भारतीय सिनेमा के मशहूर संगीतकार मोहम्मद जहुर खय्याम का निधन हो गया. उसकी तबीयत पिछले कुछ समय से ठीक नहीं चल रही थी. फेफड़ों में संक्रमण के चलते उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में एडमिट कराया गया था जहां उनकी हालत नाजुक बताई जा रही थी. वे पिछले हफ्ते से ही अस्पताल में एडमिट थे और आइसीयू में थे. सूत्रों की मानें तो उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था. उनकी कंडीशन क्रिटिकल थी. कुछ समय पहले ही पारिवारिक सूत्रों से ये सुनने में आया था कि 92 वर्षीय खय्याम को बीते रविवार मुंबई के सूरज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब से वे आइसीयू में ही थे. डॉक्टरों की टीम उनके इलाज में लगी थी. सोमवार को खय्याम ने अस्पताल में आखिरी सांस ली.
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संगीतकार के जीवन के बारे में बात करें तो खय्याम ने अपने म्यूजिक करियर की शुरुआत लुधियाना में 1943 में 17 वर्ष की आयु में की थी. साल 1953 में फुटपाथ फिल्म से उन्होंने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की. साल 1961 में आई फिल्म शोला और शबनम में संगीत देकर खय्याम साहब को पहचान मिलनी शुरू हुई. आखिरी खत, कभी-कभी, त्रिशूल, नूरी, बाजार, उमराव जान और यात्रा जैसी फिल्मों में धुनें दीं.
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अपने शानदार काम के लिए उन्हें कई सारे अवॉर्ड भी मिले हैं. उन्हें साल 2007 में संगीत नाटक एकेडमी अवॉर्ड और साल साल 2011 में पद्म भूषण जैसे सम्मानों से नवाजा गया. कभी-कभी और उमराव जान के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड और उमराव जान के लिए नेशनल अवॉर्ड भी मिला. बहुत कम लोगों को ये बात पता होगी कि साल 2007 में आई फिल्म यात्रा में खय्याम साहब का संगीत था. फिल्म में रेखा और नाना पाटेकर लीड रोल में थे.