फेमस अभिनेत्री तापसी पन्नू ने अपने एक बयान में कहा कि हिंदी भारत की मूल भाषा नहीं है इसलिए दक्षिण की फिल्म को छोड़ने का फैसला 'बहुत मूर्खतापूर्ण' कदम होगा. उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि उन्होंने बॉलीवुड में आने के लिए तमिल और तेलुगू फिल्म का सहारा नहीं लिया है.
पन्नू ने यह भी कहा कि कुछ कलाकार अलग-अलग भाषाओं और क्षेत्रों में बनाई गई सिनेमा की विभिन्न शैलियों में काम करने के लिए अलग-अलग प्रबंधन करते हैं और वे तेलंगाना के छोटे केंद्रों के साथ-साथ हिंदी भाषी बेल्ट में भी जानी जाती हैं.
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पन्नू ने कहा, "मुझे लगता है कि कुछ अभिनेता दोनों स्थान पर सफलता के साथ काम कर लेते हैं और मैं इस स्थान को नहीं छोड़ना चाहती हूं. अगर मैं इस मार्केट को छोड़ती हूं तो ऐसा करना बहुत मुर्ख कदम होगा. ऐसा माना जाता है कि हिंदी भारत की मूल भाषा है, लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता. मैं दक्षिण में काम करना जारी रखूंगी."
उन्होंने कहा, "दक्षिण ने मुझे सिखाया फिल्म मेकिंग क्या है. इसने मुझे अभिनेत्री बनाया. ऐसा बिल्कुल नहीं है कि मैंने बॉलीवुड में जाने के लिए इसका सहारा लिया. मैं इसे (दक्षिण की फिल्मों) को छोड़ नहीं सकती."
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अगर वर्कफ्रंट के बारे में बात करें तो हाल ही में तापसी की सांड की आंख रिलीज हुई. फिल्म 'सांड की आंख' (Saand Ki Aankh) देश की सबसे पुराने निशानेबाजों प्रकाशी तोमर (Prakashi Tomar) व चंद्रो तोमर (Chandro Tomar) पर आधारित है.
इसके अलावा तापसी, अनुराग सिन्हा की फिल्म थपप्ड़ में नजर आएंगी. फिल्म थप्पड़ अगले साल 6 मार्च को की रिलीज होगी. फिलहाल फिल्म में तापसी के किरदार से पर्दा अभी तक नहीं उठ पाया है. इसके अलावा तापसी फिल्म रश्मि रॉकेट में एथलीट रश्मि का किरदार निभाने वाली हैं. रश्मि रॉकेट को आकर्ष खुराना डायरेक्ट करेंगे.फिल्म की कहानी रश्मि की है जो गुजरात के कच्छ की फास्ट रनर है. जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए परंपराओं की बेड़ियों को तोड़ती नजर आएगी. कच्छ के मैदान से खेल के मैदान तक का सफर इसमें दिखाया जाएगा.
(इनपुट आईएएनएस से)
Source : News Nation Bureau