बॉलीवुड अभिनेता अमोल पालेकर (Amol Palekar) ने कहा कि जब वह इस साल की शुरुआत की राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (एनजीएमए) की घटना को देखते हैं तो उन्हें लगता है कि यह अच्छा ही हुआ था कि उन्हें बोलने के दौरान बार-बार चुप कराया गया क्योंकि ऐसा होने से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर व्यापक चर्चा शुरू हुई थी. अभिनेता रविवार को 75 साल के हो गए हैं. उन्होंने कहा कि उनकी उनकी वह टिप्पणी किसी राजनीतिक पार्टी के खिलाफ नहीं थी क्योंकि सत्ता हमेशा ही 'विपक्ष को दबाने की कोशिश में लगी रहेगी.'
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फरवरी में पालेकर (Amol Palekar) को राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, मुंबई में एक भाषण के दौरान बार-बार रोका गया था और सरकार की आलोचना करने के दौरान उनकी माइक की लाइन काट दी गई थी. उन्होंने कहा, 'सत्ता कभी असहमति पसंद नहीं करती है, यह हमेशा विपक्ष को दबाने की कोशिश करती है. हालांकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पिछले पांच-छह सालों में और बुरी हालत हो गई है.' पालेकर ने एक साक्षात्कार में बताया, 'मैं कुछ गलत सरकारी फैसलों को उजागर करने की कोशिश कर रहा था जो हमारी कलात्मक स्वतंत्रता पर प्रश्न चिह्न खड़ा कर रहे थे. दीर्घकाल के लिए यह अच्छा था कि मुझे कई बार रोका गया क्योंकि इससे यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा और उस पर चर्चाएं हुईं.'
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पालेकर ने मुंबई और बेंगलुरु के संग्रहालय के केंद्रों में स्थानीय कलाकारों की सलाहकार समिति खत्म करने पर संस्कृति मंत्रालय की आलोचना की थी. उन्होंने कहा कि एक कलाकार के तौर पर यह उनका कर्तव्य था कि वह 'सरकार के निरंकुश और अलोकतांत्रिक तौर तरीके' का विरोध करें. थियेटर और सिनेमा के क्षेत्र में बराबर की पकड़ रखने वाले पालेकर ने हाल ही में 'कसूर-द मिस्टेक' के साथ मंच की दुनिया में वापसी की थी और उनका कहना है कि यह उनका आखिरी नाटक होगा. बता दें कि अमोल पालेकर (Amol Palekar) ने 'घरौंदा', 'श्रीमान-श्रीमति', 'गोलमाल' और 'नरम गरम' जैसी कई यादगार फिल्मों में काम किया है. वह कई हिंदी और मराठी फिल्मों का भी निर्देशन कर चुके हैं.
(इनपुट- भाषा)
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो