दोनों ही बिंदुओं पर बात करें तो एसएस राजामौली इस फिल्म में सफल हुए हैं। इस फिल्म के वी ऍफ़ एक्स का ही कमाल है कि लगता है आप सच में माहिष्मती में पहुँच गए हो।
प्रभास, राणा डग्गुबत्ती, अनुष्का शेट्टी, तमन्ना भाटीया, रामया, सत्यराज और नासर जैसे कलाकार की एंट्री में एसएस राजामौली ने जिस तरीके से एनिमेशन और आधुनिक तकनीको के जरिए पेश किया है उसे देखकर मन करता है फिल्म की पूरी टीम के लिए बस सिनेमा घर में सीटी बजाते रहें।
फिल्म में ऐसे संवाद है जो दर्शकों के अंदर जोश भर देते हैं। जब स्क्रीन पर बाहुबली आता है और कहता है ‘अमरेंद्र बाहुबली यानी के मैं, माहेष्मती की असंख्य प्रजा, धन, मान और प्राण की रक्षा करूंगा और इसके लिए अगर अपने प्राणों की आहुति भी देनी पड़े तो पीछे नहीं हटूंगा' यह डायलॉग दर्शकों के खून में भी शौर्य का संचार करता है।
किसी बड़े साम्राज्य के राजगद्दी को पाने के लिए पारिवारिक षडयंत्र की बात करें या बाहुबली और देवसेना के बीच मोहब्बत की या बात करें कटप्पा और बाहुबली के बीच गुदगुदाने वाले डायलॉग की इस कहानी में वो सब कुछ है जिसकी तलाश एक दर्शक को किसी फिल्म में होती है।
कहानी में जितना महत्वपुर्ण अभिनेता का पात्र है उतनी ही महत्वपुर्ण अभिनेत्री का भी। इस बात को एसएस राजामौली ने पूरी तरह ध्यान में रखते हुए देवसेना के किरदार को ढाला है। खूबसूरत चेहरा जब स्क्रीन पर तलवार चलाते हुए पहली बार आती है तो यह क्षत्रिय राजकुमारी सिनेमाघर में बैठे दर्शकों के दिल को चीर देती है। देवसेना के रूप में खुबसूरती के साथ एक राजकुमारी का गरिमापुर्ण किरदार जब-जब स्क्रीन पर आया लोग देखते ही रह गए।
कहानी के हर दृश्य को इतने भव्य तरीके से दर्शाया गया है कि अगर एक भी सीन मिस हो गया तो अफसोस होता है। फिल्म का सेट कभी-कभी महाभारत और रामायण के सेट की भी याद दिलाती है। फिल्म का संगीत काफी अच्छा है। और उससे भी ज्यादा अच्छी है इसकी कोरियोग्राफी। सिनेमाघर से निकलने के बाद हर दर्शक की जुबान पर एक ही बात थी 'बाहुबली द कन्क्लूज़न' 1 नंबर फिल्म है।
Source : Sankalp Thakur