खुद को आशावादी मानने वाले प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक कबीर खान का कहना है कि इन दिनों हर बात को धर्म के चश्मे से देखा जा रहा है, लेकिन भारत इन सब बातों से कहीं ऊपर है. “बजरंगी भाईजान” और “एक था टाइगर” जैसी सुपरहिट फिल्मों के निर्देशक कबीर खान कहते हैं कि उन्हें खुशी है कि एक फिल्मकार के रूप में उनके पास धार्मिक आधार पर फैली इन त्रूटिपूर्ण सोच का प्रतिवाद करने के लिए मंच है.
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कबीर खान ने आगे कहा कि मैं लोगों की अच्छाई में विश्वास करने वाला एक आशावादी व्यक्ति हूं, लेकिन उसकी भी एक सीमा है. आजकल हर चीज को धर्म के चश्मे से देखा जा रहा है लेकिन भारत इनसब बातों से ऊपर है. उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा कि यह बहुत अजीब है लेकिन जब मैं बड़ा हो रहा था तो मुझे मेरे धर्म के बारे में पता नहीं था. यह इस देश की महानता है.
उन्होंने कहा कि उनकी मां हिंदू और उनके पिता मुसलमान हैं और ऐसे घर में पैदा होने के बाद उन्हें इस सामाजिक ताने-बाने को देखकर बहुत दुख होता है. उन्होंने कहा कि मैंने भारतीय धर्मनिरपेक्षता के सबसे बेहतरीन पहलू को देखा है, लेकिन इस देश की महानता के धर्म के आधार पर टुकड़े होता देखना बहुत ही दुखी करने वाला अनुभव है. कबीर ने कहा कि इतिहास को धर्म के चश्मे से देखना खतरनाक है.
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बता दें कि पिछले दिनों फिल्म निर्माता कबीर खान ने कहा था कि वह भारतीय सेना पर अभिनेता शाहरुख खान के साथ फिल्म बनाना चाहते थे. दरअसल, वह अपनी नई वेब सीरीज को लेकर कमर कस रहे हैं. उनकी आगामी सीरीज 'द फॉरगॉटन आर्मी : आजादी के लिए' नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज व भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) पर आधारित है. इसी पर बात करते हुए कबीर ने कहा कि सीरीज के वाइस ओवर के लिए शाहरुख खान ने एक भी रुपये नहीं लिए हैं.
अपनी सीरीज के प्रमुख अभिनेताओं सनी कौशल और शरवरी वाघ के साथ इसका प्रचार करते हुए कबीर ने कहा था, 'सीरीज में शाहरुख ने बहुत ही विनम्रता से आवाज दी है. यह सत्य घटना पर आधारित है, इसलिए प्रत्येक एपिसोड से पहले कुछ मिनट का परिचय रियल फुटेज के साथ दिया गया है. जहां पर शाहरुख ने आवाज दी है.' उन्होंने आगे कहा, 'जब यह एक फिल्म की कहानी थी, तब भी मैंने शाहरुख से इस बारे में बात की थी. उस वक्त मैं चाहता था कि शाहरुख यह फिल्म करें. हमने इस बाबत कुछ बैठकें भी कीं, लेकिन यह बन नहीं पाई.'