Best of Gulzar: जब बात आती है प्यार, इश्क और मोहब्बत की तो हमारे दिमाग में तुरंत ही हीर-रांझा, रोमियो और जूलिएट का नाम दिमाग में आ जाता है. ठीक उसी तरह, जब आपके दिमाग में नज्म शब्द आता है तो एक नाम अपने आप ही दिमाग में आ जाता है, वो है गुलजार का. गुलजार ने अपनी कलम से इतना कुछ दे दिया है कि शायद ही प्यार की कोई ऐसी दास्तां हो जो उनकी कलम से ना लिखी गई हो.
सुकृता पॉल के शब्दों में ‘गुलज़ार साब अपनी नज़्मों में सीधे-सादे शब्दों से चौंका देने वाली तस्वीरें गढ़ते हैं। कहीं तो पढ़ने वालों को अचानक काग़ज़ पर भारी-भरकम ख़याल दफनाये मिलते हैं और कहीं दिखाई देते हैं कर्ज़ की मिट्टी चबाते हुए किसान जो ख़ुदकुशी कर बैठते हैं। एक के बाद एक जैसी ये नन्ही मुन्नी नज़्में अंदर उतरती हैं जीने की लम्बी और गहरी कहानी आहिस्ते- आहिस्ते उभरने लगती है और फिर कोसों लम्बा सफ़र तय कर डालने का ढाढस मिलता है।’
आइये आपको भी ले चलते हैं प्यार और मोहब्बत के एक हसीन सफर पर-
लगता है जिंदगी आज कुछ ख़फ़ा है... चलिए छोड़िए कौन सी पहली दफ़ा है...- Gulzar
मिलता तो बहुत कुछ है इस जिंदगी में... बस हम गिनती उसी की करते हैं जो हासिल ना हो सका- Gulzar
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ...किसी की ऑंख में हमको भी इंतजार दिखे- Gulzar
आदमी बुलबुला है पानी का और पानी की बहती सतह पर टूटता भी है, डूबता भी है, फिर उभरता है, फिर से बहता है- Gulzar
वो चीज जिसे दिल कहते हैं... हम भूल गए हैं, रख के कहीं- Gulzar
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर आदत इस की भी आदमी सी है- Gulzar
जख्म कहां-कहां से मिले हैं छोड इन बातों को... जिंदगी तू तो बता सफर और कितना बाकी है- Gulzar
कुछ इस तरह ख्याल तेरा जल उठा है...जैसे दिया सलाई जाली हो अंधेरे में...अब फूंक भी दो वरना उंगली जलाएगा- Gulzar
दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई, जैसे एहसान उतारता है कोई...आईना देख के तसल्ली हुई, हमको इस घर में जानता है कोई- Gulzar
हम जहां थे वहां पर अब तो नहीं, पास रहने का कोई सबब तो नहीं... कोई नाराज़गी भी नहीं, मगर फिर भई रुठी हुई सी लगती हो- Gulzar
तारीफ़ अपने आप की करना फिजूल है...खुशबू खुद बता देती है कौन सा फूल है- Gulzar
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो