काफी कम समय में संगीत जगत को दो बड़े झटके लगे. जहां पहले हमारे देश की अनमोल रत्न 'लता मंगेशकर' (Lata Mangeshkar) हमेशा के लिए शांत हो गई. वहीं, अब बप्पी लहरी (Bappi Lahiri) ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया. इस बीच अब प्ले बैक सिंगर शाशा तिरुपति (Shashaa Tirupati) ने लता दीदी को लेकर बात की है. जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें मिनी लता मंगेशकर बुलाया जाने लगा था. साथ ही उन्होंने इसके पीछे की वजह भी लोगों के साथ शेयर की. जो अब लोगों के बीच चर्चा में है.
बता दें कि शाशा तिरुपति (Shashaa Tirupati) एक कैनेडियन प्लेबैक सिंगर हैं. शाशा बताती हैं कि कैनेडा के वैंकूवर में वो हिंदी गाने सुनते हुए बड़ी हुई हैं. जो उनके पेरेंट्स अक्सर घर पर बजाया करते थे. उनके लिए ये एक तरीका था अपने घर से जुड़े रहने का. वो सभी गाने लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी और मुकेश के हुआ करते थे. जिसे धीरे-धीरे शाशा ने पकड़ना शुरू कर दिया और फिर उन गानों को खुद गाने लगी. उनके पेरेंट्स ने गानों की तरफ उनकी रुचि को पहचाना.
शाशा (Shashaa Tirupati) बताती हैं कि ये उनके लिए टर्निंग प्वॉइंट साबित हुआ. उन्होंने परफॉर्म करना शुरू कर दिया, जिसे लोग रेडियो पर सुना करते ते. शाशा महज 6 साल की उम्र में लता दीदी और रफी साहब के गाने गाया करती थी. जिसके बाद से उन्हें 'मिनी लता मंगेशकर' (Mini Lata Mangeshkar) कहा जाने लगा. जो किसी भी सिंगर के लिए बड़ी बात है.
जिसके बाद शाशा (Shashaa Tirupati) कहती हैं कि गानों के जरिए लता दीदी उनकी साथी रही हैं. उन्हें नहीं पता कि लता दीदी उनके बारे में जानती भी थी या नहीं. इसके साथ ही शाशा का कहना है कि वह अपना दुर्भाग्य महसूस करती हैं कि उन्हें लता मंगेशकर से मिलने का सौभाग्य कभी नहीं मिला. लेकिन उन्हें ऐसा लगता है कि वो जीवन भर उनके साथ थी.
खैर, बात करें शाशा (Shashaa Tirupati) के वर्कफ्रंट की तो उनके दो सॉन्ग 'इन माय स्किन' और 'आई एम सॉरी' हाल ही में रिलीज हुए हैं. वैसे तो शाशा अब कैनेडियन प्लेबैक सिंगर के तौर पर अपनी पहचान बना चुकी हैं. लेकिन उन्होंने बॉलीवुड के भी कुछ बेहतरीन गाने गाए हैं. जिनमें 'बारिश', 'फिर भी तुमको चाहूंगा', 'सुरमई अंखियों में यार बिना चैन', 'खुलके जीने का' का नाम शामिल है.