स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर का बीते दिनों ही जन्मदिन था, उन्होंने अपना 92 वां जन्मदिन मनाया. इस खास मौके पर देश-दुनिया से लोगों ने उन्हें शुभकामनाएं दी. लेकिन आज उनके जन्मदिन के अगले दिन हम आपके लिए उनके जीवन से जुड़ा ऐसा किस्सा लेकर आए हैं, जिसे शायद ही कोई जानता होगा. हम यह बात कह सकते हैं कि ये किस्सा सुनने के बाद आपको हैरानी जरूर होगी. आपको लगेगा कि कोई ऐसा कैसे कर सकता है. दरअसल, ये बात साल 1963 की है, जब लता दीदी को किसी ने ज़हर देने की कोशिश की थी. इस पूरे मामले का खुलासा खुद लता दीदी ने एक इंटरव्यू के दौरान किया.
लता मंगेशकर बताती है कि ये उनके जीवन का एक ऐसा किस्सा है जिसे मंगेशकर परिवार बिल्कुल याद नहीं करना चाहता है. वो याद करने की कोशिश करती हैं और बताती हैं कि साल 1963 में वो काफी कमज़ोर महसूस करने लगी थी. हालत ये हो गई थी कि वो बेड से अपने आप उठ भी नहीं पा रही थी. लता दीदी इस पूरे डरावने किस्से को शेयर करते हुए कहती हैं कि ये बात स्पष्ट हो गई थी उन्हें धीरे-धीरे पॉइज़न दिया जा रहा है.
वो आगे बताती हैं कि उन्हें इससे रिकवर होने में पूरे तीन महीने लग गए, जिसके बाद वो दोबारा अपने काम पर लौटी. लता दीदी ने आगे बताया कि उन्होंने डॉक्टरों से ये पूछा कि कहीं इस वजह से वो अपनी आवाज़ तो नहीं खो देंगी. लेकिन भगवान का शुक्र था कि किसी भी डॉक्टर ने ये नहीं कहा कि वो दोबारा गाना नहीं गा सकेंगी. जिसके बाद लता दीदी अपने काम पर वापस लौंटी और धीरे-धीरे नई ऊचाईयों को छूती गई. आप सोच सकते हैं कि अगर ऐसा होता कि लता दीदी आगे नहीं गा पाती तो आज हम उनके गाने नहीं सुन पाते.
लता दीदी ने आगे बताया कि तीन महीने के बेड रेस्ट के बाद जब वह वापस काम पर लौटी तो कंपोज़र हेमंत कुमार ने उन्हें पहला मौका दिया. आपको बता दें कि इसके लिए उन्होंने लता दीदी की मां से अनुमति ली कि वो गाना इसी शर्त पर रिकॉर्ड करेंगे कि लता जी को किसी तरह का दर्द न हो. अब लोगों के मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर लता दीदी के साथ कौन ऐसा कर सकता है, तो आपको बता दें कि इस बात का खुलासा हो ही नहीं सका कि किसने ऐसी हरकत की.
आपको बता दें कि स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर 36 भारतीय भाषाओं में गाने रिकॉर्ड कर चुकी हैं. लता दीदी ने केवल हिंदी भाषा में 1000 से ज्यादा गानों में अपनी आवाज़ दी है. उन्हें साल 1989 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से नवाज़ा गया. इसके अलावा साल 2001 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था.
लता दीदी ने संगीत की दुनिया में नए रिकॉर्ड तो कायम किए ही हैं. वो असल जिंदगी में भी बेहद सहज व बड़े दिल की थी. उन्होंने अपनी छोटी बहनों की पढ़ाई के लिए खुद पढ़ाई नहीं की. लता मंगेशकर अपने पिता के साथ मराठी संगीत नाटक में पहले से ही काम करती थीं और 14 साल की उम्र में वह बड़े कार्यक्रमों और नाटकों में अभिनय करने लगीं थी.
Source : News Nation Bureau