बॉलीवुड में 'ट्रेजडी किंग' (Tragedy King) के नाम से मशहूर दिलीप कुमार ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. दिलीप कुमार (Dilip Kumar) का निधन हो गया है. लंबी बीमारी के बाद बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार दिलीप कुमार (Dilip Kumar Passes Away) ने बुधवार सुबह 7.30 बजे आखिरी सांस ली. दिलीप कुमार ने अपने पूरे करियर में कुल 65 फिल्में की थी, लेकिन उनकी हर फिल्म ने हिंदी सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ी. उनके चाहने वाले सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं बल्कि हॉलीवुड में भी खूब थे. हॉलीवुड फिल्मों में दिलीप कुमार को फिल्में करने का मौका भी मिला था, लेकिन उन्होंने खुद इससे इनकार कर दिया था. आज हम आपको दिलीप साहब के उस किस्से को बताने जा रहे हैं जिससे यूसुफ खान नाम का एक लड़का, दिलीप कुमार बनकर छा गया...
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18 की उम्र में घर से भाग गए थे दिलीप कुमार
दिलीप कुमार को लेकर एक बेहद दिलचस्प घटना है. कहा जाता है कि दिलीप कुमार की किसी बात पर अपने पिता से बहस हो गई थी, जिसके बाद वह घर से भाग गए थे. उस वक्त दिलीप कुमार की उम्र सिर्फ 18 साल की थी. पुणे में जाकर उन्होंने एक पारसी कैफे के मालिक की मदद ली और फिर एक सैंडविच का स्टॉल लगाया. दिलीप कुमार और राजकपूर बचपन के दोस्त थे. दोनों ने एक ही स्कूल से पढ़ाई की थी. दिलीप कुमार जब पिता का घर छोड़कर आए थे तो राज कपूर ने ही उन्हें फिल्मों में आने का रास्ता दिखाया था.
देविका रानी ने दी थी दिलीप कुमार को नौकरी
साल 1943 में दिलीप कुमार की मुलाकात चर्च गेट पर डॉक्टर मसानी से हुई. उन्होंने उनसे बॉम्बे टॉकीज में काम करने को कहा. जहां पर युसूफ खान की मुलाकात बॉम्बे टॉकीज की मालकिन देविका रानी से हुई. उन दिनों बॉम्बे टाकीज को एक नए हीरो की तलाश थी. देविका रानी ने उनसे पहला सवाल किया कि कि क्या आप उर्दू जानते हैं? यूसुफ के हां कहते ही उन्होंने दूसरा सवाल किया था कि क्या आप अभिनेता बनना पसंद करेंगे? जिस पर दिलीप कुमार ने हां कर दिया. बस यहीं से दिलीप कुमार की किस्मत बदल गई.
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राजकपूर से बहुत ज्यादा मिली थी सैलरी
देविका रानी ने उन्हें 1250 रुपये की सैलरी पर इस कंपनी में नौकरी दी. उस वक्त ये सैलरी बहुत ज्यादा थी, क्योंकि राजकपूर की एक महीने की तनख्वाह सिर्फ 170 रूपये हुआ करती थी. शुरुआत में युसूफ खान यहां पर स्टोरी लिखने और स्क्रिप्ट को सुधारने में मदद करते थे क्योंकि अंग्रेजी के साथ उनकी उर्दू भी काफी अच्छी थी. यहीं उन्होंने अभिनय की बारीकियां सीखीं. उस वक्त उनकी उम्र महज 19 साल थी.
फिल्म 'ज्वार भाटा' से बॉलीवुड में डेब्यू किया
दिलीप कुमार ने साल 1944 में फिल्म 'ज्वार भाटा' से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. लेकिन 1947 की फिल्म 'जुगनू' से उन्हें बॉलीवुड में खास पहचान मिली. अभिनय की तरफ जाने के लिए उन्हें उनके बचपन के दोस्त राज कपूर ने बहुत प्रेरित किया. फिल्मफेयर के दौरान दिलीप ने बताया था कि वे और राज कपूर भाइयों के जैसे थे. राज कपूर के घर में भी उनका स्वागत बेटे जैसा ही होता था. फिल्मों में आने से पहले राज कपूर उनसे अक्सर कहा करते थे कि वह बेहद अच्छे दिखते हैं इसलिए उन्हें हीरो बनने के बारे में सोचना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- बॉम्बे टॉकीज में 1200 रुपये सैलरी पर काम किया
- उस समय राजकपूर को सिर्फ 170 रूपये मिलते थे
- फिल्म 'ज्वार भाटा' से बॉलीवुड में डेब्यू किया