Gajraj Rao Struggle Story: बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर गजराज राव अब हर फैमिली ड्रामा फिल्म का हिस्सा बने नजर आते हैं. बधाई हो जैसी ब्लॉकबस्टर हिट के बाद से गजराज के सितारे चमक रहे हैं. वो हिंदी सिनेमा में एक दमदार एक्टर के तौर पर स्थापित हो गए हैं. एक कूल डैडी के रोल में गजराज अब सबकी पहली पसंद हैं. हाल में एक्टर ने कार्तिक आर्यन की फिल्म सत्यप्रेम की कथा में पिता की भूमिका निभाई है. इस फिल्म से गजराज को खूब पॉपुलैरिटी मिल रही है. एक इंटरव्यू में राव ने अपने संघर्ष के दिनों की कहानी साझा की. उन्होंने बताया कि आज अगर वो एक फिल्म के लिए मोटी फीस ले रहे हैं तो ये उनके 25 सालों के संघर्ष की कमाई है.
बॉलीवुड में गजराज राव ने 20 सालों से भी ज्यादा स्ट्रगल किया है. उन्होंने गुजारा करने के लिए एक्टिंग के अलावा कई छोटे-छोटे काम किए. एक जमाने में उनके पास खाने तक के पैसे नहीं थे. वो भूखे पेट सोते थे. एक्टर ने कई फिल्मों में मुफ्त में भी काम किया था. ऐसे में वो अब अपनी फीस में कटौती करने के लिए बिल्कुल राजी नहीं होते हैं. एक इंटरव्यू में, एक्टर ने याद किया और बताया कि अब वो अपनी फीस में कटौती नहीं करते हैं. फीस के साथ कोई समझौता करने को राजी नहीं होते हैं. इसकी वजह है कि आज इस मुकाम पर पहुंचने के लिए उन्होंने पूरे 25 साल कड़ा संघर्ष किया है.
गजराज राव ने बताया कि उन्होंने वर्षों से अपनी एक्टिंग और टैलेंट पर कड़ी मेहनत की है. उन्होंने हिंदी में कहा, “मैंने बहुत सारी नौकरियां कीं, और मेरे आसपास मुझे सही दिशा में मार्गदर्शन करने के लिए कोई नहीं था. एक वक् मैंने आर्थिक तंगी भी झेली. भले अब लोगों को लगे कि मैं एयर कंडीशन में बैठकर ये सब बोल रहा हूं.लेकिन जब आपके पास खाने को खाना तक नहीं होता तो सारे सपने और कल्पनाएं धरी की धरी रह जाती हैं. और उस समय परिवार का भरण-पोषण करना जरूरी रह जाता है.”
एक्टर ने यह भी बताया कि जब वो 19 साल के थे तब उन्होंने लाइव थिएटर देखा और तभी एक्टर बनने की ठान ली थी. एक्टर बोले की मैं आज एक स्टार होने के नाते 5 स्टार होटल में रुकना पसंद करता हूं, लग्जरी लाइफ जीना चाहता हूं लेकिन इसके लिए मैंने कड़ी मेहनत की है.
एक्टर ने बताया कि "हाल में एक कास्टिंग डायरेक्टर ने उनसे फीस कम करने की डिमांड की थी. ये एक 20 दिन का प्रोजेक्ट था. तो मैंने मना कर दिया क्योंकि भले ये 20 दिन का लेकिन इस काम के लिए मेरे 20 सालों की मेहनत है. मैं मैंने उनसे कहा कि मैं यहां तक पहुंचने के लिए किए गए इतने साल काफी 'होमवर्क' किया है जिसकी फीस मैं ले रहा हूं. यह उन सभी दिनों के लिए मेरी फीस है जब मैं चाय पर जिंदा रहा, भूखा सोया, गालियां सुनीं, मैं टाउन से अंधेरी तक पैदल चलता था.."
Source : News Nation Bureau