श्याम बेनेगल, फरहान अख्तर और अशोक पंडित के बाद फिल्मकार कबीर खान ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को प्रकाश झा की फिल्म 'लिपिस्टिक अंडर माय बुर्का' को सर्टिफिकेट देने से मना करने पर लताड़ लगाई है और इसे 'हास्यास्पद' करार दिया है।
कबीर ने शुक्रवार को यहां लघु फिल्म 'द स्ट्रेंज स्माइल' की स्क्रीनिंग के दौरान कहा, 'यह एक अजीब स्थिति है और समस्या तब होती है, जब इस तरह की घटनाएं अक्सर होने लगती हैं। फिल्म देखना एक स्वैच्छिक निर्णय है। इसके लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता और सीबीएफसी में बैठे दो-तीन लोग पूरे समाज के लिए कोई निर्णय नहीं ले सकते हैं, यह बिल्कुल हास्यास्पद है।'
फिल्मकार ने तंज कसते हुए कहा कि हम भारत को वैश्विक शक्ति कहते हैं, लेकिन वैश्विक शक्तियां इस तरह से काम नहीं करती हैं। उन्होंने कहा कि इस उद्योग के लोगों के लिए इस निर्णय के खिलाफ एकजुट होकर अपने अधिकारों की मांग के लिए आवाज बुलंद करने का समय आ गया है।
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सीबीएफसी ने इस फिल्म को यह कहकर प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया कि महिला प्रधान इस फिल्म में लगातार उत्तेजक दृश्यों और अपशब्दों की भरमार है। यह अप्रत्यक्ष रूप से समाज के एक विशेष वर्ग के संवेदनशली मुद्दे को दर्शाती है।
अलंकृता श्रीवास्तव निर्देशित यह फिल्म समाज के विभिन्न वर्गो की महिलाओं की इच्छाओं को दर्शाती है, जो खुली हवा में अपने तरीके से जिंदगी जीना चाहती हैं। फिल्म में रत्ना पाठक शाह, कोंकणा सेन शर्मा और अहाना कुमरा प्रमुख कलाकार हैं।
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यह फिल्म टोक्यो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में स्पिरिट ऑफ एशिया अवार्ड और मुंबई फिल्म महोत्सव में लैंगिक समानता के लिए सर्वश्रेष्ठ फिल्म का ऑक्सफैम अवार्ड जीत चुकी है।
कोंकणा सेन शर्मा और रत्ना पाठक अभिनीत फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माई बुरका' को सेंसर बोर्ड ने प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया है। जिसके पीछे वजह इसके आपत्तिजनक दृश्यों और अपमानजनक शब्दों को बताया जा रहा है। साथ ही सेंसर बोर्ड ने लिखा कि यह फिल्म कुछ ज्यादा ही महिला केंद्रित है जो एक अन्य कारण है।
Source : IANS