अपनी हालिया फिल्मों 'गली गुलियां' और 'लव सोनिया' में बेहतरीन अभिनय से दर्शकों और आलोचकों को खुश करने वाले अभिनेता मनोज वाजपेयी का कहना है कि वह किसी की प्रशंसा और आलोचना से स्वयं को प्रभावित नहीं होने देते। एक बयान में बताया गया है कि मनोज ने 'टाटा स्काई एक्टिंग अड्डा' पर थियेटर से शुरू हुए अपने अभिनय करियर से राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने तक के सफर को याद करते हुए यह बात कही।
अभिनेता ने अपने संघर्ष के दिनों में लोगों द्वारा खारिज किए जाने को सहने के बारे में बताते हुए कहा, 'मैं उस सपने पर भरोसा करता हूं जो आपको जीवन की बेहतरी के लिए सोने नहीं देता। मैं दूसरों के विचारों को खुद पर हावी नहीं होने देता। अगर कोई मेरे काम की प्रशंसा करता है, तो मैं उसे शुक्रिया कहता हूं और अपनी जमीन से जुड़ा रहता हूं। ऐसे ही अगर कोई मेरे काम की आलोचना करता है, तो मैं इसे बहुत अधिक गंभीरता से नहीं लेता।'
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वाजपेयी ने कहा कि आपके लिए उन भावनाओं से दूर रहना महत्वपूर्ण है जो आपको हतोत्साहित करती हैं और नीचे की ओर ढकेलती हैं। और, मैं किसी को भी इन भावनाओं को मुझमें भड़काने का अधिकार नहीं देता।
'सत्या', 'शूल', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' और 'शाहिद' जैसी फिल्मों में अपने अभिनय के लिए लोकप्रिय वाजपेयी ने कहा, 'मैंने जब अपने करियर की शुरुआत की थी, तो उस समय कास्टिंग निर्देशक नहीं होते थे। मैं कविता या कहानियां याद करके निर्देशकों के सामने लंच के दौरान उन पर ही अभिनय करता था। इससे मुझे निरंतर अभिनय के अभ्यास को जारी रखने और एक अभिनेता के तौर पर अपने कौशल को सुधारने में मदद मिलती थी।'
Source : IANS