बॉलीवुड की खूबसूरत अदाकारा नरगिस दत्त (Nargis Dutt) ने हिन्दी फिल्म जगत में कई सफल फिल्में दीं. लेकिन ऐसा माना जाता है कि जहां एक तरफ उनकी प्रोफेशनल ज़िन्दगी सक्सेस की सीढ़ियों पर बरकरार रही वहीं उनकी निजी ज़िन्दगी में उन्होंने कई उतार चढ़ावों का सामना किया. नरगिस की पर्सनल लाइफ से जुड़े ऐसे कई किस्से हैं जो इन अप्स एंड डाउन्स के गवाह बने हैं. आज हम आपको ऐसा ही एक किस्सा बताने जा रहे हैं जब नरगिस खुद को आईने के सामने देख कर बहुत रोईं थीं. नरगिस दत्त (Nargis Dutt) एक ऐसी अदाकारा थीं जिनकी अदायगी के लोग दीवाने थे.
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नरगिस दत्त ने फिल्म जगत में 'तालाश-ए-हक' से कदम रखा था' अपनी पहली फिल्म के बाद नरगिस दत्त ने अपने करियर में कभी भी पीछे पलटकर नहीं देखा. हालांकि उन्हें अपनी निजी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ा. नरगिस दत्त के जीवन में एक ऐसा समय भी आया जहां उन्हें अपने कैंसर के बारे में पता चला.
कैंसर से जूझ रहीं नरगिस दत्त को इलाज के लिए न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा था. लेकिन अस्पताल में भर्ती नरगिस दत्त जब अपने बाथरूम में गईं तो उन्होंने शीशे में कुछ ऐसा देख लिया जिसे देखकर वो पूरी तरह से हैरान रह गईं और सिसक-सिसक कर रोने लगीं. इस बात का खुलासा खुद नरगिस दत्त की बेटी नम्रता दत्त ने मीडिया से एक खास बातचीत के दौरान किया था.
मीडिया से एक खास बातचीत के दौरान नरगिस दत्त की बेटी नम्रता ने बताया कि एक दिन उनकी मां नरगिस उनके लिए कुछ तोहफे खरीदने के लिए बाजार जाना चाहती थीं. उनके बाहर जाने के लिए परिवार ने अस्पताल के प्रशासन से खास परमिशन ली थी. उस वक्त नरगिस की तबियत बेहद खराब थी लेकिन इसके बावजूद भी बच्चों के लिए तोहफे लेने की खुशी में वो जैसे तैसे आईलाइनर और लिपस्टिक लगाने के लिए बाथरूम में पहुंचीं. जब उनकी मां नरगिस दत्त ने खुद को शीशे में देखा तो वो बुरी तरह से कांप गई थीं. उन्होंने अपने बाल खो दिए थे. वह पूरी तरह से नाजुक हो गई थीं. नम्रता दत्त ने बताया कि उनकी मां खुद को इस तरह से देखने के बाद बुरी तरह से सिसक पड़ी, लेकिन उस वक्त नम्रता ने उन्हें सांत्वना दी और उनके लिए उनकी मां बन गईं.
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सुनील दत्त नरगिस से कितना प्यार करते थे ये किसी से नहीं छुपा है. ऐसे में जब नरगिस दत्त के कैंसर का पता चला तो सुनील दत्त ने उनका खूब ध्यान रखा. नम्रता दत्त ने बातचीत में बताया, 'पापा उन्हें खाना खिलाते, उनका चेहरा साफ करते थे और उनकी हर एक तरह से मदद करते थे. हम सब अस्पताल से कुछ ही दूर पर एक अपार्टमेंट में रहते थे. पापा हमेशा मम्मी से उन्हें खिड़की के पास खड़े होने के लिए कहते थे और उन्हें दूरबीन से देखते थे.' नम्रता दत्त ने आगे बातचीत करते हुए बताया कि उनके पिता सुनील दत्त उस दौरान क्या महसूस करते थे ये बात उन्होंने कभी भी अपने बच्चों के साथ साझा नहीं की. लेकिन कई बार वो अपने कमरे में सिसक-सिसक के रोते थे. उन्होंने जो भी कुछ कमाई की थी वो मां के इलाज में खत्म हो गई थी. यहां तक की इलाज के लिए उन्हें पैसे भी उधार लेने पड़े थे.