फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के 1947 में आजादी नहीं बल्कि भीख मिलने और 2014 में सच्ची आजादी मिलने की बात कहने पर अभी बवाल थमा नहीं है. मध्यप्रदेश के अधिवक्ता अमित कुमार साहू ने फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ जबलपुर के जिला अदालत में परिवाद दायर किया है. साहू का कहना है कि कंगना ने जो बयान दिया था, वह देश की आजादी के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले बलिदानियों के अपमान की परिधि में आता है. कंगना ने एक बार फिर विवादित पोस्ट किया है. कंगना के पोस्ट में गांधी को कटघरे में खड़ा किया गया है. अपने समर्थन में कंगना ने एक पेपर कटिंग भी लगायी है.
उन्होंने अपने विवादित पोस्ट में लिखा-"या तो आप गांधी के प्रशंसक हैं या नेता जी के समर्थक. आप दोनों नहीं हो सकते…..चुनें और तय करें….
आजादी के लिए लड़ने वालों को उनके स्वामियों के हवाले कर दिया गया... जिन लोगों में अपने उत्पीड़कों से लड़ने के लिए गर्म खून को जलाने/उबलने का साहस नहीं था, लेकिन वे सत्ता के भूखे और चालाक थे…वही हैं जिन्होंने हमें सिखाया……अगर कोई तुम्हें थप्पड़ मारे…एक और तमाचा के लिए एक और गाल दे दो और इस तरह मिलेगी आज़ादी…ऐसा नहीं है कि किसी को आजादी कैसे मिलती है, केवल उस तरह का भीख मिल सकता है ... अपने नायकों को बुद्धिमानी से चुनें !!!
गांधी ने कभी भगत सिंह या नेता जी का समर्थन नहीं किया…ऐसे सबूत हैं जो बताते हैं कि गांधी जी चाहते थे कि भगत सिंह को फांसी दी जाए …इसलिए आपको यह चुनने की जरूरत है कि आप किसका समर्थन करते हैं …उन सभी को जन्मदिन की बधाई देना काफी नहीं है, वास्तव में यह सिर्फ चुप रहना ही नहीं है बल्कि अत्यधिक गैर जिम्मेदार और सतही है …उनके इतिहास और उनके नायकों को जानना चाहिए…"