विवादित फिल्म 'मेर्सल' के तेलुगू संस्करण में देरी के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) प्रमुख प्रसून जोशी ने शुक्रवार को सेंसर बोर्ड पर लगे आरोपों पर निराशा व्यक्त की। जोशी ने कहा कि सीबीएफसी को राजनीतिक करियर या व्यावसायिक लाभ के लिए गलत तरीके से लक्ष्य नहीं बनाना चाहिए, और यह देरी 'अनावश्यक और सनसनीखेज' है।
फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रमुख ने एएनआई को बताया, 'मैं देरी के लिए सीबीएफसी पर लगे आरोपों से हैरान हूं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो गलत तरीके से और अनावश्यक रूप से सनसनीखेज बनाई जा रही है। फिल्म को सीबीएफसी द्वारा प्रमाण पत्र जल्दी ही प्राप्त होगा।'
उन्होंने आगे बताया कि सीबीएफसी की ओर से कोई देरी नहीं हुई है और वे जल्दी से जल्दी प्रक्रिया पूरी करने का प्रयास कर रहे हैं।
तमिल फिल्म 'मेर्सल' उस समय विवादों में आ गई थी जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तमिलनाडु इकाई ने फिल्म से कुछ डायलॉग हटाने की मांग की है जो वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का मजाक उड़ा रहे थे।
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'मेर्सल' का मुद्दा तब और सांप्रदायिक बन गया जब एक बीजेपी सदस्य ने कहा कि अभिनेता विजय ने जीएसटी का विरोध इसलिए किया क्योंकि वह ईसाई हैं। 'मेर्सल' के तेलुगू संस्करण, 'अथिरिन्धी' को जारी होने से पहले समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। कुछ मीडिया रिपोर्टों ने कहा कि सीबीएफसी ऐसा जानबूझकर कर रहा है।
प्रसून जोशी ने कहा, 'हम फिल्म निर्माताओं की जरूरतों को लेकर संवेदनशील हैं। लेकिन जब बात समयसीमा की है, हमें यह ध्यान देना होगा कि प्रमाणीकरण प्रक्रिया तुरंत नहीं की जा सकती। यहां एक उचित प्रक्रिया है जिसे किसी भी अधिकारी और पेशेवर संगठन को पालन करना है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए।'
उन्होंने यह भी समझाया कि एक फिल्म के लिए आवेदन करने और प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया में 68 दिन लगते हैं। इसके साथ ही उन्होंनो ने कहा, 'सीमित संसाधनों के साथ ही कभी कभी सप्ताह के सभी दिनों में काम करके अधिकारी प्रमाणीकरण की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयास करते हैं।'
उन्होंने आगे कहा कि निष्पक्ष रूप से काम करने और कई प्रयासों के बावजूद सीबीएफसी की आलोचना की जाती है, जो निराशाजनक और हतोत्साहित करने वाला है।
उन्होंने कहा कि मैं मीडिया से अनुरोध करता हूं कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले मामले की एक पूरी तस्वीर देख लें। मैं शेयरधारकों से अनुरोध करता हूं कि वे प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए फिल्म रिलीज की योजना पर काम करते रहें और अनुचित दबाव ना बनाते हुए प्रक्रिया का सम्मान करें।
जोशी ने फिर बताया कि उचित प्रक्रिया के अनुसार ही तेलुगू संस्करण को मंजूरी मिली। इससे पहले मद्रास उच्च न्यायालय ने विवादास्पद फिल्म के सेंसर प्रमाणपत्र को रद्द करने की मांग करने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि यह केवल एक कल्पनाशील कहानी है और सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।
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Source : News Nation Bureau