'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' के निर्देशक विजय रत्नाकर गुट्टे का कहना है कि कहानी के प्रत्येक हिस्से को प्रस्तुत करने के लिए सही कलाकारों का चयन मुश्किल काम था. गुट्टे ने एक साक्षात्कार में कहा, "मैंने फिल्म में कलाकारों के चयन में लगभग नौ महीने लगाए. चूंकि फिल्म वास्तविक किरदारों पर आधारित है और सभी लोग उन्हें जानते हैं, लिहाजा वे जनता के दिमाग में रहते हैं. एक फिल्म निर्देशक के रूप में, मुझे इसके लिए सही कलाकारों का चयन करना था. इस तरह के किरदार केवल अच्छे अभिनेता ही निभा सकते हैं."
कास्टिंग टीम का शुक्रिया अदा करते हुए उन्होंने कहा, "हंसल मेहता और उनकी टीम, जो पिछले 20 वर्षो से इस व्यवसाय में हैं, ने मुझे उन कलाकारों के चयन में मदद की, जिन्हें मैं चाहता था. यह एक चुनौतीपूर्ण काम था. सबसे कठिन कास्टिंग संजय बारू की थी, जिसे अक्षय खन्ना ने निभाया है."
फिल्म बारू द्वारा लिखी गई इसी नाम की पुस्तक पर आधारित है. इसमें अनुपम खेर ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भूमिका निभाई है. इसके अलावा इसमें सुजैन बर्नर्ट, अहाना कुमरा और अर्जुन माथुर जैसे कलाकार भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं.
'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' शुक्रवार को रिलीज हुई है. पूर्व पीएम के बेहद करीबी रहे संजय बारू की किताब 'द ऐक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' पर बनी है. जिस पर काफी विवाद हुआ, फिल्म एक सत्य घटना पर आधारित है.
फिल्म की शुरुआत सोनिया गांधी (सुजैन बर्नेट) की अध्यक्षता में 2004 के चुनावों में कांग्रेस की जीत से होती है . जहां एक तरफ सोनिया के सलाहकार उन्हें पीएम की कुर्सी संभालने के लिए कहते हैं वहीं दूसरी तरफ वे अर्थशास्त्री डॉ मनमोहन सिंह के लिए पीएम की कुर्सी आगे कर देती हैं. बिल्कुल वहीं से संजय बारू के नजरिए से हमें दिखाया जाता है कि दरवाजे के पीछे आखिर क्या हुआ.. जहां पर दिखाया जाता है कि कैसे सोनिया गांधी और उनके चहेते सपोर्टर्स द्वारा 10 साल के UPA सरकार में मनमोहन सिंह को हर वक्त नीचा दिखाया जाता है. डॉ. मनमोहन सिंह संजय बारू (अक्षय खन्ना) को अपना मीडिया सलाहकार बनाते हैं. फिल्म में दिखाया गया है की कैसे मनमोहन सिंह को अपनी ही पार्टी से खूब संघर्ष करना पड़ता है. वो संघर्ष कैसा था यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.
(इनपुट आईएएनएस से)
Source : News Nation Bureau