lucknow Nawab Jafar Mir Abdullah Biography: लखनऊ के शाही परिवार की जानी-मानी शख्सियत नवाब जाफर मीर अब्दुल्ला का निधन हो गया है. फिल्म, राजनीति और सामाजिक कार्यकर्ता रहे मीर अब्दुल्ला ने 18 अप्रैल 2023 को अपनी आखिरी सांस ली. अब्दुल्ला बॉलीवुड की मशहूर हस्ती थे जिन्होंने कई फिल्मों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था. वो लखनऊ में स्थित अपने 100 साल पुराने शीशमहल में रहते थे. ये शीशमहल आज भी हिंदी फिल्मों की शूटिंग के लिए मशहूर है. इसी महल में दिग्गज अभिनेत्री रेखा की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'उमराव जान' की शूटिंग हुई थीं.
काफी पढ़े-लिखे थे लखनऊ नवाब
मीर जाफर अब्दुल्ला उत्तर प्रदेश बल्कि की शाही घराने से ताल्लुक रखते थे. 17 मार्च 1951 को लखनऊ में जन्मे नवाब अब्दुल्ला ने लामार्टीनियर कॉलेज से 12वीं तक पढ़ाई की थी. इसके बाद उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विवि से बीएसी ऑनर्स व लखनऊ विवि से एलएलबी की पढ़ाई की डिग्री ली. पिता का बिजनेस संभालने से पहले वो एक मेडिकल पर काम करते थे.
100 साल पुरानी हवेली थी आशियाना
वो गोमती किनारे स्थित शीशमहल में रहते थे. ये शीशमहल करीब 100 साल पुराना है. नवाब अपनी जुबान, लहजा और अदब के लिए वह काफी लोकप्रिय थे. वो एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थे जिन्होंने अपने राज में फिल्म, कला और संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों को खूब बढ़ावा दिया था. मीर जाफर का बॉलीवुड से भी गहरा नाता रहा है. उन्होंने कई फिल्मों की शूटिंग में मदद की तो कुछ में अभिनय भी किया.
ऐसा रहा बॉलीवुड करियर
जाफर मीर अब्दुल्ला ने 'उमराव जान', 'गदर', गदर 2, 'इशकज़ादे', 'मोनी बाबा', 'सूटेबलबॉय' जैसी फिल्मों में अपने घर की विरासत में मौजूद एतिहासिक चीजों का इस्तेमाल करने की मंजूरी दी थी. इसके अलावा उन्होंने कई फिल्मों में दमदार अभिनय से दर्शकों को हैरान कर दिया था. लखनऊ नवाब की व्हाइट एंबेसडर कार भी कई फिल्मों में इस्तेमाल की जा चुकी है.
उमराव जान से जुड़े दिलचस्प किस्से
बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री रेखा की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'उमराव जान' में से जुड़ा एक किस्सा काफी लोकप्रिय रहा है. कहा जाता है कि, इस फिल्म की शूटिंग उनके लखनऊ में बने आलीशान बंगले शीशमहल में हुई थी. फिल्म में नवाब के घर की ऐतिहासिक चीजों को भी दिखाया गया था. उमराव जान के लीड एक्टर फारूख शेख ने फिल्म में नवाब वाला लुक अपनाने के लिए नवाब मीर जाफर की अंगूठी पहनी थी.
एंटिक चीजों के थे शौकीन
नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह ऐतिहासिक लग्जरी चीजों के शौकीन थे. उनकी हवेली में एक ऐसा कमरा भी है जिसमें दुर्लभ सामानों को सहेज के रखा हुआ है. इन सामानों को देखने के लिए देश-विदेशों से भी बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. इन चीजों पर कई डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बन चुकी है. सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते मीर जाफर अब्दुल्ला को साल 2016 में यश भारती सम्मान से सम्मानित किया गया था.