शांति के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी सिनेमा के एक अद्वितीय प्रयास में आगे आए हैं. सत्यार्थी बच्चों के लिए बनाई गई फिल्म 'झलकी' के साथ आधिकारिक रूप से जुड़ेंगे. बाल श्रम के मुद्दे पर बनी इस फिल्म को मोबाइल डिजिटल मूवी थिएटर का उपयोग करके देश के दूर-दराज इलाकों में स्थित स्कूलों में बच्चों को दिखाई जाएगी. ब्रह्मानंद एस. सिंह द्वारा निर्देशित इस फिल्म में संजय सूरी, दिव्या दत्ता, तनिष्ठा चटर्जी जैसे कलाकार हैं.
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फिल्म निर्माताओं का ऐसा मानना है कि यह फिल्म समाज, बच्चों और माता-पिता के लिए एक महत्वपूर्ण और आवश्यक फिल्म है, ऐसे में इसे सभी के द्वारा देखा जाना जरूरी है, लेकिन जिन इलाकों में अभी भी सिनेमा थिएटर्स नहीं है, वहां शायद ही लोग इसे देख पाएंगे.
इसी मसले को सुलझाने के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता सत्यार्थी आगे आए और पिक्चर टाइम के साथ आधिकारिक रूप से जुड़े. यह एक मोबाइल डिजिटल मूवी थिएटर (एमडीएमटी) कंपनी है जिसकी मदद से देश के अंदरूनी हिस्सों में यह फिल्म दिखाई जाएगी.
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'झलकी' की कहानी एक नौ वर्षीय लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसका नाम झलकी है. वह अपने भाई की तलाश कर रही है, जिसका अपहरण कर लिया गया है और उसका बाल तस्करों द्वारा शोषण किया जा रहा है. यह 14 नवंबर को बाल दिवस के अवसर पर थिएटर्स व एमडीएमटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होगी.