बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री शबाना आजमी का कहना है कि देश में फिल्म निर्माण प्रक्रिया में विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि फिल्म बनाने की प्रक्रिया में हुआ यह विकास भारतीय सिनेमा के लिए हुई सबसे अच्छी बात है।
एक हिंदी एफएम चैनल के साथ बातचीत में शबाना ने अभिनय संबंधित कार्यशालाओं(वर्क शॉप), पटकथा (स्क्रिप्ट) के महत्व और कई अन्य विषयों के बारे में बात की।
शबाना ने कहा, 'आज की फिल्मों के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि कलाकारों और किरदारों के बीच तालमेल बैठाने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है जो किसी भी फिल्म के लिए बेहद जरूरी होता है।'
उन्होंने कहा, 'इससे अभिनेताओं को निर्देशक की सोच को सही तरीके से समझने में मदद मिलती है। आज अभिनेताओं के पास पूरी तरह से रिसर्च की गई पटकथा होती है। ऐसा पहले नहीं होता था।'
शबाना आगे बताते हुए कहती हैं कि, 'मैं हमेशा इस बारे में अजीब महसूस करती थी, खासकर बाल कलाकारों के साथ बात करते हुए। फिल्म प्रक्रिया में विकास हुआ है, जो मुझे लगता है कि यह भारतीय सिनेमा के लिए सबसे अच्छी चीज हुई है।'
शबाना आजमी भारतीय सिनेमा को कई बेहतरीन फिल्में दे चुकी हैं। अंकुर (1974), शतरंज के खिलाड़ी(1977), स्पर्श (1980), अर्थ(1982), मंडी(1983), मासूम(1983), फायर(1996), गॉडमदर(1999), पार्क एवन्यू(2005) उनकी प्रमुख फिल्मों में से हैं।
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Source : ians